Thu Jul 27 2023 15:50:09 GMT+0545 (Nepal Time)
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\v 16 \v 17 16 वेश्यासंग जुडनबालो आदमी शरीरमे बोकेसंग एक होतहए कहीभइ बातका तुम के पतानैयाँ ? काहेकी अइसो लिखो हए, “बे दुने एक शरीर होमंगे ।” 17 पर जो प्रभुसंग एक हए, बो बाकेसंग आत्मामे एक हुइहए ।
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\v 16 16 वेश्यासंग जुडनबालो आदमी शरीरमे बोकेसंग एक होतहए कहीभइ बातका तुम के पतानैयाँ ? काहेकी अइसो लिखो हए, “बे दुने एक शरीर होमंगे ।” \v 17 17 पर जो प्रभुसंग एक हए, बो बाकेसंग आत्मामे एक हुइहए ।
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\v 18 18 व्यभिचारसे अलग बैठऔ । और जौन फिर पाप बो आदमी कहतहए, बो शरीरसे बाहिर होतहए, पर व्यभिचार करनबाले आदमी अपन शरीरके विरुध्दमे पाप करतहँए ।
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\v 18 व्यभिचारसे अलग बैठऔ । और जौन फिर पाप बो आदमी कहतहए, बो शरीरसे बाहिर होतहए, पर व्यभिचार करनबाले आदमी अपन शरीरके विरुध्दमे पाप करतहँए ।
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\c 7 \v 1 \v 2 1 अब तुम लिखो बातके बिषयमे देखाओ पुरुष बेहा नाकरन आसल हए 2पर व्यभिचार के बारे मे परीक्षा गजब हँए कहेसे हर आदमीक अपनी बैयर होबए और हर स्त्रीको फिर अपनी लोगा होबए ।
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\c 7 \v 1 1 अब तुम लिखो बातके बिषयमे देखाओ पुरुष बेहा नाकरन आसल हए \v 2 2पर व्यभिचार के बारे मे परीक्षा गजब हँए कहेसे हर आदमीक अपनी बैयर होबए और हर स्त्रीको फिर अपनी लोगा होबए ।
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\v 3 \v 4 3 पति अपनी बैयरके बैबाहिक हक देबए और आइसीय त बैयर फिर अपन लोगाके । 4 बैयर अपनो शरीरउपर अधिकार ना धरहए, पर बाको लोगा धरहे । अइसी लोगा फिर अपन शरीरउपर अधिकार ना धरए, पर बोक बैयर धरहे।
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\v 3 3 पति अपनी बैयरके बैबाहिक हक देबए और आइसीय त बैयर फिर अपन लोगाके । \v 4 4 बैयर अपनो शरीरउपर अधिकार ना धरहए, पर बाको लोगा धरहे । अइसी लोगा फिर अपन शरीरउपर अधिकार ना धरए, पर बोक बैयर धरहे।
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\v 5 \v 6 \v 7 5 लोगा बैयर अपन पारस्परिक सम्बन्धके एक दुसरेके इन्कार ना करए| इन्कार करहे कहेसे फिर आपसमे सल्लाह करके कुछ समयके ताँही मात्र, ताकि तुम प्रार्थनामे लगो रहन सिक| तव फिर एकसंग बैठए,ताकि आत्मासंयमको अभावके कारण शौतान तुमके परीक्षामे ना पाडए| 6 जा मए तुमके आज्ञाके रुपमे नाए, पर अनुमतिके रुपमे कहतहओ| 7 सब आदमी मए जैसो देखन मए इच्छा करत हओ| पर सबके परमेश्वरसे विशेष वरदान मिलोहए,एकके एक किसिमको दुसरेके दुसरो किसिमको|
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\v 5 5 लोगा बैयर अपन पारस्परिक सम्बन्धके एक दुसरेके इन्कार ना करए| इन्कार करहे कहेसे फिर आपसमे सल्लाह करके कुछ समयके ताँही मात्र, ताकि तुम प्रार्थनामे लगो रहन सिक| तव फिर एकसंग बैठए,ताकि आत्मासंयमको अभावके कारण शौतान तुमके परीक्षामे ना पाडए| \v 6 6 जा मए तुमके आज्ञाके रुपमे नाए, पर अनुमतिके रुपमे कहतहओ| \v 7 7 सब आदमी मए जैसो देखन मए इच्छा करत हओ| पर सबके परमेश्वरसे विशेष वरदान मिलोहए,एकके एक किसिमको दुसरेके दुसरो किसिमको|
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\v 8 \v 9 8 पर आविवाहीत और विधावाके मए कहतहओ, तुम मोए जैसो आविवाहीत रहिओ बिनके ताँहीं अच्छो हुइहए| 9 पर बे अपनाके वशमे ना रखपत हँए तव बेविहा करएँ| काहेकी अपन शरीरको अङ्गके जल्नसे विहा करन अच्छो हए|
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\v 8 8 पर आविवाहीत और विधावाके मए कहतहओ, तुम मोए जैसो आविवाहीत रहिओ बिनके ताँहीं अच्छो हुइहए| \v 9 9 पर बे अपनाके वशमे ना रखपत हँए तव बेविहा करएँ| काहेकी अपन शरीरको अङ्गके जल्नसे विहा करन अच्छो हए|
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\v 10 \v 11 10 अब विवाहीतके मए कडा आज्ञा देङगो (मिर आज्ञा ना हए, पर प्रभूको आज्ञा हए)| 11 पर छुटके बैठेसे फिर बो विहा नाकरए, बरु अपनो लोगासे मिलाप करए| लोगा अपनी बैयरके ना छोडए|
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\v 10 10 अब विवाहीतके मए कडा आज्ञा देङगो (मिर आज्ञा ना हए, पर प्रभूको आज्ञा हए)| \v 11 11 पर छुटके बैठेसे फिर बो विहा नाकरए, बरु अपनो लोगासे मिलाप करए| लोगा अपनी बैयरके ना छोडए|
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आध्याय ७
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"04-title",
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"05-title",
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"05-title",
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"06-title",
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"06-title",
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"06-18",
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"07-title",
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"11-title",
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"11-title",
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"12-title",
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"12-title",
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"13-title",
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"13-title",
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