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जाँच क्यों?

जाँच का मक़सद एक ऐसा तर्जुमा बनाने के लिए तर्जुमा टीम की मदद करना है जो दुरुस्त, क़ुदरती, वाज़े, और कलीसिया को क़ुबूल हो। तर्जुमा टीम भी इस मक़सद को हासिल करना चाहती है। यह आसान लग सकता है, लेकिन यह करना अस्ल में बहुत मुश्किल है, और तर्जुमे को हासिल करने के लिए बहुत सारे लोग और बहुर सारे नज़रसानियाँ लेता है। इसी वजह से, जाँचने वाले एक ऐसा तर्जुमा बनाने के लिए तर्जुमा टीम की मदद करने में बहुत ही अहम किरदार अदा करते हैं जो दुरुस्त, क़ुदरती, वाज़े, और कलीसिया को क़ुबूल हो।

दुरुस्त

वो जाँचने वाले जो पासबान, कलीसियाई रहनुमा, और कलीसियाई नेटवर्क्स के रहनुमा हैं, तर्जुमा टीम को एक ऐसा तर्जुमा बनाने में मदद करेंगे जो दुरुस्त है। वो यह तर्जुमे को माख़ज़ ज़बान के साथ मोवाज़ना करने के ज़रिये करेंगे, और जब भी मुमकिन हो, बाईबल के अस्ल ज़बानों के साथ भी। (दुरुस्त तर्जुमे की बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें दुरुस्त तर्जुमा बनाएँ.)

वाज़े

वो जाँचने वाले जो ज़बान बिरादरी के अरकान हैं, तर्जुमा टीम को ऐसा तर्जुमा बनाने में मदद करेंगे जो वाज़े हो। वो यह तर्जुमा को सुनने और उन मक़ामात की निशानदेही करके करेंगे जहाँ तर्जुमा उलझा हुआ है या उनके लिए मानी ख़ेज़ नहीं है। फिर तर्जुमा टीम उन जगहों को ठीक कर सकती है ताके वो वाज़े हों। (वाज़े तर्जुमे की बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें वाज़े तर्जुमा बनाएँ.)

क़ुदरती

वो जाँचने वाले जो ज़बान बिरादरी के अरकान हैं, तर्जुमा टीम को ऐसा तर्जुमा बनाने में भी मदद करेंगे जो क़ुदरती हो। वो यह तर्जुमा को सुनने और उन मक़ामात की निशानदेही करके करेंगे जहाँ तर्जुमा अज़ीब लगता है और आवाज़ उस तरह की नहीं आती है जिस तरह कोई उनकी ज़बान बोलने वाला कहेगा। फिर तर्जुमा टीम उन जगहों को ठीक कर सकती है ताके वो क़ुदरती हों। (क़ुदरती तर्जुमे की बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें क़ुदरती तर्जुमा बनाएँ.)

कलीसिया-मंज़ूरशुदा

वो जाँचने वाले जो ज़बान बिरादरी में कलीसिया के अरकान हैं, तर्जुमा टीम को ऐसा तर्जुमा बनाने में मदद करेंगे जो उस बिरादरी की कलीसिया को मंजूरशुदा और क़ुबूल है। वो यह उस ज़बान बिरादरी की दूसरी कलीसियाओं के अरकान और रहनुमाओं के साथ मिलकर काम करके करेंगे। जब अरकान और रहनुमा जो किसी ज़बान बिरादरी की कलीसियाओं की नुमाइंदगी करते हैं, एक साथ मिलकर काम करते और राज़ी होते हैं के तर्जुमा अच्छा है, फिर यह उस बिरादरी की कलीसियाओं में क़बूल होगा और इस्तेमाल किया जायेगा। (कलीसिया के मंज़ूरशुदा तर्जुमे की बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें कलीसिया-मंजूरशुदा तर्जुमे.)