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तर्जुमा के लिए हरूफ़ ए तहज्जी

जब आप तर्जुमा पढ़ते हैं तो, अल्फ़ाज़ को जिस तरीक़े से हिज्जा किया गया है उसकी बाबत ख़ुद से ये सवालात पूछें। ये सवालात यह तअीन करने में मदद करेंगे के क्या ज़बान की आवाजों की नुमाइंदगी के लिए मुनासिब हरूफ़ ए तहज्जी का इन्तखाब किया गया है और क्या अल्फ़ाज़ एक यकसां तरीक़े से लिखे गए हैं ताके तर्जुमा पढ़ने में आसानी होगी।

  1. क्या हरूफ़ ए तहज्जी नए तर्जुमे के ज़बान की आवाजों की नुमाइंदगी के लिए मुनासिब है? (क्या ऐसी आवाजें है जो एक मुख्तलिफ़ मानी बनाती है मगर उसी अलामत का इस्तेमाल दूसरी आवाज़ के लिए करना पड़ता है? क्या यह अल्फ़ाज़ को पढ़ना मुश्किल बनाता है? क्या इन हरूफों को तरतीब देने के लिए और फ़र्क ज़ाहिर करने के लिए इज़ाफ़ी अलामतों का इस्तेमाल हो सकता है?
  2. क्या किताब में इस्तेमाल किया गया हिज्जा यकसां है? (क्या ऐसे उसूल हैं जिन्हें मुसन्निफ़ को यह ज़ाहिर करने के लिए अमल करना चाहिए के मुख्तलिफ़ हालात में अल्फ़ाज़ किस तरह बदलते हैं? क्या इनको बयान किया जा सकता है ताके दूसरों को ज़बान आसानी से पढ़ने और लिखने का तरीक़ा मालूम हो जाए?)
  3. क्या मुतर्जिम ने ऐसे तासरात, फ़िक़रे, राब्ते, और हिज्जे इस्तेमाल किये हैं जो ज़बान की बेशतर बिरादरी के ज़रिये पहचाने जायेंगे?

अगर हरूफ़ ए तहज्जी या हिज्जा के बारे में कुछ है जो सहीह नहीं है, तो उसका एक नोट बनाएँ ताके आप उसकी तर्जुमानी टीम के साथ गुफ़्तगू कर सकें।