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\v 19 \v 20 \v 21 19.ननी तो समझदार जुसाई आनन्द मटाई मुर्ख के सहे कतय येरे | 20.कोइला जब ननी दाह जीवनाईयेरे या जी ज येरे ननी फ़साव सारे या पानिके बाढ़ा येरे पानिके मगय थप्पड़ सांनूय थाव का पय | 21.नाक घयको की अनादर की रीति या हों परन्तु की निर्बल से आयला हिं परन्तु जो बतकाब या कोई हियाब खयेरे से घयुरे तोभी हियाव खयेरे |
\v 19 ननी तो समझदार जुसाई आनन्द मटाई मुर्ख के सहे कतय येरे | \v 20 कोइला जब ननी दाह जीवनाईयेरे या जी ज येरे ननी फ़साव सारे या पानिके बाढ़ा येरे पानिके मगय थप्पड़ सांनूय थाव का पय | \v 21 नाक घयको की अनादर की रीति या हों परन्तु की निर्बल से आयला हिं परन्तु जो बतकाब या कोई हियाब खयेरे से घयुरे तोभी हियाव खयेरे |

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\v 22 \v 23 22.क्या वे हिं इबानी होंना लय ता हिं इसलिय होना अब्राम के वशा है नालयवा हिं | 23.क्या वे हिं मसीह के सेवक हिं ए पागले की नाई आय लाई बढ़ करे अधिके परिश्रम खयेरे बार बार हिरे कोड़े जाके बार बार मतय जोखीय |
\v 22 क्या वे हिं इबानी होंना लय ता हिं इसलिय होना अब्राम के वशा है नालयवा हिं | \v 23 क्या वे हिं मसीह के सेवक हिं ए पागले की नाई आय लाई बढ़ करे अधिके परिश्रम खयेरे बार बार हिरे कोड़े जाके बार बार मतय जोखीय |

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"11-19"
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