From dd3a0cd527ee70c6046ddec908f66a6f84dc7eff Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: UGM Date: Tue, 1 Aug 2017 10:47:23 +0530 Subject: [PATCH] Tue Aug 01 2017 10:47:22 GMT+0530 (India Standard Time) --- 11/19.txt | 2 +- 11/22.txt | 2 +- manifest.json | 3 ++- 3 files changed, 4 insertions(+), 3 deletions(-) diff --git a/11/19.txt b/11/19.txt index 9adc912..d1f7933 100644 --- a/11/19.txt +++ b/11/19.txt @@ -1 +1 @@ -\v 19 \v 20 \v 21 19.ननी तो समझदार जुसाई आनन्द मटाई मुर्ख के सहे कतय येरे | 20.कोइला जब ननी दाह जीवनाईयेरे या जी ज येरे ननी फ़साव सारे या पानिके बाढ़ा येरे पानिके मगय थप्पड़ सांनूय थाव का पय | 21.नाक घयको की अनादर की रीति या हों परन्तु की निर्बल से आयला हिं परन्तु जो बतकाब या कोई हियाब खयेरे से घयुरे तोभी हियाव खयेरे | \ No newline at end of file +\v 19 ननी तो समझदार जुसाई आनन्द मटाई मुर्ख के सहे कतय येरे | \v 20 कोइला जब ननी दाह जीवनाईयेरे या जी ज येरे ननी फ़साव सारे या पानिके बाढ़ा येरे पानिके मगय थप्पड़ सांनूय थाव का पय | \v 21 नाक घयको की अनादर की रीति या हों परन्तु की निर्बल से आयला हिं परन्तु जो बतकाब या कोई हियाब खयेरे से घयुरे तोभी हियाव खयेरे | \ No newline at end of file diff --git a/11/22.txt b/11/22.txt index 30a0b23..b4dd17d 100644 --- a/11/22.txt +++ b/11/22.txt @@ -1 +1 @@ -\v 22 \v 23 22.क्या वे हिं इबानी होंना लय ता हिं इसलिय होना अब्राम के वशा है नालयवा हिं | 23.क्या वे हिं मसीह के सेवक हिं ए पागले की नाई आय लाई बढ़ करे अधिके परिश्रम खयेरे बार बार हिरे कोड़े जाके बार बार मतय जोखीय | \ No newline at end of file +\v 22 क्या वे हिं इबानी होंना लय ता हिं इसलिय होना अब्राम के वशा है नालयवा हिं | \v 23 क्या वे हिं मसीह के सेवक हिं ए पागले की नाई आय लाई बढ़ करे अधिके परिश्रम खयेरे बार बार हिरे कोड़े जाके बार बार मतय जोखीय | \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 2a68b87..cb0ada8 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -134,6 +134,7 @@ "11-10", "11-12", "11-14", - "11-16" + "11-16", + "11-19" ] } \ No newline at end of file