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यीशु, यीशु ख्रीस्त, मसीह यीशु
तथ्य:
यीशु परमेश्वर का पुत्र है। “यीशु” नाम का अर्थ है, “यहोवा बचाता है” “ख्रीस्त” एक उपनाम है जिसका अर्थ है, “अभिषिक्त जन” इसका दूसरा शब्द है, “मसीह”
- ये दोनों नाम प्रायः साथ-साथ रखे गए हैं, “मसीह यीशु” या “यीशु ख्रीस्त”। इन नामों द्वारा बल दिया गया है कि परमेश्वर का पुत्र मसीह है जो मनुष्यों को पापों के अनन्त दण्ड से बचाने आया था।
- पवित्र आत्मा ने चमत्कारी रूप से परमेश्वर के शाश्वत पुत्र को मनुष्यों में जन्माया| उसकी माता को स्वर्गदूत ने निर्देश दिया था कि उसका नाम "यीशु" रखे क्योंकि वह मनुष्यों को पापों से बचाने के लिए नियत था| *यीशु ने अनेक चमत्कार किए जिनसे प्रकट हुआ कि वह परमेश्वर है और ख्रीस्त है और मसीह है|
अनुवाद के सुझाव:
- अनेक भाषाओं में “यीशु” और “मसीह” शब्दों को इस प्रकार लिखा जाता है कि उनका उच्चारण और वर्तनी मूल भाषा के यथासंभव निकट रखी जाए| उदाहरणार्थ, "यीसुख्रीस्तो", "जीज़स ख्रीस्तुस", "येसूस क्रिसतुस" और "हेसुक्रिस्तो|' ये कुछ विधियां हैं जो विभिन्न भाषाओं में यीशु के नाम के अनुवाद के लिए काम में ली जाती हैं|
- “ख्रीस्त” शब्द के लिए कुछ अनुवाद सर्वत्र “मसीह” शब्द या उसके रूप काम में लाते हैं।
- स्थानीय या राष्ट्रीय भाषा में भी इन शब्दों की वर्तनी पर ध्यान दें।
(अनुवाद के सुझाव: नामों का अनुवाद कैसे करें)
(यह भी देखें: मसीह, परमेश्वर, पिता परमेश्वर, महायाजक, परमेश्वर का राज्य, मरियम, उद्धारकर्ता, परमेश्वर का पुत्र)
बाइबल संदर्भ:
- [1 कुरिन्थियों 6:11](rc://hi /tn/help/1co/06/11)
- 1 यूहन्ना 2:2
- [1 यूहन्ना 4:15](rc://hi /tn/help/1jn/04/15)
- [1 तीमुथियुस 1:2](rc://hi /tn/help/1ti/01/02)
- 2 पतरस 1:2
- 2 थिस्सलुनीकियों 2:15
- 2 तीमुथियुस 1:10
- प्रे.का. 2:23
- प्रे.का. 5:30
- प्रे.का. 10:36
- इब्रानियों 9:14
- [इब्रानियों 10:22](rc://hi /tn/help/heb/10/22)
- [लूका 24:20](rc://hi /tn/help/luk/24/20)
- [मत्ती 1:21](rc://hi /tn/help/mat/01/21)
- मत्ती 4:3
- फिलिप्पियों 2:5
- फिलिप्पियों 2:10
- [फिलिप्पियों 4:21-23](rc://hi /tn/help/php/04/21)
- [प्रकाशितवाक्य 1:6](rc://hi /tn/help/rev/01/06 )
बाइबल की कहानियों के उदाहरण:
- 22:4 स्वर्गदूत ने उससे कहा, “तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा। तू उसका नाम यीशु रखना और वह मसीहा होगा।”
- 23:2 "तू उसका नाम यीशु रखना (जिसका अर्थ है, 'यहोवा बचाता है' )क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।"
- [24:7](rc://hi /tn/help/obs/24/07) तो यहून्ना ने उनको (यीशु) बपतिस्मा दिया,यद्यपि यीशु ने कभी पाप नहीं किया था।
- 24:9 केवल एक ही परमेश्वर है। परन्तु जब यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया, पिता परमेश्वर को कहते सुना, और पुत्र यीशु को और पवित्र आत्मा को भी देखा।
- __25:8यीशु शैतान के लालच में नहीं आया, तब शैतान उसके पास से चला गया,
- 26:8 फिर यीशु गलील के पूरे क्षेत्र में होकर फिरने लगा, और बड़ी भीड़ उसके पास आई। वह यीशु के पास बहुत से लोगों को लाए जो अनेक बीमारियों से पीड़ित थे, उनमें विकलांग थे, और वे लोग थे, जो देख नहीं सकते, चल नहीं सकते, सुन नहीं सकते थे जो बोल नहीं सकते और इन सभी को यीशु ने चंगा किया।
- 31:3 यीशु__ ने अपनी प्रार्थना समाप्त की और वह चेलों के पास चला गया। वह झील पर चलते हुए उनकी नाव की ओर आया।
- [38:2](rc://hi /tn/help/obs/38/02) वह(यहूदा) जानता था कि यहूदी गुरुओं ने यीशु को मसीहा होने से अस्वीकार कर दिया था और वे उसे मरवा डालने की योजना बना रहे थे।
- 40:8 अपनी मृत्यु के द्वारा__ यीशु__ ने लोगों के लिये परमेश्वर के पास आने का रास्ता खोल दिया।
- 42:11 ” प्रभु__ यीशु__ स्वर्ग पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया। यीशु सब बातो पर शासन करने के लिए परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठ गया।
- 50:17 यीशु और उसके लोग नई पृथ्वी पर रहेंगे, और यहाँ जो कुछ भी पाया जाता है उसपर हमेशा राज्य करेंगे। वह हर आँसू पोंछ देगा और फिर वहाँ कोई दुख, उदासी, रोना, बुराई, दर्द, या मृत्यु नहीं होगी। यीशु अपने राज्य पर शान्ति व न्याय के साथ शासन करेगा, और वह हमेशा अपने लोगों के साथ रहेगा।
शब्द तथ्य:
- Strong's: G24240, G55470