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स्वप्न

परिभाषा:

स्वप्न मनुष्यों के सोते समय मस्तिष्क में उभरता है।

  • स्वप्न यथार्थ घटना प्रतीत होते हैं जबकि वे होते नहीं हैं।
  • कभी-कभी परमेश्वर स्वप्नों द्वारा मनुष्यों को कुछ सिखाता है। परमेश्वर स्वप्नों में मनुष्यों से सीधी बातें भी करता है।
  • बाइबल में परमेश्वर ने कुछ लोगों को विशेष स्वप्नों द्वारा सन्देश दिए, अक्सर भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में।
  • स्वप्न दर्शन से भिन्न होता है। स्वप्न मनुष्य को नींद में दिखाई देते हैं परन्तु दर्शन जागृत अवस्था में दिखाई देते हैं।

(यह भी देखें: दर्शन)

बाइबल सन्दर्भ:

बाइबल कहानियों से उदाहरण:

  • 08:02 यूसुफ के भाई उससे बैर रखते थे क्योंकि जब यूसुफ के भाइयो ने देखा कि हमारा पिता हम सबसे अधिक उसी से प्रीति रखता है, और यूसुफ ने स्वप्न में देखा था कि वह अपने भाइयो पर राज्य करेगा।
  • 08:06 एक रात को मिस्र के राजा ने, जिसे फ़िरौन कहते है उसने रात में दो स्वप्न देखे जो उसे निरंतर परेशान कर रहे थे। जो स्वप्न उसने देखा उसका फल बताने वाला कोई भी नहीं है।
  • 08:07 परमेश्वर ने यूसुफ को यह योग्यता दी थी कि वह स्वप्न का अर्थ समझ सके, इसलिये फ़िरौन ने यूसुफ को बंदीगृह से बुलवा भेजा। यूसुफ ने उसके लिये स्वप्न की व्याख्या की और कहा कि “सारे मिस्र देश में सात वर्ष तो बहुतायत की उपज के होंगे, और उनके पश्चात् सात वर्ष अकाल के आयेंगे।”
  • 16:11 उसी रात जब गिदोन मिद्यानियों के डेरे में आया तब एक मिद्यानी सैनिक अपने संगी से अपना स्वप्न कह रहा था। वह जन अपने संगी से कह रहा था, “कि इस स्वप्न का अर्थ यह हुआ कि गिदोन की सेना हरा देंगी मिद्यानियों की सेना को।”
  • 23:01 अत: यूसुफ ने जो धर्मी था और उसको बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने का विचार किया। जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई दिया।

शब्द तथ्य:

  • Strong's: H1957, H2472, H2492, H2493, G1797, G1798, G3677