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स्तुति, भजन, स्तुति की, स्तुति के योग्य ,

परिभाषा:

किसी की प्रशंसा करना अर्थात उस व्यक्ति को सराहना तथा सम्मानित करना.

  • मनुष्य परमेश्वर की स्तुति करता है क्योंकि वह महान है और उसने का उद्धारकर्ता एवं सृजनहार होने के कारण उसने अद्भुत काम किए हैं.
  • परमेश्वर की स्तुति में उसके कामों के लिए धन्यवाद किया जाता है.
  • परमेश्वर की स्तुति में प्रायः संगीत और भजन गान होते हैं.
  • परमेश्वर की स्तुति उसकी आराधना का एक अर्थपूर्ण भाग है.
  • “स्तुति करना” का अनुवाद हो सकता है, “किसी के बारे में अच्छी बात कहना” या “शब्दों द्वारा उच्च सम्मान करना” या “किसी का गुणगान करना.”
  • “स्तुति” संज्ञा शब्द का अनुवाद हो सकता है,“उच्चारित सम्मान” या “सम्मान सूचक उदगार” या “के बारे में अच्छाईयों का आख्यान”.

(यह भी देखें: आराधना)

बाइबल सन्दर्भ:

बाइबल कहानियों से उदाहरण:

  • 12:13 इस्राएलियों ने अपनी नई स्वतन्त्रता के उत्सव में और परमेश्वर की __स्तुति__में अनेक भजन गाये क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें मिस्र की सेना से बचायाथा.
  • 17:08 जब दाऊद ने ये शब्द सुने, उसने तुरन्त ही परमेश्वर को धन्यवाद दिया और परमेश्वर की स्तुति की, क्योंकि परमेश्वर ने दाऊद से इस महान गौरव और बहुत सी आशीषों की वाचा बाँधी थी .
  • 22:07 तब जकरयाह ने कहा कि, “प्रभु परमेश्वर धन्य हो, क्योंकि उसने अपने लोगों पर दृष्टि की और उनका छुटकारा किया है.
  • 43:13 और (चेले) एकजुट परमेश्वर की स्तुति करते हुए आनन्द करते थे और वे अपनी हर वस्तु एक दुसरे के साथ बांटते थे.
  • 47:08 उन्होंने पौलुस और सीलास को बंदीगृह के सबसे सुरक्षित स्थान में रखा था और यहां तक कि उनके पैरों को भी बांध रखा था, फिर भी, आधी रात को पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे थे.

शब्द तथ्य:

  • स्ट्रोंग्स: H1319,H7121, G2980, G3853