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मन्दिर
तथ्य:
मन्दिर पर कोटे से घिरा हुआ एक भवन था जहां इस्राएली प्रार्थना करने और बलि चढ़ाने आते थे। यह मन्दिर मोरिय्याह पर्वत पर यरूशलेम नगर में था।
- मन्दिर शब्द संपूर्ण मन्दिर क्षेत्र के संदर्भ में काम में लिया जाता था जिसमें प्रमुख भवन का घिरा हुआ प्रांगण भी था। कभी-कभी यह मात्र भवन के संदर्भ में काम में लिया गया है।
- मन्दिर के दो भाग थे, पवित्र स्थान और परमपवित्र स्थान।
- परमेश्वर मन्दिर को अपना निवास स्थान कहता था।
- राजा सुलैमान ने अपने शासनकाल के दौरान मंदिर का निर्माण किया। यह यरूशलेम में पूजा का स्थायी स्थान माना जाता था।
- नये नियम में कहा गया है, “पवित्र-आत्मा का मन्दिर” तो वह विश्वासियों के समूह को संदर्भित करता है क्योंकि पवित्र आत्मा उनमें वास करता है।
अनुवाद के सुझाव:
- मन्दिर में मनुष्यों की उपस्थिति की जब चर्चा की गई है तो इसका अर्थ है कि वे भवन के बाहर प्रांगण में थे। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “मन्दिर के आंगनों में” या “मन्दिर के प्रांगण में”।
- जब भवन की चर्चा की जा रही हो तो कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद होगा, “मन्दिर में” या “मन्दिर के भवन में” कि स्पष्ट समझ में आए।
- “मन्दिर” अनुवाद के रूप “परमेश्वर का पवित्र घर” या “पवित्र आराधना स्थल” किया जा सकता है।
- बाइबल में मन्दिर का संदर्भ “यहोवा का भवन” या “परमेश्वर का घर” से है।
(यह भी देखें: [बलि], [सुलैमान], [बाबेल], [पवित्र आत्मा], [मिलापवाला तम्बू], [आंगन], [सिय्योन], [घराना])
# बाइबल सन्दर्भ:
- [प्रे.का. 03:1-3]
- [प्रे.का. 03:7-8]
- [यहेजकेल 45:18-20]
- [लूका 19:45-46]
- [नहेमायाह 10:28-29]
- [भजन संहिता 079:1-3]
बाइबल कहानियों से उदाहरण:
*[17:06] दाऊद चाहता था कि वह एक मंदिर का निर्माण करें जिसमें सभी इस्राएली परमेश्वर की उपासना करें और बलिदान चढाएँ।
- __[18:02]__यरुशेलम में, सुलैमान ने अपने पिता की योजना के अनुसार एक भवन बनाने का निर्णय किया और उसके लिए समान एकत्र किया | अब लोग मिलापवाले तम्बू के स्थान पर उस भवन में परमेश्वर की उपासना करते और बलिदान चढ़ाते थे | परमेश्वर भवन में उपस्थित था, और वह अपने लोगों के साथ रहता था |
- [20:07] उन्होंने यरूशलेम को जित लिया, मंदिर का विनाश कर दिया, और शहर व मंदिर की सभी बहुमूल्य वस्तुओं को उनसे छीन कर ले गए |
- [20:13] जब वह लोग वापस यरूशलेम लौटे, उन्होंने मंदिर और साथ ही शहर की आस पास की दीवारों का भी पुनर्निर्माण किया |
- [25:04] तब शैतान यीशु को मंदिर के ऊचे स्थान पर ले गया और उससे कहा, “ यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है: ‘वह तेरे लिये अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, और वह तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे | कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे |'"
- [40:07] जैसे ही यीशु की मृत्यु हुई, वहा भूकंप आया और मंदिर का बड़ा परदा जो मनुष्यों को परमेश्वर की उपस्तिथि से दूर रखता था ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया |
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