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# स्वर्ग, आकाश, आकाशमण्डल, स्वर्गीय
## परिभाषा:
जिस शब्द का अनुवाद, “स्वर्ग” किया गया है उसका सन्दर्भ प्रायः उस स्थान से है जहाँ परमेश्वर रहता है। प्रकरण के आधार पर इस शब्द का अर्थ “आकाश” भी हो सकता है।
* “आकाशमण्डल” का संदर्भ उन सब से है जिनको हम पृथ्वी के ऊपर देखते हैं, इनमें सूर्य, चाँद और सितारे भी हैं। उसमें ऐसे आकाशीय पिण्ड भी हैं जिन्हें हम पृथ्वी से अपरोक्ष देख नहीं सकते हैं।
* “आकाश” शब्द पृथ्वी के ऊपर नीली विस्तार से है जिसमें बादल हैं और हमारी श्वास वायु व्याप्त है| सूर्य और चंद्रमा के लिए भी प्रायः कहा जाता है कि वे "ऊपर आकाश में" हैं।
* बाइबल के कुछ संदर्भों में “स्वर्ग” का अर्थ आकाश या परमेश्वर का निवास स्थान से भी होता है।
## अनुवाद के सुझाव:
* मत्ती की पुस्तक में “स्वर्ग का राज्य” के अनुवाद में “स्वर्ग” को ही रखा जाए क्योंकि यह शब्द मत्ती रचित सुसमाचार का एक विशिष्ट शब्द है।
* “आकाशमण्डल” या “तारागण” का अनुवाद किया जा सकता है, “सूर्य, चाँद और सितारे” या “ब्रह्माण्ड में सब सितारे”।
* “आकाश के तारों” का अनुवाद किया जा सकता है, “आकाश के सितारे” या “मंदाकिनी के सितारे” या “ब्रह्माण्ड के सितारे”
(यह भी देखें: [परमेश्वर का राज्य](../kt/kingdomofgod.md))
## बाइबल सन्दर्भ:
* [1 राजा 8:22-24](rc://hi/tn/help/1ki/08/22)
* [1 थिस्सलुनीकियों 1:8-10](rc://hi/tn/help/1th/01/08)
* [1 थिस्सलुनीकियों 4:17](rc://hi/tn/help/1th/04/17)
* [व्यवस्थाविवरण 9:1](rc://hi/tn/help/deu/09/01)
* [इफिसियों 6:9](rc://hi/tn/help/eph/06/09)
* [उत्पत्ति 1:1](rc://hi/tn/help/gen/01/01)
* [उत्पत्ति 7:11](rc://hi/tn/help/gen/07/11)
* [यूहन्ना 3:12](rc://hi/tn/help/jhn/03/12)
* [यूहन्ना 3:27](rc://hi/tn/help/jhn/03/27)
* [मत्ती 5:18](rc://hi/tn/help/mat/05/18)
* [मत्ती 5:46-48](rc://hi/tn/help/mat/05/46)
## बाइबल की कहानियों के उदाहरण:
* __[4:2](rc://hi/tn/help/obs/04/02)__ फिर उन्होंने __स्वर्ग__ तक ऊंचा गुम्लंमत बनाना आरम्भ किया।
* __[14:11](rc://hi/tn/help/obs/14/11)__ उसने (परमेश्वर) उन्हें __स्वर्ग__ से रोटी दी, “जिसे मन्ना कहते थे।”
* __[23:7](rc://hi/tn/help/obs/23/07)__ तब एकाएक स्वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्तुति करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया, “__आकाश__ में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है, शान्ति हो।”
* __[29:9](rc://hi/tn/help/obs/29/09)__ तब यीशु ने कहा, “इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो __स्वर्ग__ में है , तुम से भी वैसा ही करेगा।”
* __[37:9](rc://hi/tn/help/obs/37/09)__ तब यीशु ने __स्वर्ग__ की ओर देखा और कहा, “हे पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरी सुन ली है।
* __[42:11](rc://hi/tn/help/obs/42/11)__ प्रभु यीशु उनसे बातें करने के बाद __स्वर्ग__ पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया।
## शब्द तथ्य:
* स्ट्रोंग्स: H1534, H6160, H6183, H7834, H8064, H8065, G09320, G20320, G33210, G37700, G37710, G37720