* “देह” शब्द मृतक मनुष्य या मृतक पशु के संदर्भ में भी काम में आता है। कभी ऐसी देह के “मृतक देह” या “लोथ” कहा गया है।
* अन्तिम फसह के भोजन के समय यीशु ने रोटी तोड़कर अपने शिष्यों से कहा था, “यह मेरी देह है” तो वह अपने शरीर के बारे में कह रहा था जो उनके पापों के लिए तोड़ (मार डाला) जाएगा।
* बाइबल में विश्वासियों के समूह को “मसीह की देह” कहा गया है।
* जैसे शरीर के अनेक अंग होते हैं वैसे ही “मसीह की देह” के अनेक सदस्य हैं।
* मसीह की देह में प्रत्येक विश्वासी का अपना एक विशेष कार्य है जिससे सम्पूर्ण समुदाय को सहता मिलती है कि परमेश्वर की सेवा और उसके महिमान्वन निमित्त एल्जुत होकर कार्य करें|
* यीशु को उसके विश्वासियों की “देह” का “सिर” (अगुआ) भी कहा गया है। जैसे मनुष्य का सिर अपने शरीर को निर्देश देता है कि उसे क्या करना है वैसे ही यीशु है जो विश्वासियों का, अर्थात उसकी "देह" के अंगों का पथप्रदर्शन करता है और उनको निर्देश देता है|
* इस शब्द के सर्वोत्तम अनुवाद हेतु लक्षित भाषा में शरीर के लिए सामान्यतः काम में लिए जाने वाले शब्द का उपयोग किया जाए। सुनिश्चित करें कि जिस शब्द का उपयोग किया गया है वह अस्वीकार्य तो नहीं।
* कुछ भाषाओं में विश्वासियों का सामूहिक संदर्भ देते समय उनको “मसीह की आत्मिक देह” कहना अधिक स्वाभाविक एवं उचित होगा।
* जब यीशु कहता है, “यह मेरी देह है" तो इसका अनुवाद ज्यों का त्यों करना ही अधिक उचित होगा और यदि आवशक हो तो व्याख्या हेतु टिपण्णी दी जाए|
* कुछ भाषाओं में मृतक देह के लिए एक अलग शब्द प्रयोग किया जाता है जैसे मनुष्य के लिए “शव” और पशु के लिए “लोथ।” सुनिश्चित करें कि इस शब्द का अनुवाद संदर्भ में अर्थपूर्ण हो और स्वीकार्य भी हो।