बोझ कोई भारी वस्तु हो सकता है. इसका मूल अर्थ में सन्दर्भ किसी पदार्थ सम्बन्धी भार से होता है जिसे पशु द्वारा उठाया जाता है. "बोझ" शब्द के अनेक प्रतीकात्मक अर्थ भी हैं.
* बोझ का सन्दर्भ किसी मनुष्य के कठिन दायित्व या महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व से भी होता है. उसके लिए कहा जाता है कि वह “भारी बोझ” "उठा रहा है" या “से दबा है.”
* निर्दयी शासक अपनी जनता पर बोझ डालता है जैसे उनसे बलात बहुत अधिक कर वसूल करना.
* जो मनुष्य किसी पर बोझ होना नहीं चाहता वह किसी के लिए कष्ट का कारण नहीं होना चाहता है.
* मनुष्य के लिए दोष उसके लिए एक बोझ है.
* “प्रभु का भारी वचन” भविष्यद्वक्ता द्वारा परमेश्वर की प्रजा को सुनाए गए “परमेश्वर के सन्देश” की आलंकारिक अभिव्यक्ति है.
* ”बोझ” जिसका अनुवाद हो सकता है, “दायित्व” या “कर्तव्य” या “भारी बोझ” या “सन्देश” प्रकरण के अनुसार जैसा भी हो.