* परमेश्वर ने अपनी सृष्टि की हर एक रचना के माध्यम से और अपने उच्चारित एवं लिखित सन्देश के माध्यम से मनुष्य के साथ संपर्क द्वारा भी स्वयं को प्रकट किया है।
* पौलुस कहता है कि उसने “मसीह यीशु के प्रकाशन द्वारा” सुसमाचार प्राप्त किया है तो उसके कहने का अर्थ है कि यीशु ने स्वयं उसे सुसमाचार का ज्ञान प्रदान किया है।
* नये नियम की पुस्तक, “प्रकाशितवाक्य” अन्त समय के संबन्धित घटनाओं का परमेश्वर द्वारा प्रकाशन है। उसने दर्शनों द्वारा प्रेरित यूहन्ना पर सब प्रकट किया था।
* सन्दर्भ के अनुसार “प्रकाशन” के संभावित अनुवाद हो सकते हैं, “परमेश्वर से संपर्क” या “परमेश्वर ने जो बातें प्रकट की” या “परमेश्वर के विषय में शिक्षाएं”। अच्छा तो यही होगा कि अनुवाद में इसी शब्द, “प्रकट करना” का अर्थ रखा जाए।
* इस अभिव्यक्ति, "जहां प्रकाशन नहीं" का अनुवाद हो सकता है, "जब परमेश्वर मनुष्यों पर प्रकट नहीं हो रहा है" या "जब परमेश्वर मनुष्यों से बातें नहीं कर रहा है" या मनुष्यों में परमेश्वर का संचार नहीं है"