* “दुख उठाना” का अनुवाद “पीड़ा का अनुभव करना” या “कठिनाइयों का सामना करना" या "क्लेश और कष्टदायक अनुभव होना"।
* संदर्भ के आधार पर, "पीड़ा" का अनुवाद "अत्यंत कठिन परिस्थितियों" या "गंभीर कठिनाइयों" या "कठिनाई क्लेशों का अनुभव" या "दर्दनाक अनुभवों का समय" के रूप में किया जा सकता है।
* __[09:13](rc://hin/tn/help/obs/09/13)__ परमेश्वर ने कहा, “मैं ने अपनी प्रजा के लोग जो मिस्र में है उनके __दुःख__ को निश्चय देखा है |”
* __[38:12](rc://hin/tn/help/obs/38/12)__ यीशु ने तीन बार प्रार्थना की, “हे मेरे पिता, यदि हो सके तो यह __दुःख__ का कटोरा मुझे न पड़े |
* __[42:3](rc://hin/tn/help/obs/42/03)__ उसने(यीशु) उन्हें भविष्यद्वक्ताओं के वचन स्मरण कराए कि मसीह __दुःख उठाएगा__ और मारा जाएगा और फिर तीसरे दिन जी उठेगा |
* __[42:7](rc://hin/tn/help/obs/42/07)__ उसने(यीशु) कहा, “लिखा है कि मसीह __दुःख__ उठाएग, मारा जायेगा और तीसरे दिन मरे हुओ में से जी उठेगा |”
* __[44:5](rc://hin/tn/help/obs/44/05)__ यधपि तुम जानते नहीं थे कि क्या करते हो, परन्तु परमेश्वर ने तुम्हारे कामो द्वारा ही भविष्यवाणियों को पूरा करने के लिए, कि उसका मसीह __दुःख उठाएगा__, और मारा जाएँगा |
* __[46:4](rc://hin/tn/help/obs/46/04)__ प्रभु ने कहा, "तू चला जा क्योंकि वह तो अन्यजातियों और राजाओं के सामने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है | और मैं उसे बताऊँगा कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा कैसा __दुःख उठाना__ पड़ेगा |”
* __[50:17](rc://hin/tn/help/obs/50/17)__ वह हर आँसू पोंछ देगा और फिर वहाँ कोई __दुख__, उदासी, रोना, बुराई, दर्द, या मृत्यु नहीं होगी |