* अशुद्ध मनुष्य वह है जो अपवित्र व्हैयवहार करता है और परमेश्वर का आदर नहीं करता है ।
* "अशुद्ध करना" क्रिया शब्द का अनुवाद हो सकता है: "अपवित्रता से व्यवहार करना" या "श्रृद्धा रहित व्यवहार करना" या "आदर नहीं करना ।"
* परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा था कि उन्होंने अपने आप को “अशुद्ध” कर लिया है। अर्थात् वे मूर्ति पूजा के पाप से “अपवित्र” या “अपमानजनक” हो गए थे। वे परमेश्वर का निरादर भी कर रहे थे।
* प्रकरण के अनुसार विशेषण शब्द “अशुद्ध” का अनुवाद हो सकता है: “सम्मान से रहित” या "अभक्त"या “अपवित्र”।