* __[33:07](rc://hi/tn/help/obs/33/07)__ “वैसे ही जो पथरीली भूमि पर बोए जाते है, ये वे हैं जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते है | इसके बाद जब वचन के कारण उन पर __उपद्रव__ होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते है |”
* __[45:06](rc://hi/tn/help/obs/45/06)__ उसी दिन,कई लोग यरूशलेम में यीशु मसीह पर विश्वास करने वालो पर बड़ा __उपद्रव__ करने लगे, इसलिए विश्वासी अन्य स्थानों में भाग गए |
* __[46:02](rc://hi/tn/help/obs/46/02)__ शाऊल ने यह शब्द सुना, “हे शाऊल! हे शाऊल, तू मुझे क्यों __सताता__ है?” उसने पूछा, “हे प्रभु तू कौन है?” यीशु ने उसे उत्तर दिया कि, “मैं यीशु हूँ जिसे तू __सताता__ है |”
* __[46:04](rc://hi/tn/help/obs/46/04)__ परन्तु हनन्याह ने कहा, "हे प्रभु मैनें इस मनुष्य के विषय में सुना है कि इसने तेरे पवित्र लोगों के साथ बड़ी __बुराइयाँ__ की है |"