“सेवा करना” अर्थात् किसी से स्वामी की या राज करने वाले देश की सेवा कराना। “दास बनाया जाना” या “बन्धुआई में होना” अर्थात् किसी बात को या किसी व्यक्ति के वश में होना।
* दासत्व में या बन्धुवाई में होने वाला मनुष्य बिना मजदूरी किसी की सेवा करनी होती है, वह अपनी इच्छा से कुछ नहीं कर सकता है। “बन्धुआई में होना” का अन्य शब्द "दासत्व" है।
* नए नियम में मनुष्य को पाप के “दासत्व” में कहा है जब तक कि यीशु उन्हें उसके नियंत्रण एवं सामर्थ्य से मुक्त न कराए। जब एक व्यक्ति मसीह में नया जीवन पाता है तब वह पाप का दास नहीं रहता है और वह धार्मिकता का दास हो जाता है।