* परमेश्वर ने स्वर्गदूतों को अपनी सेवा हेतु सृजा था. शैतान ने जब परमेश्वर से विरोध किया तब कुछ स्वर्गदूतों ने उसके साथ विद्रोह किया और वे स्वर्ग से बाहर गिरा दिए गए. माना जाता है कि दुष्टात्माएं ये “पतित स्वर्गदूत” हैं.
* इन दुष्टात्माओं को कभी-कभी “अशुद्ध आत्माएं” भी कहा गया है. “अशुद्ध” अर्थात “अपवित्र” या “दुष्ट” या “अशुद्ध”
* शैतान की सेवा में होने के कारण वे बुरा काम करती हैं. कभी-कभी वे मनुष्यों में प्रवेश करके उसे वश में कर लेती हैं.
* वे मनुष्य से अधिक सामर्थी होती हैं परन्तु परमेश्वर के तुल्य सामर्थी नहीं हैं.
* “अशुद्ध आत्मा” का अनुवाद हो सकता है, “मलीन आत्मा” या “भ्रष्ट आत्मा” या “बुरी आत्मा.”
* सुनिश्चित करें कि इस शब्द का अनुवाद करते समय कोई भी शब्द या उक्ति उस शब्द के समानार्थक न हो जो शैतान के लिए काम में लिया जाए.
* ध्यान दे कि “दुष्टात्मा” शब्द का अनुवाद स्थानीय या राष्ट्रीय भाषा में कैसे किया गया है. (देखें: [अपरिचित शब्दों का अनुवाद कैसे करे](rc://hi/ta/man/translate/translate-unknown))
* __[26:09](rc://hi/tn/help/obs/26/09)__ बहुत से लोग जिनमें __दुष्ट-आत्मा__ थी, उन्हें यीशु के पास लाया गया. यीशु की आज्ञा पर__ दुष्ट-आत्माएँ__प्राय: यह चिल्लाते हुए बाहर निकलती थी, “तू परमेश्वर का पुत्र है!”
* __[32:08](rc://hi/tn/help/obs/32/08) __दुष्टात्माएं __ उस आदमी में से निकलकर सूअरों में प्रवेश कर गईं.
* __[47:05](rc://hi/tn/help/obs/47/05)__ अत: एक दिन जब वह दासी चिल्लाने लगी, पौलुस ने मुड़कर उस __आत्मा__ से जो उसमे थी कहा, “यीशु के नाम में, उसमें से निकल जा." उसी घड़ी वह __दुष्ट आत्मा__ उसमें से निकल गई.
* __[49:02](rc://hi/tn/help/obs/49/02)__ वह पानी पर चला, तूफान को शांत किया, बहुत से बीमारों को चंगा किया, __दुष्टात्माओं__ को निकाला, मुर्दों को जीवित किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को 5,000 लोगों के लिए पर्याप्त भोजन में बदल दिया.