* आरंभ में परमेश्वर का पुत्र ब्रह्माण्ड की रचना में सक्रिय था, पिता और पवित्र आत्मा के साथ। परमेश्वर पुत्र होने के कारण यीशु पिता परमेश्वर से प्रेम करता है और उसकी आज्ञाओं का पालन करता है और उसका पिता. परमेश्वर उससे प्रेम करता है।
* सुनिश्चित करें कि “पुत्र” शब्द उस शब्द से सुसंगत हो जिसको पिता के लिए काम में लिया गया है और ये शब्द पिता-पुत्र का संबन्ध दर्शाने के लिए लक्षित भाषा में अति सामान्य शब्द हैं।
* “पुत्र” शब्द को यदि कुछ इस प्रकार लिखा जाए कि उससे उसकी परमेश्वर होने की विशिष्टता प्रकट हो तो उचित होगा जैसे अंग्रेजी भाषा में “एस” अक्षर को बड़ा लिख सकते हैं।
* __[22:5](rc://hi/tn/help/obs/22/05)__ स्वर्गदूत ने उसको समझाया, "पवित्र आत्मा तुम्हारे पास आएगा, और परमेश्वर की शक्ति तुम पर छाया करेगी। इसलिए बच्चा पवित्र होगा, __परमेश्वर का पुत्र __।"
* __[24:9](rc://hi/tn/help/obs/24/09)__परमेश्वर ने यूहन्ना से कहा था कि, “पवित्र आत्मा किसी एक पर उतरेगा जिसे तू बपतिस्मा देगा। वह __परमेश्वर का पुत्र__ है।"
* __[31:8](rc://hi/tn/help/obs/31/08)__ चेले चकित थे। उन्होंने यीशु की आराधना की, और कहा, "सचमुच, तू __परमेश्वर का पुत्र__ हैं।";
* __[37:5](rc://hi/tn/help/obs/37/05)__ मार्था ने उत्तर दिया, "हां, स्वामी! मेरा विश्वास है कि तू मसीहा है, __परमेश्वर के पुत्र__ ।"
* __[42:10](rc://hi/tn/help/obs/42/10)__ इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता, और __पुत्र __, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ। "
* __[46:6](rc://hi/tn/help/obs/46/06)__ तुरन्त ही, शाऊल दमिश्क के यहूदियों से प्रचार करने लगा कि, "यीशु __परमेश्वर का पुत्र__ है!"
* __[49:9](rc://hi/tn/help/obs/49/09)__ लेकिन परमेश्वर दुनिया में हर किसी से इतना प्यार करता था कि उसने अपना एकमात्र __पुत्र__दे दिया ताकि जो कोई भी यीशु पर विश्वास करे, उसके पापों के लिए दंडित नहीं दिया जाएगा, परन्तु वह हमेशा के लिए परमेश्वर के साथ जीवित रहेगा।