“लहू” शब्द का अर्थ है, मनुष्य के शरीर में जब चोट या घाव लगता है तब उसमें से निकलने वाला लाल रंग का तरल पदार्थ है. लहू मनुष्यों के सम्पूर्ण शरीर में जीवनदायक पोषक तत्त्वों का प्रवाह करता है. बाइबिल में,लहू शब्द का उपयोग उपमा स्वरुप किया गया है कि "जीवन"और/या अन्य अनेक धारणार्ओ का अर्थ प्रकट हो.
* जब मनुष्य परमेश्वर के लिए बलि चढ़ाते थे तब वे पशु का वध करके उसका लहू वेदी पर उण्डेलते थे। यह पशु के जीवन की बलि द्वारा मनुष्यों के पाप का मूल्य चुकाने का प्रतीक था.
* “मांस और लहू” एक अभिव्यक्ति है जो मनुष्यों को संदर्भित करती है.
* “अपना मांस और लहू” यह अभिव्यक्ति मनुष्यों में वांशिक संबन्ध दर्शाती है.
***[08:03](rc://hi/tn/help/obs/08/03)**घर लौटने से पूर्व युसूफ के भाइयों ने यूसुफ के कपड़े लिये, और एक बकरे को मार के उसके **लहू** में उन्हें डुबा दिय.
***[10:03](rc://hi/tn/help/obs/10/03)** परमेश्वर ने नील नदी को **लहू** कर दिया, परन्तु फ़िरौन ने फिर भी इस्राएलियों को नहीं जाने दिया.
***[11:05](rc://hi/tn/help/obs/11/05)** सभी इस्राएलियों के घरों के द्वार पर **लहू** था , परमेश्वर उन घरों को छोड़ कर आगे बड़ गया और अन्दर हर एक जन सुरक्षित था. वे मेम्ने के **लहू** के द्वारा बच गए थे.
***[13:09](rc://hi/tn/help/obs/13/09)** बलि किये गए पशु का **लहू** मनुष्य के पाप को ढांकता था और परमेश्वर की दृष्टी में उस मनुष्य को शुद्ध करता था.
***[38:05](rc://hi/tn/help/obs/38/05)** तब यीशु ने कटोरा लिया और कहा, "इसे पी लो.. यह नई वाचा का मेरा **लहू** है जो पापों की क्षमा के लिए उंडेल दिया गया है.
***[48:10](rc://hi/tn/help/obs/48/10)** जब कोई यीशु पर विश्वास करता है, यीशु का **लहू** उस व्यक्ति के सब पापों को दूर कर देता है, और परमेश्वर का दण्ड उस व्यक्ति के ऊपर से हट जाता है.