"नाम" शब्द उस शब्द को संदर्भित करता है जिसके द्वारा किसी विशिष्ट व्यक्ति या वस्तु को बुलाया जाता है। तथापि, बाइबल में "नाम" शब्द का उपयोग अनेक भिन्न रूपों में किया जाता है कि अनेक भिन्न-भिन्न अव्धार्नाओं को संदर्भित करें|
* कुछ संदर्भों में “नाम” मनुष्य की प्रतिष्ठा का संदर्भ देता है जैसा कि "हम अपने लिए एक नाम बनाते हैं।"
* “नाम” शब्द किसी स्मृति का संदर्भ भी देता है। उदाहरणार्थ “मूर्तियों का नाम मिटा दो”, अर्थात मूर्तियों को ऐसे नष्ट कर दो कि उनकी स्मृति ही न रहे या उनकी पूजा न की जाए।
* “परमेश्वर के नाम में” बोलना अर्थात उसके सामर्थ्य और अधिकार में या उसके प्रतिनिधि होकर बोलना।
* किसी का “नाम” संपूर्ण मनुष्य का संदर्भ देता है जैसे “आकाश के नीचे कोई और नाम नहीं जिससे हम उद्धार पाते हैं।” (देखें: [लक्षणालंकार](rc://hi/ta/man/translate/figs-metonymy))
* “अपना नाम करें”, इस अभिव्यक्ति का अनुवाद हो सकता है, "अनेक मनुष्यों में अपनी पहचान बनाने का कारण उत्पन्न करें" या “मनुष्यों को सोचने पर विवश करें कि हम महत्वपूर्ण हैं।”
* इस अभिव्यक्ति, "उसका नाम पुकारना" का अनुवाद हो सकता है "उसे नाम देना" या "उसे पुकारना"।
* "जो लोग आपके नाम से प्रेम रखते हैं", इस अभिव्यक्ति का अनुवाद हो सकता है, "जो आपसे प्रेम रकते हैं"
* "मूर्तियों के नाम मिटा दे", इस अभिव्यक्ति का अनुवाद हो सकता है, "मूर्तियों से छुटकारा पाना कि वे याद भी न आये" या "लोगों को झूठे देवताओं की पूजा करना बंद करने का कारण उत्पन्न करना " या "सभी मूर्तियों को पूरी तरह से नष्ट कर दें तकि लोग आगे को उनके बारे में सोचे भी नहीं"