बाइबल में “उजियाला” शब्द के अनेक प्रतीकात्मक उपयोग किए गए हैं। इसका उपयोग अधिकतर धार्मिकता, पवित्रता और सत्य के रूपकों द्वारा किया जाता है। (देखें: [उपमा](rc://en/ta/man/translate/figs-metaphor))
* यीशु ने कहा, “जगत की ज्योति मैं हूँ” उसके कहने का अर्थ था वह संसार को परमेश्वर का सच्चा सन्देश सुनाता है और मनुष्यों को उनके पापों के अन्धकार से उबारता है।
* विश्वासियों को आज्ञा दी गई है, “ज्योति में चलो” अर्थात् उन्हें परमेश्वर की इच्छा के अनुसार जीवन जीना है और बुराई से बचना है।
* प्रेरित यूहन्ना ने कहा, “परमेश्वर ज्योति है” और उसमें अन्धकार नहीं
* ज्योति और अन्धकार एक दूसरे के पूर्णतः विपरीत हैं। अन्धकार का अर्थ है ज्योति का अभाव।
* यीशु ने कहा कि वह “जगत की ज्योति है” और उसके अनुयायियों को संसार में ज्योति की नाई चमकना है, उन्हें ऐसा जीवन रखना है जिससे स्पष्ट प्रकट हो कि परमेश्वर कैसा महान है।
* “ज्योति में चलो” अर्थात् ऐसा जीवन रखो जिससे परमेश्वर प्रसन्न होता है अर्थात् भलाई और उचित काम करो। अन्धकार में चलने का अर्थ है, परमेश्वर से विद्रोह करना और परेशान करना।
* अनुवाद में “ज्योति” और “अन्धकार” शब्दों को ज्यों का त्यों रखा जाए चाहे उनका उपयोग प्रतीकात्मक हो।
* अभिलेख की तुलना की व्याख्या करना आवश्यक है। उदाहरणार्थ, “ज्योति की सन्तान की नाईं चलो” इसका अनुवाद हो सकता है, खुला धर्मी जीवन जीओ जैसे कोई सूर्य के तीव्र प्रकाश में चलता है”।
* सुनिश्चित करो कि “उजियाला” का अनुवाद ऐसा संकेत दे कि वह ज्योति का स्रोत है जैसे दीपक। इस शब्द का अनुवाद उजियाला ही का संदर्भ है।