* मसीह यीशु यहूदी था। परन्तु यहूदी धर्म के अगुओं ने यीशु का इन्कार किया और उसको मार डालने की मांग की।
* “यहूदी शब्द प्रायः यहूदियों के अगुओं के संदर्भ में लिया जाता था, सब यहूदियों के लिए नहीं। इन संदर्भों में कुछ अनुवादों में “के अगुवे” जोड़ा जाता है कि अर्थ स्पष्ट व्यक्त हो।
* __[20:11](rc://en/tn/help/obs/20/11)__ इस्राएलियों को अब __यहूदी__ कहा जाता था और उनमें से अधिकतर लोगों ने अपना पूरा जीवन बेबीलोन में व्यतीत किया था।
* __[20:12](rc://en/tn/help/obs/20/12)__ अत: सत्तर वर्ष तक निर्वासन के बाद, __यहूदियों__ का एक छोटा समूह यरूशलेम को वापस लौट आया।
* __[37:10](rc://en/tn/help/obs/37/10)__ अनेक __यहूदी__ उसका यह काम देखकर, उस पर विश्वास किया।
* __[37:11](rc://en/tn/help/obs/37/11)__ परन्तु __यहूदियों__ के धार्मिक गुरु यीशु से ईर्षा रखते थे, इसलिये उन्होंने आपस में मिलकर योजना बनाना चाहा कि कैसे वह यीशु और लाजर को मरवा सके।
* __[40:02](rc://en/tn/help/obs/40/02)__ पिलातुस ने आज्ञा दी कि यीशु के सिर के ऊपर क्रूस पर यह लिख कर लगा दिया जाए कि, “यह __यहूदियों__ का राजा है।”
* __[46:06](rc://en/tn/help/obs/46/06)__तुरन्त ही, शाऊल दमिश्क के __यहूदियों__ से प्रचार करने लगा कि, "यीशु परमेश्वर का पुत्र है!"