* जिस प्रकार भवन के कोने का पत्थर संपूर्ण भवन की स्थिति को संभालता है और सहारा देता है ठीक उसी प्रकार मसीह यीशु विश्वासियों की सभा का कोने का पत्थर है जिसके द्वारा वह संभाली हुई एवं स्थिर है।
* यह महत्वपूर्ण है कि इस पत्थर के बड़े होने का तथ्य निहित हो जो भवन के लिए एक ठोस एवं सुरक्षित सामग्री स्वरूप काम में लिया जाता है। यदि भवन निर्माण में पत्थर काम में नहीं लिए जाते हैं तो कोई और शब्द होगा जिसका उपयोग किया जा सकता है और उसका अर्थ, "बड़ा पत्थर" हो (जैसे "चट्टान") परन्तु उसमें विचार यह हो कि उसको उचित आकार दिया गया है कि वह यथास्थान बैठे।