Fri Apr 22 2016 20:18:21 GMT+0530 (India Standard Time)
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5a0eb7ca53
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फेर पणमेश्वर नै कह्या'"धरती पे सारी ढाळ के पेड़ पौधे उगै |अर उसाये हो गया| पणमेश्वर ने देख्यां के ज्यो सृष्टि उसने करी सै वोआच्छी सै|
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सृष्टि के छठे दिन पै , पणमेश्वर ने कहया " सारे ढाण की धरती के जनवर हो जायै !" अर यो पंणमेश्वर ने जिस्या कहया उसाये हो ग्या | किम्मै जमीन पे रेगने आळे , किम्मै खेत आळै अर किम्मै जंगली जानवर थै | अर पणमेश्वर ने देख्या कि यों आच्छा सै|
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फेर पणमेश्वर ने किम्मे माट्टी ली,अर उसते एक माणस बणाया, अर उसमे जीवण की सांस फूँक दी इस माणस का नां आदम था पणमेश्वर ने आदम के रहण खातर एक बगीचा बणाया| अर बगीचा की रुखाळी करण खातर उड़े राख्या |
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बगीचे के बीच म्ह,पणमेश्वर ने दो खास पेड़ जीवण का पेड़ अर आच्छे अर बुरे के ज्ञान का पेड़ लगाया| पणमेश्वर ने आदम ते कह्या के वो आच्छे अर बुरे के ज्ञान के पेड़ के फल को छोड़ बगीचे के किस्से भी पेड़ का फल खा सके सै |जै वो इस पेड़ का फल खावे ,तो मर जावैगा |
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फेर पणमेश्वर ने कह्या "माणस का एकला रहणा आच्छा कोण्या सै| पर जिनावरां म्ह ते कोई भी माणस का सहायक न्ही बण सकै
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था |
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पणमेश्वर ने अपणे सरूप म्ह माणस अर लुगाई ताहि बणाया |अर पणमेश्वर ने देख्या के आच्छा सै| उसनैै उन्ताही आशिष दिया अर उनते कह्या "घणै छोरये अर पोतये जाम्मो अर धरती म्ह भर जाओ " या सारी रचना सृष्टि के छट्टे दिन म्ह होया|
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2. pap
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