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21:1u8u1पौलुस के समय से पूर्व परमेश्वर ने किस माध्यम से सुसमाचार की प्रतिज्ञा की थी?परमेश्वर ने पवित्र धर्मशास्त्र में अपने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा सुसमाचार की पूर्व प्रतिज्ञा की थी।
31:3wan1शरीर के अनुसार परमेश्वर का पुत्र किसके वंशजों में जन्मा था?शरीर के अनुसार परमेश्वर का पुत्र दाऊद के वंशजों में जन्मा था।
41:4r8ftकिस घटना के द्वारा मसीह यीशु को परमेश्वर का पुत्र घोषित किया गया था?मसीह यीशु पुनरुत्थान के द्वारा परमेश्वर का पुत्र कहलाया।
51:5ewjrपौलुस ने मसीह से अनुग्रह और प्रेरिताई किस उद्देश्य के निमित्त प्राप्त की थी?सब जातियों में आज्ञाकारिता और विश्वास के लिए पौलुस को अनुग्रह और प्रेरिताई मिली।
61:8x3uoरोम के विश्वासियों के बारे में पौलुस किस बात के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता है?पौलुस परमेश्वर का धन्यवाद करता है कि उनके विश्वास की चर्चा संपूर्ण जगत में हो रही थी।
71:11xdndपौलुस रोम के विश्वासियों से क्यों भेंट करना चाहता था?पौलुस उनसे भेंट करने की कामना करता है कि वह उन्हें कोई आत्मिक वरदान दे जिससे वे स्थिर हो जाएं।
81:13mizdपौलुस अब तक रोम के विश्वासियों से भेंट क्यों नहीं कर पाया था?पौलुस उनसे भेंट नहीं कर पाया था क्योंकि उसके मार्ग में अब तक बाधाएं आ रही थीं।
91:16b8xiपौलुस सुसमाचार को क्या कहता है?पौलुस कहता है कि हर एक विश्वासी के लिए सुसमाचार उद्धार के निमित्त परमेश्वर का सामर्थ्य है।
101:18o19gपरमेश्वर का ज्ञान जानते हुए भी अभक्त और अधर्मी जन क्या करते हैं?अभक्त और अधर्मी सत्य को दबाए रहते हैं जबकि परमेश्वर का ज्ञान उनके मनों में प्रकट किया जा चुका है।
111:20f9rhपरमेश्वर के बारे में अप्रत्यक्ष बातें कैसे सृष्टि से स्पष्ट प्रकट हैं?परमेश्वर के बारे में अप्रत्यक्ष बातें सृजित वस्तुओं से स्पष्ट प्रकट है। परमेश्वर का अनन्त सामर्थ्य और उसका दिव्य स्वभाव स्पष्ट प्रकट है।
121:21d4yjजो परमेश्वर का महिमान्वन नहीं करते और न धन्यवाद देते हैं उनके विचारों और मन का क्या होता है?जो परमेश्वर का महिमान्वन नहीं करते और न ही उसका धन्यवाद करते हैं, अपने विचारों में मूर्ख बनते हैं और उनके मन अन्धकारपूर्ण होते हैं।
131:23tsk3परमेश्वर ऐसे मनुष्यों के साथ क्या करता है जो उसकी महिमा को नाशवान मनुष्यों और पशुओं की समानता में बदल देते है?परमेश्वर ने उन्हें अशुद्धता के लिए उनके मन की अभिलाषा के अनुसार छोड़ दिया कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।
141:26ppglस्त्री और पुरुष किस निर्लज काम के लिए जलने लगे थे?स्त्रियां एक-दूसरे के लिए और पुरुष एक-दूसरे के लिए कामातुर होने लगे।
151:28o1ayपरमेश्वर ऐसे लोगों के साथ क्या करता है जो परमेश्वर को पहचानना नहीं चाहते हैं?परमेश्वर उन्हें उनके भ्रष्ट मन पर छोड़ दिया कि वे अनुचित काम करें।
161:29uay0जिनके मन भ्रष्ट हैं उनके कुछ लक्षण क्या हैं?जिनके मन भ्रष्ट हैं वे डाह, हत्या, झगड़े और छल और सब बुरी अभिलाषाओं से घिरे रहते हैं।
171:32u6tfभ्रष्ट मन वाले परमेश्वर की अनिवार्यता के बारे में क्या जानते हैं?जिनके मन भ्रष्ट हैं वे जानते हैं कि ऐसे काम करने वाले मृत्यु दण्ड के योग्य हैं। वे फिर भी अधर्म के काम करते हैं और ऐसे काम करने वालों को मान्यता प्रदान करते हैं।
182:1b15iकुछ लोग दोष लगाने में क्यों निरुत्तर हैं?दोष लगाने वाले निरुत्तर हैं क्योंकि वे जिस बात का दोष लगाते हैं उसी के वे भी दोषी हैं।
192:2xu8zअधर्म के काम करने वालों का न्याय परमेश्वर किस आधार पर करता है?परमेश्वर जब अधर्म के काम करने वालों का न्याय करता है तब वह सत्य के आधार पर ऐसा करता है।
202:4fncbपरमेश्वर का धीरज और भलाई का क्या उद्देश्य है?परमेश्वर का धीरज और उसकी भलाई मनुष्य के मन फिराने के उद्देश्य से है।
212:5i1t1परमेश्वर के प्रति कठोर और हठीला मन रखकर मनुष्य अपने लिए क्या कर रहा है?कठोर और हठीले मन वाले लोग परमेश्वर के धर्मी न्याय के दिन के लिए क्रोध कमा रहे हैं।
222:7lk61जिन्होंने लगातार अच्छे काम किए हैं उन्हें क्या मिलेगा?जो लगातार अच्छे काम करते हैं उन्हें अनन्त जीवन का दान मिलेगा।
232:8x8faअधर्म को मानने वालों का क्या होगा?जो अधर्म को मानते हैं उन पर क्रोध और कोप और क्लेश और संकट आ पड़ेगा।
242:12nmu7परमेश्वर यहूदी और यूनानी के मध्य निष्पक्षता कैसे दिखाता है?परमेश्वर पक्षपात नहीं करता है, यहूदी हो या यूनानी पाप करने वाला नष्ट ही होगा।
252:13blihपरमेश्वर के समक्ष कौन धर्मी ठहराया जाएगा?व्यवस्था पालन करने वाले परमेश्वर के सम्मुख धर्मी ठहराए जाएंगे।
262:14ioltअन्य जाति मनुष्य कैसे दिखाता है कि व्यवस्था की अनिवार्यताएं उसके मन में लिखी हैं?अन्य जाति व्यवस्था की बातों को पूरा करके दिखाते है कि व्यवस्था की अनिवार्यताएं उसके मन में लिखी हैं।
272:17g57tपौलुस व्यवस्था पालन यहूदियों को क्या चुनौती देता है जब वे अन्यों को व्यवस्था की शिक्षा देते हैं?पौलुस उन्हें चुनौती देता है कि जब वे किसी को व्यवस्था सिखाते हैं तो वे स्वयं को भी सिखाएं।
282:21mngmपौलुस कौन-कौन से पापों का उल्लेख करता है जिनका त्याग यहूदी शिक्षकों को करना आवश्यक है?पौलुस चोरी और व्यभिचार और मन्दिर लूटने के पापों का उल्लेख करता है।
292:23wu87व्यवस्था के यहूदी शिक्षकों द्वारा अन्य जातियों में परमेश्वर के नाम की निन्दा क्यों हो रही है?परमेश्वर के नाम की निन्दा होती है क्योंकि व्यवस्था के यहूदी शिक्षक व्यवस्था का उल्लंघन करते हैं।
302:25yceuकिसी यहूदी का खतना पौलुस के विचार में खतनारहित कैसे हो जाता है?पौलुस कहता है कि यदि कोई यहूदी व्यवस्था का उल्लंघन करे तो उसका खतना खतनारहित हो सकता है।
312:26r7jqपौलुस के विचार में किसी खतनारहित मनुष्य को खतनाधारी कैसे कहा जा सकता है?पौलुस कहता है कि अन्य जाति मनुष्य को खतनाधारी माना जा सकता है यदि वह व्यवस्था की अनिवार्यताओं को पूरा करता है।
322:28z64tपौलुस सच्चा यहूदी किसे कहता है?पौलुस कहता है कि एक सच्चा यहूदी मन से यहूदी होता है, उसके मन का खतना होता है।
332:29qmqkसच्चा यहूदी किससे प्रशंसा पाता है?एक सच्चा यहूदी परमेश्वर से प्रशंसा पाता है।
343:1m81fयहूदियों के सौभाग्यों में सबसे पहले क्या है?यहूदियों के सौभाग्यों में सबसे पहला है, उन्हें परमेश्वर का प्रकाशन सौंपा गया है।
353:4uv3hसब झूठे हैं और परमेश्वर क्या पाया गया है?यद्यपि हर एक मनुष्य झूठा है, परमेश्वर सच्चा है।
363:5l9izपरमेश्वर धर्मी होने के कारण किसके योग्य है?क्योंकि परमेश्वर धर्मी है, वह संसार का न्याय करने योग्य है।
373:9flsbधर्मशास्त्र में यहूदी और यूनानी सबकी धार्मिकता के बारे में क्या लिखा है?लिखा है, कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।
383:11kslzधर्मशास्त्र के लेख के अनुसार कौन समझदार है और कौन परमेश्वर को खोजता है?जो लिखा है उसके अनुसार कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं।
393:20zmz1व्यवस्था के कामों से किसका न्याय होगा?व्यवस्था के कामों से कोई धर्मी नहीं ठहरेगा। पाप का बोध व्यवस्था से होता है।
403:21intbअब व्यवस्थारहित धार्मिकता किसके द्वारा प्रकट हुई है?व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की गवाही द्वारा व्यवस्थारहित धार्मिकता प्रकट हुई है।
413:22h0nkव्यवस्थारहित धार्मिकता कौन सी है जो प्रकट की गई है?व्यवस्थारहित धार्मिकता मसीह में विश्वास के द्वारा सब विश्वासियों के लिए परमेश्वर की धार्मिकता है।
423:24uo3fमनुष्य परमेश्वर के समक्ष धर्मी कैसे ठहरता है?मनुष्य मसीह यीशु में निहित उद्धार के द्वारा परमेश्वर के सम्मुख उसके अनुग्रह से निर्मोल धर्मी ठहरता है।
433:25yrpjपरमेश्वर ने मसीह यीशु को किस उद्देश्य के निमित्त भेजा?परमेश्वर ने विश्वास के द्वारा मसीह के लहू के कारण प्रायश्चित्त ठहराया है।
443:26v8f3यीशु के द्वारा जो कुछ भी हुआ उससे परमेश्वर क्या दर्शाता है?परमेश्वर ने प्रकट किया कि वही है जो किसी को भी यीशु में विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराता है।
453:28tvq4धर्मी ठहराए जाने में व्यवस्था के कामों की क्या भूमिका है?मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराया जाता है।
463:30f6v6परमेश्वर खतना वाले यहूदी और खतनारहित अन्य जाति को कैसे धर्मी ठहराता है?परमेश्वर दोनों को विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराता है।
473:31iykwहम विश्वास के द्वारा व्यवस्था का क्या करते हैं?हम विश्वास के द्वारा व्यवस्था को स्थिर करते हैं।
484:2gq2lअब्राहम के पास गर्व करने का क्या कारण होता?यदि अब्राहम कामों द्वारा धर्मी ठहरता तो उसके पास गर्व करने का कारण होता।
494:3fm7oपवित्र शास्त्र अब्राहम की धार्मिकता के बारे में क्या कहता है?पवित्र शास्त्र स्पष्ट कहता है कि अब्राहम ने परमेश्वर में विश्वास किया और वह उसके लिए धार्मिकता गिना गया।
504:5c69kपरमेश्वर कैसे लोगों को धर्मी ठहराता है?परमेश्वर अधर्मी को धर्मी ठहराता है।
514:6ugxwदाऊद के अनुसार मनुष्य किस रीति से परमेश्वर द्वारा धन्य हुआ?दाऊद कहता है कि धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म क्षमा हुए और धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।
524:9z2e9अब्राहम को विश्वास द्वारा धर्मी ठहराया गया तो वह उसके खतने से पूर्व या बाद में था?अब्राहम के खतने से पूर्व वह विश्वास द्वारा धर्मी ठहराया गया था।
534:11z8n5अब्राहम किस समूह का पिता है?अब्राहम सब विश्वासियों का पिता है चाहे वे धर्मी खतना वाले हों या खतनारहित हों।
544:13mr18विश्वास की धार्मिकता द्वारा अब्राहम और उसके वंशजों से क्या प्रतिज्ञा की गई थी?अब्राहम और उसके वंशजों से प्रतिज्ञा की गई थी कि वे संसार के उत्तराधिकारी होंगे।
554:14zicmयदि अब्राहम से की गई प्रतिज्ञा व्यवस्था के कारण थी तो क्या बात सच होती?यदि प्रतिज्ञा व्यवस्था द्वारा आई थी तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी।
564:16d0g2विश्वास के कारण प्रतिज्ञा करने के क्या कारण हैं?प्रतिज्ञा विश्वास के कारण दी गई थी कि वह अनुग्रह के कारण हो वह सच हो।
574:17wvmzपौलुस कौन सी दो बातें कहता है कि परमेश्वर करता है?पौलुस कहता है कि परमेश्वर मृतकों में जान डालता है और जो नहीं है उसे अस्तित्व में लाता है।
584:18rtkbकौन सी बाहरी परिस्थितियों ने अब्राहम को परमेश्वर की प्रतिज्ञा में विश्वास करने से रोका कि वह जातियों का पिता होगा?जब परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की थी तब वह सौ वर्ष का था और सारा का गर्भ मरा हुआ था। अब्राहम परमेश्वर पर लगातार विश्वास करता रहा और अविश्वास में संकोच नहीं किया।
594:23k8axअब्राहम की यह बात किसके लिए लिखी गई थी?यह वचन अब्राहम ही के लिए नहीं परन्तु हमारे लिए भी लिखा गया है।
604:25y0j4हम क्या मानते हैं कि परमेश्वर ने हमारे लिए किया?हम विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने यीशु को मृतकों में से जिलाया, वह हमारे पापों के लिए पकड़वाया गया था और हमें धर्मी ठहराने के लिए जिलाया भी गया।
615:1cnezविश्वास के द्वारा धर्मी ठहराए जाने के कारण विश्वासियों को क्या प्राप्त है?क्योंकि विश्वासी विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराए जाते हैं, प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर से उनका मेल है।
625:3tkezक्लेश कौन से तीन गुण उत्पन्न करते हैं?क्लेश, धीरज, खराई और आशा उत्पन्न होती है।
635:8wn8hपरमेश्वर हमारे लिए अपना प्रेम कैसे सिद्ध करता है?परमेश्वर हम पर अपना प्रेम इस रीति से प्रकट करता है कि हम जब पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा।
645:9apkdमसीह के लहू से धर्मी ठहराए जाकर हम किस बात से बचे हैं?मसीह के लहू द्वारा धर्मी ठहराए जाकर विश्वासी परमेश्वर के क्रोध से बचाए गए हैं।
655:10ccvrमसीह यीशु के द्वारा परमेश्वर से मेल करने से पूर्व अविश्वासियों का सम्बन्ध परमेश्वर के साथ कैसा है?मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल करवाने से पहले अविश्वासी परमेश्वर के बैरी है।
665:12m2xaएक मनुष्य के पाप के कारण क्या हुआ?एक मनुष्य के पाप करने के कारण पाप संसार में आ गया और पाप के द्वारा मृत्यु आई और मृत्यु सब लोगों में फैल गई।
675:14la8aवह एक मनुष्य कौन था जिसके द्वारा पाप संसार में आया?आदम वह एक मनुष्य था जिसके द्वारा पाप संसार में आया।
685:15a19jपरमेश्वर का वदान्य अनुग्रह आदम के अपराध से किस प्रकार भिन्न है?आदम के अपराध से बहुत लोग मरे परन्तु परमेश्वर को वदान्य अनुग्रह बहुतों पर बहुतायत से हुआ।
695:16he7tआदम के पाप का परिणाम क्या हुआ और परमेश्वर के वदान्य वरदान का परिणाम क्या हुआ?आदम के पाप के कारण दण्ड की आज्ञा हुई। परन्तु परमेश्वर के वरदान के कारण लोग धर्मी ठहरे।
705:17jm3cआदम के पाप का परिणाम क्या हुआ और परमेश्वर के वदान्य वरदान का परिणाम क्या हुआ?आदम के अपराध के कारण मृत्यु ने राज किया, परन्तु जो परमेश्वर के वदान्य को पाते हैं वे मसीह यीशु के जीवन के द्वारा राज्य करेंगे।
715:19bix9आदम के आज्ञा न मानने के कारण मनुष्यों का क्या हुआ था और मसीह की धार्मिकता के द्वारा बहुतों का क्या होगा?आदम की अवज्ञा के कारण अनेक जन पापी हुए परन्तु मसीह की आज्ञाकारिता के द्वारा अनेक जन धर्मी ठहराए जायेंगे।
725:20lik5व्यवस्था बीच में क्यों आई?व्यवस्था बीच में आ गई कि अपराध बहुत हो। परमेश्वर का अनुग्रह पाप से अधिक हुआ।
736:1y28xक्या विश्वासी पाप करते रहे कि परमेश्वर का अनुग्रह बहुत हो?कदापि नहीं।
746:3vfu9मसीह यीशु का बपतिस्मा लेने वाले ने वास्तव में किसमें बपतिस्मा लिया है?जिन्होंने मसीह का बपतिस्मा लिया है उन्होंने उसकी मृत्यु में बपतिस्मा लिया है।
756:4pnroमसीह यीशु मृतकों में से जी उठा है तो विश्वासियों को क्या करना चाहिए?विश्वासियों को नये जीवन की चाल चलना है।
766:5jyjuविश्वासी बपतिस्में के द्वारा दो प्रकार से मसीह की समानता में हैं वे क्या है?विश्वासी मसीह की मृत्यु और पुनरूत्थान में मसीह के साथ एक होंगे।
776:6met9हमारे लिये क्या किया गया था कि हमें अब पाप के दास नहीं रहना है?हमारा पुराना मनुष्यत्व मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है कि हम आगे को पाप के बन्दी न रहें।
786:9zuulहम कैसे जानते हैं कि मसीह पर मृत्यु की प्रभुता नहीं है?हम जानते हैं कि मसीह पर मृत्यु की प्रभुता नहीं है क्योंकि मसीह मृत्तकों में से जी उठा है।
796:10p5vxमसीह कितनी बार मरा और कितने लोगों के लिए मरा?मसीह मरा तो एक ही बार मरा। विश्वासी स्वयं को पाप के लिए मरा हुआ समझे। विश्वासी परमेश्वर के लिए जी रहा है।
806:13uuhbविश्वासी अपनी देह के अंग किसके हाथ दे और क्यों?विश्वासी के लिए आवश्यक है वह अपने अंगों को धार्मिकता के साधन होने के लिए परमेश्वर के हाथों में दे दे।
816:14nkkiविश्वासी किसके अधीन है जिनसे वह पाप पर प्रभुता करता है?विश्वासी अनुग्रह के अधीन हैं जिससे वह पाप पर प्रभुता करता है।
826:16k30wजो मनुष्य स्वयं को पाप का दास होने के लिए दे देता है, उसका अन्त क्या होता है?जो मनुष्य स्वयं को पाप का दास होने के लिए दे देता है, उसका अन्त मृत्यु है। जो मनुष्य स्वयं को परमेश्वर का दास होने के लिए दे देता है उसका फल धार्मिकता है।
836:22z8a3परमेश्वर के दासों का फल क्या है?परमेश्वर के दास होने का फल पवित्रता है।
846:23x0m2पाप की मजदूरी क्या है?पाप की मजदूरी मृत्यु है। परमेश्वर का निर्मोल वरदान अनन्त जीवन है।
857:1qxttव्यवस्था कब तक मनुष्य पर प्रभुता करती है?मनुष्य जब तक जीवित रहता है उस पर व्यवस्था की प्रभुता रहती है।
867:2i1ofएक विवाहित स्त्री व्यवस्था के अनुसार कब तक अपने पति से बंधी होती है?एक विवाहित स्त्री पति की मृत्यु तक विवाह की व्यवस्था के अनुसार उससे बंधी है।
877:3tkzeविवाह की व्यवस्था से मुक्त होकर एक स्त्री क्या कर सकती है?जब वह विवाह की व्यवस्था से मुक्त हो गई तो पुनर्विवाह कर सकती है।
887:4hbcjविश्वासी व्यवस्था के लिए कैसे मर गए हैं?विश्वासी मसीह की देह के द्वारा व्यवस्था के लिए मर गए हैं। व्यवस्था के लिए मर जाने से विश्वासी मसीह के साथ एक होते हैं।
897:7t668व्यवस्था का क्या कार्य है?व्यवस्था पाप का बोध करवाती है। व्यवस्था पवित्र है, आज्ञा पवित्र, धर्मी और अच्छी है।
907:8j4syपाप व्यवस्था की आज्ञाओं के द्वारा क्या करता है?व्यवस्था की आज्ञाओं के माध्यम से पाप मनुष्य में लालच उत्पन्न करता है।
917:13hcs3पौलुस के अनुसार पाप उसमें क्या करता है?पौलुस कहता है कि पाप व्यवस्था के माध्यम से उसमें मृत्यु लाता है।
927:16plm8व्यवस्था के साथ पौलुस को सहमत होने का कारण क्या है कि व्यवस्था भली है?जब पौलुस वह काम करता है जिसे वह करना नहीं चाहता तो मान लेता है कि व्यवस्था भली है।
937:17t1r8पौलुस जो काम नहीं करना चाहता उसका करवाने वाला कौन है?पौलुस में जो पाप है वह उससे अनिच्छा के काम करवाता है।
947:18k6hvपौलुस की देह में क्या है?पौलुस की देह में कुछ भी अच्छा नहीं है।
957:21n6ayपौलुस अपनी देह में एक सिद्धान्त को कार्य करता देखता है वह क्या है?पौलुस अपनी देह में एक सिद्धान्त देखता है, वह भले काम तो करना चाहता है परन्तु उसकी देह में केवल बुराई वास करती है।
967:23u670पौलुस अपनी अन्तरात्मा में और अपनी देह के अंगों में कौन सा सिद्धान्त प्रभावी देखता है?पौलुस को यह बोध होता है कि उसकी अन्तरात्मा परमेश्वर की व्यवस्था से प्रसन्न है परन्तु उसकी देह के अंग पाप के बन्दी बने हुए है।
977:25u954पौलुस को इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?पौलुस मसीह यीशु के द्वारा उसकी युक्ति के लिए परमेश्वर को धन्यवाद चढ़ाता है।
988:2ykrqपाप और मृत्यु की व्यवस्था से पौलुस को किसने मुक्ति दिलाई है?मसीह यीशु में जीवन की आत्मा के सिद्धान्त ने पौलुस को पाप और मृत्यु की व्यवस्था से मुक्ति दिला दी है।
998:3rrj9पाप और मृत्यु के सिद्धान्त से मुक्ति दिलाने में व्यवस्था अक्षम क्यों थी?व्यवस्था अक्षम थी क्योंकि देह के कारण वह दुर्बल थी।
1008:4zccwआत्मा के अनुसार चलने वाले किसमें मन लगाते हैं?जो आत्मा के अनुसार चलते हैं वे आत्मा की बातों में मन लगाते हैं।
1018:7wdwiदेह का परमेश्वर और व्यवस्था के साथ कैसा संबन्ध है?देह परमेश्वर की विरोधी है इसलिए वह व्यवस्था के अधीन नहीं हो सकती है।
1028:9ja30जो परमेश्वर के नहीं उनमें किस बात की कमी होती है?जो मनुष्य परमेश्वर के नहीं अन्तर्वासी मसीह की आत्मा से वंचित होते हैं।
1038:11v9gcपरमेश्वर विश्वासी की नश्वर देह को जीवन कैसे देता है?परमेश्वर विश्वासी में अन्तर्वासी अपनी आत्मा के द्वारा उसकी नश्वर देह को जीवन देता है।
1048:13oe7bपरमेश्वर के पुत्र जीवन के लिए कैसे चलाए जाते हैं?परमेश्वर के पुत्र परमेश्वर की आत्मा द्वारा चलाए जाते हैं।
1058:15bv0fविश्वासी परमेश्वर के परिवार का सदस्य कैसे होता है?विश्वासी परमेश्वर के परिवार में लेपालक है।
1068:17gmnaपरमेश्वर की सन्तान होने के कारण विश्वासियों को और क्या लाभ हैं?परमेश्वर की सन्तान होने के कारण विश्वासी परमेश्वर के उत्तराधिकारी वरन् मसीह के सह उत्तराधिकारी है। वर्तमान कष्टों को सहना आवश्यक है जिससे कि विश्वासी परमेश्वर के पुत्रों के प्रकट होने पर मसीह के साथ महिमान्वित हों।
1078:21siudवर्तमान में सृष्टि कैसे दासत्व में है?वर्तमान में सृष्टि विनाश के दासत्व में है। सृष्टि परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।
1088:23rlp5विश्वासियों को देह के छुटकारे की कैसे प्रतीक्षा करना है?विश्वासियों को विश्वास और धीरज धर कर देह के छुटकारे की प्रतीक्षा करना है।
1098:26vuizपवित्र जनों की दुर्बलता में सहायता हेतु आत्मा स्वयं क्या करती है?आत्मा स्वयं ही परमेश्वर की इच्छा के अनुसार पवित्रजनों की ओर से मध्यस्थता करती है।
1108:28hzwiपरमेश्वर सब बातों को मिलाकर इससे प्रेम करनेवालों और उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए गए मनुष्यों के लिए कैसे क्या करती है?परमेश्वर अपने प्रेम करने वालों के लिए सब बातों को मिलाकर भलाई ही को उत्पन्न करता है अर्थात जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए गए हैं उनके लिए।
1118:29waqtपरमेश्वर ने जिन्हें पहले से जान लिया है उनके लिए क्या नियति ठहराई है?क्योंकि परमेश्वर ने जिन्हें पहले से जान लिया है उन्हें पहले से निश्चित भी कर लिया है कि वे उसके पुत्र के स्वरूप में हों।
1128:30mh9zपरमेश्वर ने जिन्हें पहले से निश्चित किया उनके लिए क्या किया है?जिन्हें उसने पहले से निश्चित कर लिया है उन्हें बुलाया और धर्मी ठहराया और महिमा दी है।
1138:32ztjvविश्वासी कैसे जानते हैं कि परमेश्वर उन्हें सब कुछ वदान्य देगा?विश्वासी जानते हैं कि परमेश्वर उन्हें सब कुछ वदान्य देगा क्योंकि उसने विश्वासियों के लिए अपना निज पुत्र दे दिया है।
1148:34fhwpमसीह यीशु परमेश्वर की दाहिनी ओर उपस्थित होकर क्या करता है?मसीह परमेश्वर की दाहिनी ओर उपस्थित पवित्र जनों के लिए मध्यस्था करता है।
1158:35zqdkविश्वासी सताव क्लेश, या मृत्यु पर भी जयवन्त से बढ़कर कैसे हैं?विश्वासी उसके द्वारा जो उनसे प्रेम करता है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
1168:39ep0gपौलुस को किस बात का विश्वास है कि सृजित वस्तु नहीं कर सकती?पौलुस को पूर्ण विश्वास है कि कोई भी सृजित वस्तु विश्वासी को परमेश्वर के प्रेम से अलग नहीं कर सकती।
1179:1ftriपौलुस को मन में शोक और अविराम दुःख क्यों है?पौलुस को शरीर के भाव से अपने भाइयों, इस्राएलियों के लिए शोक और दुःख है।
1189:6n9meसब इस्राएलियों और अब्राहम के वंशजों के साथ कौन सी एक बात सच नहीं है?पौलुस कहता है कि इस्राएल में हर एक जन परमेश्वर का नहीं है और अब्राहम के वंशज उसकी सच्ची सन्तान नहीं है।
1199:8d3scपरमेश्वर की सन्तान में कौन नहीं गिने जाते हैं?शरीर से उत्पन्न परमेश्वर की सन्तान नहीं गिनी जाती है। प्रतिज्ञा की सन्तान को परमेश्वर की सन्तान गिना जाता है।
1209:14hg1gपरमेश्वर की दया और अनुकंपा के वरदान का कारण क्या है?परमेश्वर की दया और उसकी अनुकंपा के वरदान का कारण उसका चुनाव है।
1219:16lh8pपरमेश्वर की दया और अनुकंपा में निहित कारण क्या नहीं है?परमेश्वर की दया और अनुकंपा के वरदान में निहित कारण वरदान प्राप्त करनेवालों की इच्छा और कार्य नहीं हैं।
1229:22nfggपरमेश्वर ने विनाश के लिए तैयार किए गए मनुष्यों के साथ क्या किया?परमेश्वर ने विनाश के लिए तैयार किए गए मनुष्यों को अत्यधिक धीरज धर कर सहन किया है।
1239:23di4eजो महिमा के लिए तैयार किए गए हैं उनके साथ परमेश्वर ने क्या किया है?परमेश्वर ने उन पर अपनी महिमा का धन प्रकट किया है।
1249:24g389परमेश्वर ने अपनी दया के पात्रों को कौन से मनुष्यों में से बुलाया है?परमेश्वर ने यहूदियों और अन्य जातियों दोनों में से उनको बुलाया है जिन पर उसकी दया है।
1259:27mhgxइस्राएल की सन्तानों में से कितने बचे रहेंगे?इस्राएल की सन्तानों में से कुछ शेष जन बचे रहेंगे।
1269:30yrn2अन्यजाति जो धार्मिकता की खोज नहीं करते थे धार्मिकता कैसे प्राप्त की?अन्यजातियों ने विश्वास के द्वारा धार्मिकता से उसे प्राप्त किया।
1279:31oh9aधार्मिकता की व्यवस्था का पालन करने पर भी इस्राएलियों को धार्मिकता प्राप्त क्यों नहीं हुई?इस्राएली धार्मिकता प्राप्त नहीं कर पाए क्योंकि उन्होंने विश्वास से नहीं कर्मों से धार्मिकता की खोज की।
1289:32gjtwइस्राएलियों ने किससे ठोकर खाई थी?इस्राएलियों ने ठोकर खाने के पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान से ठोकर खाई थी।
1299:33qwqzजो ठोकर नहीं खाते, विश्वास करते हैं उनका क्या होगा?जो ठोकर नहीं खाते, विश्वास करते है लज्जित नहीं होंगे।
13010:1wzatपौलुस के मन में अपने भाइयों, इस्राएलियों, के लिए क्या इच्छा थी?पौलुस इस्राएलियों के उद्धार की इच्छा रखता था।
13110:3yflfइस्राएली किसका यत्न करते थे?इस्राएली अपनी धार्मिकता स्थापित करने का यत्न करते थे। इस्राएली परमेश्वर की धार्मिकता से अनजान हैं।
13210:4rlfhमसीह ने व्यवस्था के क्षेत्र में क्या किया है?मसीह सब विश्वासियों के लिए धार्मिकता की व्यवस्था की पूर्ति है।
13310:8zotuपौलुस जिस विश्वास के वचन का प्रचार करता था वह कहां है?विश्वास का वचन निकट है, मुंह और मन में है।
13410:9ygqmमनुष्य के उद्धार के लिए पौलुस क्या कहता है?पौलुस कहता है कि मनुष्य अपने मुंह से मसीह को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन में विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मृतकों में से जिलाया है।
13510:13e3waमनुष्य कैसे उद्धार पायेगा?मसीह का नाम लेने वाला हर एक जन उद्धार पायेगा।
13610:14dghjपौलुस मनुष्य तक सुसमाचार पहुंचाने के चरणों की कौन सी श्रृंखला बताता है कि मनुष्य प्रभु का नाम ले?पौलुस कहता है पहले प्रचारक भेजा जाता है तब सुसमाचार सुना जाता है और उस पर विश्वास किया जाता है जिससे कि मनुष्य मसीह का नाम लेता है।
13710:17pfskविश्वास उत्पन्न करने के लिए क्या सुना जाता है?मसीह का वचन सुना जाता है और विश्वास उत्पन्न करता है।
13810:18vmvjक्या इस्राएल ने सुसमाचार सुना और जाना था?हां, इस्राएल ने सुसमाचार सुना था और जानते थे।
13910:19pcu7परमेश्वर ने इस्राएल को रिस दिलाने के लिए अपने किस काम की चर्चा की थी?परमेश्वर ने कहा कि वह उन लोगों पर प्रकट होकर इस्राएल को रिस दिलाएगा जो उसे पूछते भी नहीं थे।
14010:21l24nजब परमेश्वर ने इस्राएल की ओर हाथ फैलाये तो क्या पाया?परमेश्वर ने इस्राएल की ओर हाथ फैलाए तो देखा कि वह आज्ञा न मानने वाली और हठीली प्रजा है।
14111:1yllmतो क्या परमेश्वर ने इस्राएल को त्याग दिया है?कदापि नहीं।
14211:5r4irक्या पौलुस कहता है कि विश्वासी इस्राएली बचे हैं, और यदि हैं तो वे सुरक्षित कैसे किए गए हैं?पौलुस कहता है कि इस्राएल के परमेश्वर के शेष जन है, जो अनुग्रह के चुनाव से सुरक्षित किए जाते हैं।
14311:7phinइस्राएलियों में किसका उद्धार हुआ और शेष का क्या हुआ?इस्राएलियों में जो चुने गए थे उनका उद्धार हो गया शेष जन कठोर हो गए।
14411:8qnb0परमेश्वर द्वारा उन्हें नींद में रखने का परिणाम सुसमाचार ग्रहण करने वालों का क्या हुआ?नींद के कारण उनकी आंखें देख नहीं पाई और उनके कान सुन नहीं पाए।
14511:11pky1इस्राएल ने सुसमाचार ग्रहण करने से इन्कार किया तो उससे क्या भलाई उत्पन्न हुई?अन्य जातियों का उद्धार हुआ। अन्य जातियों का उद्धार इस्राएलियों के मन में ईर्ष्या उत्पन्न करेगा।
14611:13wbj2पौलुस द्वारा जैतून के वृक्ष की जड़े और जंगली डालियों की उपमा में जड़ कौन है और डालियां कौन है?इस्राएल जड़ है और अन्य जातियां डालियां हैं।
14711:18sq61पौलुस कहता है कि जंगली डालियों को किस स्वभाव से बचना है?पौलुस कहता है कि जंगली डालियां को उन प्राकृतिक डालियों के विरुद्ध घमण्ड नहीं करना है।
14811:20t2leपौलुस जंगली डालियों को क्या चेतावनी देता है?पौलुस जंगली डालियों को चेतावनी देता है कि परमेश्वर ने अविश्वास के लिए स्वाभाविक डालियों को नहीं छोड़ा तो वह जंगली डालियों को भी नहीं छोड़ेगा।
14911:23l3bsस्वभाविक डालियां यदि अविश्वास में न रहें तो परमेश्वर उनके साथ क्या कर सकता है?परमेश्वर उन स्वभाविक डालियों को अविश्वास में नहीं रहें पुनः जैतून के वृक्ष में रोपित कर सकता है।
15011:25xy84इस्राएल का एक भाग कब तक कठोर बना रहेगा?इस्राएल का एक भाग कब तक कठोर बना रहेगा जब तक अन्य जातियां इसी रीति से प्रवेश कर लें।
15111:28zz40उनकी अवज्ञा के उपरान्त भी परमेश्वर इस्राएल से क्यों अब तक प्रेम करता है?परमेश्वर इस्राएलियों को प्रेम अब भी करता है, उनके पूर्वजों के कारण क्योंकि वह बदलता नहीं।
15211:30fthkपरमेश्वर ने यहूदी और इस्राएली दोनों ही को क्या कहा है?यहूदी और अन्य जाति दोनों ही ने आज्ञा नहीं मानी है। परमेश्वर ने यहूदी और अन्य जाति दोनों ही के अवज्ञाकारियों पर दया की है।
15311:33g8ilपरमेश्वर के निर्णयों को समझने और उसे परामर्श देने का काम क्या कोई कर सकता है?परमेश्वर के निर्णयों को कौन समझ सकता है और कौन उसे परामर्श दे सकता है?
15411:36pwslकैसे तीन रूपों में सब कुछ परमेश्वर से संबन्धित है?सब कुछ उसी की ओर से, उसी के द्वारा और उसी के लिए है।
15512:1wrz9विश्वासी के लिए परमेश्वर को चढ़ाने वाला बलिदान क्या है?विश्वासी की आत्मिक सेवा है कि वह परमेश्वर को स्वयं का जीवित बलिदान चढ़ाए।
15612:2ows8विश्वासी में नया मन उसे किस योग्य बनाता है?मन नया हो जाने से विश्वासी परमेश्वर की भली, भावती और सिद्ध इच्छा अनुभव से ज्ञात कर लेते हैं।
15712:3mrsrविश्वासी स्वयं को क्या न समझे?विश्वासी को जैसा स्वयं को समझना है उससे बढ़कर वह स्वयं को न समझे।
15812:4l3tiविश्वासी मसीह में एक दूसरे से कैसे संबन्धित हैं?विश्वासी सब मसीह में एक देह हैं और व्यक्तिगत रूप से एक दूसरे के सदस्य हैं।
15912:6pp1zहर एक विश्वासी परमेश्वर प्रदत्त वरदान का क्या करे?प्रत्येक विश्वासी को विश्वास के परिमाण के अनुसार वरदानों का उपयोग करना है।
16012:10lil5विश्वासी परस्पर कैसा व्यवहार करें?विश्वासी एक दूसरे से प्रेम रखें और एक दूसरे का सम्मान करें।
16112:13q045विश्वासियों को पवित्र जनों की आवश्यकताओं के लिए क्या करना चाहिए?विश्वासियों को पवित्र जनों की आवश्यकता में हाथ बंटाना चाहिए।
16212:14uukqविश्वासी अपने सताने वालों के लिए क्या करें?विश्वासी अपने सताने वालों को कोसे नहीं; आशीर्वाद दें।
16312:16hmi9विश्वासी दीनों के साथ कैसा व्यवहार करें?विश्वासी दीनों को ग्रहण करें।
16412:18kflhविश्वासी भरसक प्रयास करके क्या करें?यथासंभव सब मनुष्यों के साथ विश्वासी मेल रखें।
16512:19j2epविश्वासियों को बदला क्यों नहीं लेना चाहिए?विश्वासी बदला न लें क्योंकि बदला लेना परमेश्वर का काम है।
16612:21ihkpविश्वासी बुराई को कैसे जीतें?विश्वासी भलाई से बुराई को जीत लें।
16713:1uq6cसांसारिक अधिकारियों को अधिकार कहां से प्राप्त होता है?सांसारिक अधिकारी परमेश्वर की ओर से नियुक्त हैं।
16813:2t85zसांसारिक अधिकारियों का विरोध करने वालों को क्या मिलेगा?जो सांसारिक अधिकारियों का विरोध करते हैं वे दण्ड पायेंगे।
16913:3w011अधिकारियों से निर्भय रहने के लिए पौलुस विश्वासियों को क्या निर्देश देता है?पौलुस विश्वासियों से कहता है कि वे भलाई करें जिससे कि वे अधिकारियों से निर्भय रहें।
17013:4v8clपरमेश्वर ने बुराई का दमन करने के लिए शासकों को क्या अधिकार दिया है?परमेश्वर ने शासकों को तलवार उठाने का अधिकार दिया है कि बुरा करने वालों को क्रोध के अनुसार दण्ड दे।
17113:6l4vaपैसों के बारे में परमेश्वर ने शासकों को क्या अधिकार दिया है?परमेश्वर ने शासकों को कर वसूलने का अधिकार दिया है।
17213:8zylhवह एकमात्र ऋण क्या है जिसके अधीन विश्वासी रहें?पौलुस कहता है कि वे प्रेम के ऋणी बनें। विश्वासी अपने पड़ोसी से प्रेम करके व्यवस्था पूरी करता है।
17313:9ifffपौलुस कौन सी आज्ञाओं को व्यवस्था कहता है?पौलुस व्यभिचार न करना, हत्या न करना, लालच न करना व्यवस्था बताता है।
17413:12z181पौलुस विश्वासियों से क्या त्यागने और क्या अपनाने के लिए कहता है?पौलुस कहता है कि विश्वासी अन्धकार के काम त्याग कर ज्योति के हथियार बान्ध लें।
17513:13ydywविश्वासियों को कौन-कौन से काम नहीं करने हैं?विश्वासियों को लीला क्रीड़ा, पियक्कड़पन, व्यभिचार, लुचपन, झगड़े और डाह में न पड़ें।
17613:14eduzशरीर अभिलाषा के प्रति विश्वासी का व्यवहार कैसा हो?विश्वासी शारीरिक अभिलाषा को स्थान न दें।
17714:1sb67भोजन के बारे में मतभेद रखने वालो विश्वासियों का व्यवहार एक दूसरे के प्रति कैसा होना चाहिए?भोजन के बारे में मतभेद रखने वाले विश्वासी एक दूसरे का न्याय न करें।
17814:2sx04विश्वास में दृढ़ जन क्या खाता है और जो विश्वास में दृढ़ नहीं वह क्या खाता है?विश्वास में दृढ़ मनुष्य कुछ भी खा लेता है परन्तु जिसका विश्वास दृढ़ नहीं वह केवल सब्जियां खाता है।
17914:3eohmजो सब कुछ खाता है और जो केवल सब्जी खाता है उसे किसने ग्रहण किया है?परमेश्वर ने सब कुछ खाने वाले को और केवल सब्जी खाने वाले दोनों को ग्रहण किया है।
18014:5he7nऐसे और कौन से विषय हैं जिन्हें पौलुस व्यक्तिगत मान्यता कहता है?किसी दिन को दूसरे से बड़ा मानता या सब दिनों को बराबर मानना पौलुस के विचार में व्यक्तिगत विश्वास है।
18114:7dzjtविश्वासी किसके लिए जीते और किसके लिए मरते हैं?विश्वासी प्रभु के लिए जीते हैं और प्रभु के लिए मरते हैं।
18214:10wb67अन्त में सब विश्वासी कहां खड़े होंगे और उन्हें क्या करना होगा?अन्त में सब विश्वासी परमेश्वर के न्याय आसन के समक्ष खड़े होकर अपना-अपना लेखा देंगे।
18314:13lr72व्यक्तिगत मान्यता के कारण एक विश्वासी का व्यवहार दूसरे विश्वासी के साथ कैसा होना चाहिये?व्यक्तिगत मान्यताओं के कारण भाई किसी भाई के लिए ठोकर का कारण न बने या फन्दा न बने।
18414:14x8p9प्रभु यीशु में पौलुस का मानना है कि कौन सा भोजन अशुद्ध है?पौलुस का मानना है कि कोई भी भोजन अपने आप में अशुद्ध नहीं है।
18514:17c061परमेश्वर का राज्य क्या है?परमेश्वर का राज्य धर्म और मेल-मिलाप और वह आनंद है जो पवित्र आत्मा से होता है।
18614:21p7aaशाकाहारी या मदिरा पान नहीं करने वाले के समक्ष पौलुस विश्वासी को क्या परामर्श देता है?पौलुस का कहना है कि अन्य भाई के सामने मांस न खायें और मदिरा न पीये तो अच्छा है।
18714:23wvnzयदि कोई विश्वास के काम नहीं करता तो उसका परिणाम क्या है?विश्वास के काम नहीं करना पाप है।
18815:1zditविश्वास में दृढ़ भाई का व्यवहार विश्वास में दुर्बल भाई की ओर कैसा होना चाहिये?विश्वास में दृढ़ जन विश्वास में दुर्बल भाई को सह ले कि उसका निर्माण हो।
18915:3dr6mआत्म संतोष की अपेक्षा लोगों की सेवा करने के लिए पौलुस किसका उदाहरण देता है?मसीह स्वयं को प्रसन्न करने के लिए नहीं, लोगों की सेवा करने के लिए जीता था।
19015:4qb1pपूर्वकाल के पवित्र शास्त्र के लिखे जाने का एक उद्देश्य क्या था?जो पवित्र शास्त्र हमारे लिए पहले लिखे गये थे वे हमारे निर्देश के लिए थे।
19115:5jt6cपौलुस विश्वासियों से क्या चाहता है कि वे धीरज और पारस्परिक प्रोत्साहन के द्वारा करें?पौलुस की मनोकामना है कि विश्वासी आपस में एक मन रहें।
19215:10o1o2पवित्र शास्त्र क्या कहता है कि परमेश्वर की करूणा के कारण अन्य जाति क्या करेंगी?पवित्र शास्त्र कहता है कि अन्य जातियां आनन्द करेंगी और प्रभु की स्तुति करेंगी, उसमें विश्वास के साथ।
19315:13eoxwपौलुस क्या कहता है कि विश्वासी पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से करने योग्य होंगे।विश्वासी आनन्द और शान्ति से पूर्ण विश्वास में परिपूर्ण होंगे।
19415:16adsdपरमेश्वर ने पौलुस को क्या वरदान दिया जो उसका दूतकार्य था?पौलुस का दूतकार्य है, अन्य जातियों में भेजा गया मसीह यीशु का सेवक बने।
19515:18fgfoअन्य जातियों की आज्ञाकारिता के निमित्त मसीह ने पौलुस के माध्यम से कैसे काम किए?मसीह ने शब्दों एवं कार्यों द्वारा पौलुस के माध्यम से चिन्ह और चमत्कारों द्वारा, पवित्रआत्मा के सामर्थ्य ही काम किया है।
19615:20g7u9पौलुस सुसमाचार कहां सुनाना चाहता था?पौलुस वहां सुसमाचार सुनाना चाहता था जहां मसीह का नाम नहीं सुना था।
19715:24ayuqपौलुस कहां जाना चाहता था कि मार्ग में रोम में रूकें?पौलुस स्पेन की यात्रा की योजना बना रहा था कि मार्ग में रोम जा पाए।
19815:25fam6इस समय पौलुस यरूशलेम क्यों जा रहा था?पौलुस इस समय यरूशलेम जा रहा था कि वहां के पवित्र जनों के लिए अन्यजातियों द्वारा एकत्र किया गया दान उन्हें सौंप दे।
19915:27zd3yपौलुस क्यों कहता है कि अन्यजाति यहूदी विश्वासियों के भौतिक वस्तुओं के ऋणी हैं?अन्यजाति यहूदी विश्वासियों के भौतिक वस्तुओं में ऋणी हैं क्योंकि वे यहूदी विश्वासियों की आत्मिक बातों में सहभागी हुए हैं।
20015:31rdt7पौलुस किससे बचाया जाना चाहता था?पौलुस की मनोकामना है कि यहूदिया में वह अवज्ञाकारियों से बचाया जाए।
20116:1m157बहन फीबे पौलुस के लिए क्या थी?बहन फीबे पौलुस और अनेक अन्य विश्वासियों की सहायक रही है।
20216:4rflzप्रिस्का और अक्विला ने पूर्वकाल में पौलुस के लिए क्या किया था?प्रिस्का और अक्विला ने पहले पौलुस के लिए अपनी जान जोखिम में डाली थी।
20316:5jk64रोम में वह कौन सा एक स्थान था जहां विश्वासी एकत्र होते थे?रोम के विश्वासी प्रिस्का और अक्विला के घर में एकत्र होते थे।
20416:7rcm1अन्द्रुनीकुस और यूनियास ने पहले पौलुस के साथ कैसा अनुभव प्राप्त किया था?अन्द्रुनीकुस और यूनियास पूर्वकाल में पौलुस के साथ बन्दी बनाए गए थे।
20516:16iqy5विश्वासी एक दूसरे को कैसे नमस्कार करें?वे आपस में एक दूसरे को पवित्र चुम्बन से नमस्कार करें।
20616:17ojgnउनमें फूट डालने और ठोकर का कारण होने के लिए कुछ लोग क्या कर रहे थे?कुछ लोग शिक्षा के विपरीत चल रहे थे और सीधे-सादे मनवाले विश्वासियों को बहका रहे थे। पौलुस उन्हें निर्देश देता है कि वे फूट डालने वालों और ठोकर का कारण होने वालों से दूर रहें।
20716:19t0fzभलाई और बुराई के प्रति पौलुस के परामर्श में विश्वासियों का स्वभाव कैसा हो?पौलुस विश्वासियों को चेतावनी देता है कि वे भलाई के लिए बुद्धिमान और बुराई के लिए भोले बने रहें।
20816:20lezhशान्ति का परमेश्वर शीघ्र ही क्या करवायेगा?शान्ति का परमेश्वर शैतान को शीघ्र ही उनके पांवों से कुचलवा देगा।
20916:22b35gइस पत्र को वास्तव में किसने लिखा था?तिरतियुस इस पत्र का लेखक है।
21016:23jy6mविश्वासी इरास्तुस का क्या उत्तरदायित्व था?इरास्तुस उस कलीसिया का भण्डारी था।
21116:25nkp6जिस प्रकाशन को दीर्घकाल से गुप्त रखा गया था वह क्या है जिसका पौलुस प्रचार कर रहा था?पौलुस मसीह यीशु के सुसमाचार के प्रकाशन का प्रचार कर रहा है।
21216:26dzmiपौलुस के प्रचार करने का उद्देश्य क्या था?पौलुस अन्य जातियों में आज्ञा मानने के लिए प्रचार करता था।