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1 | Reference | ID | Tags | Quote | Occurrence | Question | Response |
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2 | 1:1 | zmb4 | \# यूहन्ना को जीवन के वचन के बारे में किस माध्यम से पता चला? | यूहन्ना ने जीवन के वचन को सुना, देखा, ध्यान से देखा और हाथों से छुआ था। | |||
3 | 1:2 | n05u | \# यूहन्ना पर प्रगट होने से पहले अनन्त जीवन कहाँ था? | यूहन्ना पर प्रगट होने से पहले अनन्त जीवन पिता के साथ था। | |||
4 | 1:3 | dkvx | \# यूहन्ना ने जो देखा और सुना है उसका समाचार क्यों दे रहा है? | यूहन्ना ने जो कुछ देखा और सुना है, उसका समाचार इसलिए दे रहा है ताकि दूसरे भी उसके साथ सहभागी हो सकें। | |||
5 | 1:3 | wbwe | \# यूहन्ना की पहले से ही किसके साथ सहभागिता है? | यूहन्ना की पहले से ही पिता और उसके पुत्र, यीशु मसीह के साथ सहभागिता है। | |||
6 | 1:5 | e5d4 | \# यूहन्ना अपने पाठकों के लिए परमेश्वर की ओर से किस संदेश की सूचना दे रहा है? | यूहन्ना इस सन्देश की सूचना दे रहा है कि परमेश्वर ज्योति है, और उसमें कुछ भी अंधकार नहीं है। | |||
7 | 1:6 | wnfh | यूहन्ना उस व्यक्ति के बारे में क्या कहता है जो कहता है कि उसकी परमेश्वर के साथ सहभागिता है, परन्तु वह अंधकार में चलता है? | यूहन्ना कहता है कि ऐसा व्यक्ति झूठा होता है और वह सत्य पर नहीं चलता है। | |||
8 | 1:7 | q6um | \# ज्योति में चलने वालों को उनके सब पापों से क्या शुद्ध करता है? | यीशु का लहू उन्हें उनके सब पापों से शुद्ध करता है। | |||
9 | 1:8 | s0mr | \# यदि हम कहते हैं कि हम में कुछ भी पाप नहीं है, तो हम अपने साथ क्या करते हैं? | यदि हम कहते हैं कि हम में कुछ भी पाप नहीं है, तो हम अपने आप को धोखा देते हैं और हम में सत्य नहीं है। | |||
10 | 1:9 | ldre | \# जो लोग अपने पापों को मान लेते हैं, उनके लिए परमेश्वर क्या करेगा? | जो लोग अपने पापों को मान लेते हैं, परमेश्वर उनके पापों को क्षमा करेगा और उन्हें सब अधर्म से शुद्ध करेगा। | |||
11 | 2:2 | cwjq | \# यीशु मसीह किसके पापों का प्रायश्चित है? | यीशु मसीह सारे जगत के पापों का प्रायश्चित है। | |||
12 | 2:3 | o2gw | \# हम कैसे जानते हैं कि हम यीशु मसीह को जान गए हैं? | यदि हम उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, तो हम जान जाते हैं कि हम उसे जान गए हैं। | |||
13 | 2:4 | oq37 | \# किस प्रकार का व्यक्ति कहता है कि वह परमेश्वर को जानता है, परन्तु परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं मानता है? | एक झूठा व्यक्ति कहता है कि वह परमेश्वर को जानता है, परन्तु परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं मानता है। | |||
14 | 2:6 | djan | \# एक व्यक्ति को कैसे चलना चाहिए यदि वह कहता है कि वह मसीह में बना रहता है? | उसे वैसे ही चलना चाहिए जैसे यीशु मसीह चलता था। | |||
15 | 2:9 | d7er | \# जो कोई यह कहता है कि वह ज्योति में है, परन्तु अपने भाई से बैर रखता है तो उसकी आत्मिक स्थिति क्या है? | जो कोई यह कहता है कि वह ज्योति में है, परन्तु अपने भाई से बैर रखता है, तो वह अंधकार में है। | |||
16 | 2:11 | t52d | \# जो कोई अपने भाई से बैर रखता है उसकी आत्मिक स्थिति क्या है? | जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अंधकार में है, और अंधकार में चलता है। | |||
17 | 2:12 | w6ak | \# परमेश्वर विश्वासियों के पापों को क्यों क्षमा करता है? | परमेश्वर अपने नाम से विश्वासियों के पापों को क्षमा करता है। | |||
18 | 2:15 | afbd | \# संसार की वस्तुओं के प्रति विश्वासी का व्यवहार कैसा होना चाहिए? | एक विश्वासी को न तो संसार से प्रेम रखना चाहिए और न ही संसार की वस्तुओं से। | |||
19 | 2:16 | pfzu | \# ऐसी कौन सी तीन वस्तुएँ हैं जो पिता की ओर से नहीं परन्तु संसार की ओर से हैं? | शरीर की अभिलाषा, और आँखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, पिता की ओर से नहीं हैं, परन्तु संसार ही की ओर से है। | |||
20 | 2:18 | cd02 | \# हम मसीह के विरोधी के बारे में क्या जानते हैं? | हम जानते हैं कि वह आनेवाला है। | |||
21 | 2:18 | dz04 | \# हम कैसे जानते हैं कि यह अन्तिम समय है? | हम जानते हैं कि यह अन्तिम समय है क्योंकि बहुत से मसीह के विरोधी उठे हैं। | |||
22 | 2:22 | u6q4 | \# हम मसीह के विरोधी को कैसे पहचानेंगे? | मसीह का विरोधी पिता और पुत्र का इन्कार करेगा। | |||
23 | 2:23 | g5cr | \# क्या जो कोई पुत्र का इन्कार करता है उसके पास पिता हो सकता है? | नहीं, जो कोई पुत्र का इन्कार करता है, उसके पास पिता नहीं हो सकता है। | |||
24 | 2:24 | x90k | \# पुत्र और पिता में बने रहने के लिए विश्वासियों को क्या करना चाहिए? | जो कुछ उन्होंने आरम्भ से सुना है, उन्हें उसी में बने रहना चाहिए। | |||
25 | 2:25 | n42d | \# परमेश्वर ने विश्वासियों से किस की प्रतिज्ञा की है? | परमेश्वर ने विश्वासियों से अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा की है। | |||
26 | 2:28 | yjr1 | \# यदि हम उसमें बने रहें तो मसीह के प्रगट होने पर हमारा व्यवहार कैसा होगा? | यदि हम उस में बने रहें, तो जब मसीह प्रगट होगा तो हम में साहस होगा और हम लज्जित नहीं होंगे। | |||
27 | 3:1 | uc2n | \# पिता ने विश्वासियों से अपने प्रेम को कैसे प्रगट किया है? | उसने उनके लिए परमेश्वर की सन्तान कहलाना संभव बनाया है। | |||
28 | 3:2 | voao | \# जब मसीह प्रगट होगा तो विश्वासियों के साथ क्या होगा? | जब मसीह प्रगट होगा, तो विश्वासी मसीह के समान होंगे क्योंकि वे उसे वैसा ही देखेंगे जैसा वह है। | |||
29 | 3:3 | vruc | \# मसीह में आशा रखने वाले प्रत्येक विश्वासी को अपने विषय में क्या कार्य करना चाहिए? | प्रत्येक विश्वासी जो मसीह में आशा रखता है, उसे अपने आप को पवित्र करना चाहिए। | |||
30 | 3:5 | knzf | \# मसीह के पास अपने आप में क्या नहीं है? | मसीह के पास अपने आप में कोई पाप नहीं है। | |||
31 | 3:6 | mw43 | \# यदि कोई व्यक्ति पाप करना जारी रखता है, तो यह हमें परमेश्वर के साथ उनके संबंध के बारे में क्या बताता है? | यह हमें बताता है कि उन्होंने न तो मसीह को देखा है और न ही उसको जाना है। | |||
32 | 3:8 | rioa | \# परमेश्वर का पुत्र किस लिए प्रगट हुआ था? | परमेश्वर का पुत्र शैतान के कामों को नाश करने के लिए प्रगट हुआ था। | |||
33 | 3:9 | xjny | \# जो परमेश्वर से जन्मा है वह पाप करना क्यों जारी नहीं रख सकता है? | वह इसलिए पाप करना जारी नहीं रख सकता है क्योंकि उसमें परमेश्वर का बीज बना रहता है। | |||
34 | 3:10 | sgt9 | \# शैतान की सन्तान कैसे प्रगट होती है? | शैतान की सन्तान प्रगट होती है, क्योंकि वे धार्मिकता के काम नहीं करते, और अपके भाई से प्रेम नहीं रखते हैं। | |||
35 | 3:11 | wswk | \# वह समाचार क्या है जो हम ने आरम्भ से सुना है? | समाचार यह है कि हमें एक दूसरे से प्रेम रखना चाहिए। | |||
36 | 3:12 | bo8y | \# कैन ने कैसे दिखाया कि वह उस दुष्ट से था? | कैन ने अपने भाई की हत्या करके दिखाया कि वह उस दुष्ट से था। | |||
37 | 3:13 | tyil | \# यूहन्ना क्या कहता है कि विश्वासियों को किस से अचम्भा नहीं करना चाहिए? | यूहन्ना यह कहता है कि विश्वासियों को इस से अचम्भा नहीं करना चाहिए कि संसार उनसे बैर करता है। | |||
38 | 3:14 | hiyp | \# कौन\-सा व्यवहार यह प्रदर्शित करता है कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुँच गए हैं? | हम जानते हैं कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुँच गए हैं क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं। | |||
39 | 3:16 | n128 | \# हमने प्रेम किस से जाना है? | हमने प्रेम इसी से जाना है कि मसीह ने हमारे लिए अपने प्राण दे दिए। | |||
40 | 3:17 | uefx | \# क्या प्रगट करता है कि एक व्यक्ति में परमेश्वर का प्रेम नहीं है? | जब कोई धनवान किसी भाई को जरूरत में देखता है, परन्तु उसकी मदद नहीं करता है, तो उस व्यक्ति में परमेश्वर का प्रेम नहीं बना रह सकता है। | |||
41 | 3:18 | ecze | \# ऐसे कौन से दो तरीके हैं जिनसे हमारे लिए प्रेम करना अपर्याप्त है? | यदि हम केवल वचन या जीभ में प्रेम करते हैं तो यह हमारे लिए पर्याप्त नहीं है। | |||
42 | 3:18 | sh2i | \# वे दो तरीके कौनसे हैं जिनके द्वारा हमें प्रेम करना चाहिए? | हमें काम और सत्य के द्वारा प्रेम करना चाहिए। | |||
43 | 3:21 | yz2h | \# यदि हमारा मन हमें दोष नहीं देता है तो हमारे पास क्या है? | यदि हमारा मन हमें दोष नहीं देता है तो हमें परमेश्वर के सामने साहस होता है! | |||
44 | 3:23 | wvkw | \# परमेश्वर ने हमें क्या आज्ञा दी है? | परमेश्वर की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और एक दूसरे से प्रेम रखें। | |||
45 | 3:24 | c6pa | \# विश्वासी कैसे जानते हैं कि परमेश्वर उनमें बना रहता है? | परमेश्वर ने विश्वासियों को आत्मा दिया है ताकि वे जान सकें कि परमेश्वर उनमें बना रहता है। | |||
46 | 4:1 | rxps | \# विश्वासियों को हर एक आत्मा पर विश्वास क्यों नहीं करना चाहिए? | उन्हें हर एक आत्मा पर विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं। | |||
47 | 4:2 | w9sr | \# आप परमेश्वर के आत्मा को कैसे पहचान सकते हो? | हर एक आत्मा जो मान लेती है कि यीशु मसीह परमेश्वर की ओर से शरीर में होकर आया है। | |||
48 | 4:3 | raus | \# कौन\-सी आत्मा यह नहीं मानती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है? | एक मसीह के विरोधी की आत्मा यह नहीं मानती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है। | |||
49 | 4:4 | o8nn | \# विश्वासी कैसे उन आत्माओं पर जय पाने के योग्य होते हैं जो परमेश्वर की ओर से नहीं हैं? | हम उन पर जय पा सकते हैं क्योंकि जो आत्मा हम में है वह उस आत्मा से बड़ा है जो संसार में है। | |||
50 | 4:7 | y7ja | \# विश्वासियों को क्यों एक दूसरे से प्रेम रखना चाहिए? | विश्वासियों को एक दूसरे से प्रेम रखना चाहिए क्योंकि प्रेम परमेश्वर की ओर से है, और जो परमेश्वर से जन्मा हुआ है वह प्रेम करता है। | |||
51 | 4:8 | x7ex | \# जो प्रेम नहीं रखता है, वह कैसे प्रदर्शित करता है कि वह परमेश्वर को नहीं जानता है? | जो लोग परमेश्वर को जानते हैं वे प्रेम रखते हैं क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। | |||
52 | 4:9 | ax54 | \# परमेश्वर ने हमारे लिए अपने प्रेम को कैसे प्रगट किया? | परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजकर हमारे लिए अपने प्रेम को प्रगट किया। | |||
53 | 4:9 | z4i9 | \# पिता ने अपने पुत्र को किस उद्देश्य से भेजा? | पिता ने अपने पुत्र को इसलिए भेजा ताकि हम उसके द्वारा जीवित रहें। | |||
54 | 4:15 | glq3 | \# यदि किसी व्यक्ति में परमेश्वर बना रहता है और वह व्यक्ति परमेश्वर में बना रहता है, तो वह व्यक्ति यीशु के बारे में क्या मान लेता है? | जो व्यक्ति परमेश्वर में बना रहता है वह यह मान लेता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है। | |||
55 | 4:17 | bdox | \# न्याय के दिन परमेश्वर का प्रेम हम में किस व्यवहार का कारण बनेगा? | परमेश्वर का प्रेम न्याय के दिन हम में साहस का कारण बनेगा। | |||
56 | 4:19 | xolq | \# हम कैसे प्रेम कर सकते हैं? | हम इसलिए प्रेम करते हैं क्योंकि पहले परमेश्वर ने हमसे प्रेम किया। | |||
57 | 4:20 | vyhw | \# यदि कोई अपने भाई से बैर रखता है, तो उसका परमेश्वर से क्या रिश्ता है? | जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, तो वह परमेश्वर से प्रेम नहीं रख सकता है। | |||
58 | 4:21 | sjha | \# जो कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है उसे अपने भाई के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? | जो कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है उसे अपने भाई से भी प्रेम करना चाहिए। | |||
59 | 5:3 | edbx | \# हम कैसे प्रदर्शित करते हैं कि हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं? | जब हम उसकी आज्ञाओं को मानते हैं तो हम प्रदर्शित करते हैं कि हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं। | |||
60 | 5:4 | pw9a | \# वह कौन सी जय है जिसने संसार पर जय प्राप्त की है? | विश्वास ही वह जय है जिसने संसार पर जय प्राप्त की है? | |||
61 | 5:6 | qola | \# यीशु मसीह किन दो चीजों से आया था? | यीशु मसीह पानी और लहू के द्वारा आया था। | |||
62 | 5:8 | je7z | \# यीशु मसीह के बारे में कौन\-सी तीन चीज़ें गवाही देती हैं? | आत्मा, पानी और लहू ये सब यीशु मसीह के विषय में गवाही देते हैं। | |||
63 | 5:10 | s4ar | \# यदि कोई अपने पुत्र के विषय में परमेश्वर की गवाही पर विश्वास नहीं करता है, तो वे परमेश्वर को क्या बनाते हैं? | जो कोई अपने पुत्र के विषय में परमेश्वर की गवाही पर विश्वास नहीं करता है, वह परमेश्वर को झूठा ठहराता है। | |||
64 | 5:11 | lgj0 | \# परमेश्वर ने हमें अपने पुत्र में क्या दिया है? | परमेश्वर ने हमें अपने पुत्र में अनन्त जीवन दिया है। | |||
65 | 5:14 | xweh | \# विश्वासियों को परमेश्वर के सामने क्या साहस होता है? | विश्वासियों को यह साहस होता है कि यदि वे परमेश्वर की इच्छा के अनुसार कुछ भी माँगते हैं, तो वह उनकी सुनता है। | |||
66 | 5:16 | yo4u | \# एक विश्वासी को तब क्या करना चाहिए जब वह देखता है कि उसका भाई कोई ऐसा पाप कर रहा है जिसका फल मृत्यु नहीं है? | एक विश्वासी को जो अपने भाई को कोई ऐसा पाप करते देखता है जिसका फल मृत्यु नहीं है, विनती करनी चाहिए कि परमेश्वर उसके भाई को जीवन दे। | |||
67 | 5:17 | dgvx | What is all unrighteousness? | All unrighteousness is sin. | |||
68 | 5:19 | afpx | Where does the whole world lie? | The whole world lies in the evil one. | |||
69 | 5:20 | xwlk | What is the result of the understanding that the Son of God has given to us? | Because of the understanding that the Son of God has given to us, we may know the True One. | |||
70 | 5:21 | e9og | From what must believers keep themselves? | Believers must keep themselves from idols. |