STR_ur-deva_ta/translate/figs-merism/01.md

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### तारीफ़
Merism एक तक़रीर का एक आदाद-ओ-शुमार है जिसमें एक शख़्स उस के दो इंतिहाई हिस्सों के बारे में बात कर के कुछ इशारा करता है इंतिहाई हिस्सों का हवाला देते हुए, स्पीकर का मक़सद उन हिस्सों के दरमयान सब कुछ भी शामिल है
''मैं उल्फ़ा और ओमेगा हूँ, 'ख़ुदा ख़ुदा फ़रमाता है, "जो है, और कौन था, और कौन है, ग़ालिबान. (मुकाशफ़ा1: 8، यू उल्टी
>में u>उल्फ़ा और ओमेगा / u>، सबसे पहले और आख़िरी / u>، आग़ाज़ और इख़तताम / u>हूँ (मुकाशफ़ा22:13، ​​यू उल्टी
उल्फ़ा और ओमेगा / u>यूनानी हरूफ़-ए-तहज्जी के पहले और आख़िरी हुरूफ़ हैं ये एक ख़ासीयत है जिसमें आग़ाज़ से आख़िर तक सब कुछ शामिल है ये अबदी का मतलब है
>मैं आपकी पैरवी करता हूँ, बाप, रब की<आसम और ज़म .. ، (मति11:25यू उल्ट
आसम और ज़म / u>एक ज़हनीयत है जिसमें मौजूद सब कुछ शामिल है
#### वजह ये एक तर्जुमा का मसला है
कुछ ज़बानेंmerism इस्तिमाल नहीं करते हैं इन ज़बानों के क़ारईन को ये ख़्याल है कि ज़िक्र करदा इश्याय पर सिर्फ अलफ़ाज़ पर लागू होता है वो ये महसूस नहीं कर सकते कि ये इन दोनों चीज़ों और हर चीज़ के दरमयान है
### बाइबल की मिसाल
> सूरज की बढ़ती हुई तर्तीब से इस के तर्तीब से, ख़ुदावंद का नाम की तारीफ़ की जानी चाहीए (ज़बूर113: 3 यू उल्टी
ये बुनियादी तौर पर फ़िक़रा एक मर्ज़ है क्योंकि ये मशरिक़ी और मग़रिब और हर जगह के दरमयान है इस का मतलब है "हर जगह.
>वो इस शख़्स को बरकत देगा जो इस का एज़ाज़ रखते हैं, दोनों u>नौजवान और पुराने / u>. (ज़बूर115: 13)
ज़ेर अलतवा फ़िक़रा मुराद है क्योंकि वो बात करता है, बूढ़े और नौजवान और सब के दरमयान इस का मतलब है "सब.
### तर्जुमा की हिक्मत-ए-अमली
अगर मर्ज़ क़ुदरती होगी और अपनी ज़बान में सही मअनी दे तो इस का इस्तिमाल करें अगर नहीं, तो यहां दूसरे इख़्तयारात हैं
1. इस बात की शनाख़्त करें कि मर्ज़ों को बग़ैर किसी चीज़ का ज़िक्र किया गया है
1. इस बात की शनाख़्त करें कि मर्ज़ को कौनसा हुसूल और हिस्सों में शामिल है
### लागू तर्जुमा की हिक्मत-ए-अमली की मिसालें
1. इस बात की शनाख़्त करें कि मर्ज़ों को बग़ैर किसी चीज़ का ज़िक्र किया गया है
* **मैं आपकी तारीफ़ करता हूँ, बाप, रब का ख़ुदा, आसमान और ज़मीन ..** (मति11:25 यू उल्टी
* मैं आपकी तारीफ़ करता हूँ, वालिद, रब का<सब कुछ / u> ...
* ** सूरज की बढ़ती हुई जगह से इस की तर्तीब में, ख़ुदावंद का नाम की तारीफ़ की जाये** (ज़बूर113: 3 यू उल्टी
*  तमाम मुक़ामात पर / u>، लोगों को ख़ुदावंद का नाम की तारीफ़ करना चाहीए
1. इस बात की शनाख़्त करें कि मर्ज़ को कौनसा हुसूल और हिस्सों में शामिल है
* **मैं आपकी पैरवी करता हूँ, बाप, रब का ख़ुदा, आसमान और ज़मीन** (मति11:25 यू उल्टी
* मैं आपकी तारीफ़ करता हूँ, वालिद, रब का<सब कुछ, िशम जन्नत में और ज़म पर है समेत
* ** इस शख़्स बरकत देग इस एज़ रखते हैं, u>नौजवान और पुराने / u>.** (ज़बूर115: 13 यू उल्टी
वो इन सबको बरकत देगा जो इस का एज़ाज़ रखते हैं, चाहे वो नौजवान या पुराने / u>हैं