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तफ़सील

हुक्मियां जुमले ,बुनियादी तौर पर एक ख़ाहिश या ज़रूरत का इज़हार करने के लिए इस्तिमाल किया जाता है I कही कभी हुक्मियां जुमलों का बाइबिल में कुछ अलग इस्तेमाल भी होता है I

वजह ये एक तर्जुमा का मसला है

कुछ जबाने हुक्मियां जुमलों का इस्तेमाल बाइबिल के कुछ उनसार के लिए नहीं करेगी I

बाइबल की मिसाल

तक़रीर करने वाला अक्सर हुक्माया जुमलों का इस्तेमाल अपने सुनने वालों से , कुछ करने के लिए कहने के लिए करता है I जेनेसिस 2 , खुदा ने इस्सक से कहा , मिस्त्र मत जाओ , बल्कि वहां रहो जहाँ खुदा कहता है I

अब याह्वेह सामने आया और उसने कहा <यु> नीचे मिस्त्र मत जाओ </यु> उस जमीन पे रहो जहाँ में तुम्हे रहने के लिए कहता हूँ I ( जेनेसिस 26:2 यू एल टी )

कभी कभी बाइबिल में हुक्माया जुमले का दूसरा इस्तमाल भी होता है I

लाज़मी जो चीजों को करती है

खुदा चीज़ों को , होने के लिए हुकुम देके , होने देता है I जीसस ने एक आदमी को , ठीक होने का हुकुम देके ,ठीक किया I आदमी यहाँ उस हुकुम की तामील के लिए कुछ नहीं कर सकता है , पर जीसस ने उसे हुकुम देके सही किया (“ साफ़ होने” का मतलब है “ठीक होना “)

में चाहता हूँ की <यु> तुम साफ़ हो जाओ <यु> उसी समय वो कोढ़ से साफ़ हो गया ( मैथ्यू 8:3 यू एल टी )

जेनेसिस1 में , खुदा ने हुकुम दिया की रौशनी हो , और हुकुम देके , उसने वैसा होना मुमकिन किया I कुछ जबानो में जैसे की हिब्रू बाइबिल में कमांड तीसरे सख्स की शकल में है I अंग्रेजी ये नहीं करता है , इसलिए लाज़मी है की वो तीसरे शख्स के हुकुम को दुसरे शख्स में बदल दे यू एल टी )

खुदा ने कहा ,” <यु> वहां रौशनी होने दो,” और वहां रौशनी हो गयी ( जेनेसिस 1:3 यू एल टी )

जिस जबान में तीसरा शख्स की कमान होती है , वो असल इब्रानी की पैरवी कर सकते हैं , जो की अंग्रेजी में कुछ इस तरह तर्जुमान होता है “"रोशनी होना ज़रूरी है.

हुक्माया जो बरकत के तौर पर काम करती हैं

बाइबल में, ख़ुदा हुक्माया को इस्तिमाल करके लोगों को बरकत देते है I ये इशारा करता है कि उनकी मर्ज़ी उनके लिए किया है I

खुदा ने उन्हें बरकत दी और कहा ,” <यु> तुम फूलो फलो <यु> और बढ़ो </यु> . ज़मीन को <यु> भर<यु> दो और <यु> तस्खीर <यु> करो I समुन्दर की मछलियों पे <यु> राज<यु> करो , आकाश के परिंदों पे और  हर ज़िंदा चीज़ पर जो ज़मीन पर चलता है "

हुक्माया जो हालात के तौर पर काम करते हैं

हुक्माया जुमले का इस्तेमाल “ हालात” बताने के लिए भी किये जा सकता है जिसमें कुछ हुआ हो I ज़राब , ज़िन्दगी और चीज़ों के बारे में बताती है जो हो चुकें है I ज़राब 4:6 का यह मकसद हुक्माया देना नहीं है , बल्कि लोगों को ये सीखना है की क्या हो सकता है , <यु> अगर <यु> लोग दाने पसंद हो तो I

... <यु> > ... इलम को तर्क ना करें और वो आपको देखेंगे <यु>> उसे प्यार करें / u> और वो आपको महफ़ूज़ रखेंगे (इमसाल4: 6 यू उल्टी

इमसाल22: 6 का मक़सद ये है कि वो सिखा सकें कि अगर लोग अपने बच्चों को उनके चलने का रास्ता बताएं तो वो क्या हो सकते हैं I

<यु> एक </यु> बच्चे को सिखाएं उन्हें किस राह पे जाना चाहिए इसलिए जब वो बूढ़े हो जायेंगे तो इस हिदायात से दूर नहीं रहेंगे (इमसाल22: 6 यू एल टी )

तर्जुमा की हिक्मत-ए-अमली

  1. अगर लोग बाइबल में एक अफ़आल में से एक के लिए लाज़िमी सज़ा का इस्तिमाल नहीं करेंगे, उस के बजाय एक बयान इस्तिमाल करने की कोशिश करें
  2. अगर लोग समझ नहीं सकेंगे कि किसी चीज़ को होने की वजह से किसी सज़ा का इस्तिमाल किया जाता है, तो इस से ज़ाहिर होता है कि इस का क्या नतीजा ये था कि क्या बात की गई थी
  3. अगर लोग एक हालत के तौर पर किसी कमांड का इस्तिमाल नहीं करेंगे, तो लफ़्ज़ "अगर और "फिर के साथ एक बयान के तौर पर तर्जुमा करें

लागू तर्जुमा की हिक्मत-ए-अमली की मिसालें

  1. अगर लोग बाइबल में एक अफ़आल में से एक के लिए लाज़िमी सज़ा का इस्तिमाल नहीं करेंगे, उस के बजाय एक बयान इस्तिमाल करने की कोशिश करें
  • साफ़ रहो ( मथ्यु 8: 3 यू एल टी )
  • ” अब आप साफ़ है .”
  • ” मैंने तुम्हे साफ़ कर दिया है “
  • खुदा ने कहा ,” <यु> वहां रौशनी होने दो,” और वहां रौशनी हो गयी ( जेनेसिस 1:3 यू एल टी )
  • खुदा ने कहा ,” <यु> अब यहाँ रौशनी है,” और वहां रौशनी हो गयी I
  • खुदा ने उन्हें बरकत दी और कहा ,” <यु> तुम फूलो फलो <यु> और बढ़ो </यु> . ज़मीन को <यु> भर<यु> दो और <यु> तस्खीर <यु> करो I समुन्दर की मछलियों पे <यु> राज<यु> करो , आकाश के परिंदों पे और  हर ज़िंदा चीज़ पर जो ज़मीन पर चलता है ." (जेनेसिस 1:3 ULT)"
  • खुदा ने उन्हें बरकत दी और कहा ,” <यु>में तुम्हारे लिए चाहता हूँ की तुम फूलो फलो <यु> और बढ़ो </यु> . ज़मीन को <यु> भर<यु> दो और <यु> तस्खीर <यु> करो I और में चाहता हूँ की तुम समुन्दर की मछलियों पे <यु> राज<यु> करो , आकाश के परिंदों पे और  हर ज़िंदा चीज़ पर जो ज़मीन पर चलता है ."
  1. अगर लोग समझ नहीं सकेंगे कि किसी चीज़ को होने की वजह से किसी सज़ा का इस्तिमाल किया जाता है, तो इस से ज़ाहिर होता है कि इस का क्या नतीजा ये था कि क्या बात की गई थी
  • ख़ुदा ने कहा, "यहाँ रौशनी होने दो, और रोशनी थी (पैदाइश1: 3 यू उल्टी )
  • ख़ुदा ने कहा, 'रोशनी ना दो, तो / u> वहां रोशनी थी I

खुदा ने कहा ,” रौशनी होनी चाहिए </यु> और इसके नातिज़ं वह रौशनी थी I

  1. अगर लोग एक हालत के तौर पर किसी कमांड का इस्तिमाल नहीं करेंगे, तो लफ़्ज़ "अगर और "फिर के साथ एक बयान के तौर पर तर्जुमा करें I

एक बच्चे को सिखाएं उन्हें किस राह पे जाना चाहिए इसलिए जब वो बूढ़े हो जायेंगे तो इस हिदायात से दूर नहीं रहेंगे (इमसाल22: 6 यू एल टी )

तर्जुमाऐसे करें :

<यु> अगर </यु> तुम एक बच्चे को सेखायेगो की किस राह जाना है वो उसी राह जायेगा I <यु> इसलिए जब वो बूढ़े हो जायेंगे तो इस हिदायात से दूर नहीं रहेंगे .”