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तफ़सील
जिंसी इस्म फीकरा ,किसी खास की जगह आम लोगों और चीज़ों के बार में बात करता है I ये अक्सर नबुव्वत में होता है, क्योंकि मुबस्सिरीन ऐसी चीज़ों के बारे में बताते हैं जो आम तौर पर लोगों के बारे में सच्च हैं I
क्या <यु> एक आदमी अपने पांव को छीले बग़ैर गर्म कोयले पर चल सकता है ?
तो u> वो आदमी जो अपने पड़ोसी की बीवी पे जाता है / u>؛ <यु>जिसका उसके साथ रिश्ता है <यु> वो <यु> बिना सजा के नहीं जा सकता है (इमसाल 6:28 यू एल टी )
मुंदरजा बाला हुरूफ़ एक ख़ास आदमी का हवाला नहीं देते हैं वो किसी भी शख़्स जो ये काम करता है उस का हवाला देते हैं I
ये एक तर्जुमा मसला होने की वजह
मुख़्तलिफ़ ज़बानों में ये ज़ाहिर करने के मुख़्तलिफ़ तरीक़े हैं कि लफ़्ज़ी जुमले किसी आम चीज़ के बारे में बात कर रहे है I तर्जुमान इन ख़यालात को इस तरह खेताब करें जैसा उनके जुबान में कुदरती हो I
बाइबल की मिसाल
जो सही करता है </यु> वह मुसीबत से door रहता है और सब कुछ <यु> खबीस <यु> पे आजाता है I
मुंदरजा बाला जुमले किसी भी मख़सूस लोगों के बारे में बात नहीं कर रहे है बल्कि उसके बारे में बात कर रहे है जो सही है या खाबीश है I
लोग उस <यु> आदमी <यु> को बद्दुआ देते है जो उन्हें अनाज देने से माना कर देता है I (मक्वाला 11:26 यू एल टी )
ये किसी ख़ास शख़्स पे इशारा नहीं करता है, बल्कि कोई भी शख़्स को जो अनाज को बेचने से इनकार करता उसके बारे में बात करता है I
ख़ुदावंद अच्छे इन्सान पे एहसान करता है, लेकिन वो उस शख़्स की मुज़म्मत करता है जो शर की मंसूबा बंदी करता है / u>. (इमसाल12: 2 यू उल्टी )
फिकरा "एक अच्छा इन्सान “ किसी ख़ास आदमी से नहीं बल्कि किसी भी शख़्स को ओर इशारा करता है I फिकर "इन्सान जो बुरे मंसूबे रखता है” किसी मख़सूस शख़्स की नहीं , बल्कि किसी भी शख़्स जो बुराई की मंसूबा बंदी करता है के बारे में बात करता है I
तर्जुमा की हिक्मत-ए-अमली
अगर आपकी जबान , किसी ख़ास लोग या चीज़ की जगह ,आम लोगों और चीज़ों को बताने के लिए क, ULT के जैसे ही अल्फाजों का इस्तेमाल करती है , तब उसी अल्फाजों का इस्तमाल करें I यहां कुछ ऐसी हिक्मत-ए-अमली हैं जो आप इस्तिमाल कर सकते हैं
- इस्म फिक्रेह में “ द “ का इस्तेमाल करें
- इस्म फिक्रेह में “ ए “ का इस्तेमाल करें
- इस्म फिक्रेह में “ किसी“ को “ किसी आदमी “ या “ कोई “ के लिए इस्तेमाल करें
- कसीर शक्ल का इस्तिमाल करें जैसे जैसे "लोग.
- आपकी ज़बान में क़ुदरती तौर पर किसी दूसरी तरह का इस्तिमाल करें
लागू तर्जुमा की हिक्मत-ए-अमली की मिसालें
- इस्म फिक्रेह में “ द “ का इस्तेमाल करें
- ख़ुदावंद <यु>एक अच्छे इन्सान<यु> पे एहसान करता है, लेकिन वो <यु>उस शख़्स<यु> की मुज़म्मत करता है जो शर की मंसूबा बंदी करता है </यु>. (इमसाल12: 2 यू उल्टी )
- " ख़ुदावंद <यु अच्छे इन्सान<यु> पे एहसान करता है, लेकिन वो <यु>उस शख़्स<यु> की मुज़म्मत करता है जो शर की मंसूबा बंदी करता है </यु>. (इमसाल12: 2 यू उल्टी )
- इस्म फिक्रेह में “ द “ का इस्तेमाल करें
- लोग उस <यु> आदमी <यु> को बद्दुआ देते है जो उन्हें अनाज देने से माना कर देता है I (मक्वाला 11:26 यू एल टी ) * " लोग उस <यु> वैसे आदमी <यु> को बद्दुआ देते है जो उन्हें अनाज देने से माना कर देता है I
- इस्म फिक्रेह में “ किसी“ को “ किसी आदमी “ या “ कोई “ के लिए इस्तेमाल करें
लोग <यु> आदमी <यु> को बद्दुआ देते है जो उन्हें अनाज देने से माना कर देता है I (मक्वाला 11:26 यू एल टी )
- लोग उस <यु> आदमी <यु> को बद्दुआ देते है जो उन्हें अनाज देने से माना कर देता है I (मक्वाला 11:26 यू एल टी )
- कसीर शक्ल इस्तिमाल करें, जैसे "लोगों (या उस मजाज़ में, "मर्दों" में
- लोग उस <यु> आदमी <यु> को बद्दुआ देते है जो उन्हें अनाज देने से माना कर देता है. (मक्वाला 11:26 यू एल टी )
लोग <यु> आदमी <यु> को बद्दुआ देते है जो उन्हें अनाज देने से माना कर देता है I
- आपकी ज़बान में क़ुदरती तौर पर किसी दूसरी किस्म का इस्तिमाल करें
- लोग उस <यु> आदमी <यु> को बद्दुआ देते है जो उन्हें अनाज देने से माना कर देता है.
लोग किसी <यु> आदमी <यु> को, जो उन्हें अनाज देने से माना कर देता है. को बद्दुआ देते है जो