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दीगर जाँच के तरीक़े

सवालात पूछने के साथ साथ, दीगर जाँच के तरीक़े हैं जिनका आप इस्तेमाल कर सकते हैं यह यक़ीनी बनाने के लिए के तर्जुमा वाज़े, पढ़ने में आसान, और सुनने वालों के लिए क़ुदरती है। यहाँ बाज़ दीगर तरीक़े है जिनकी आप कोशिश करना पसन्द कर सकते हैं:

  • दोबारा बताने का तरीक़ा: आप, मुतर्जिम या जाँचने वाला, एक क़तआ या कहानी पढ़ सकते हैं और किसी दूसरे से दोबारा बताने के लिए कहें जो कहा गया था। अगर वह शख्स आसानी से क़तआ को दोबारा बता सकता है, फिर क़तआ वाज़े था। किसी भी ऐसे जगह का बाब और आयत के साथ नोट बनाएँ जिसे वह शख्स छोड़ दिया हो या ग़लत बताया हो। उन्हें ज़ियादा वाज़े बनाने के लिए तर्जुमा टीम को तर्जुमे में उन जगहों की नज़रसानी करने की ज़रुरत हो सकती है। किसी भी मुख्तलिफ़ तरीक़ों का भी नोट बनाएँ जो चीज़ें उस शख्स ने कहीं जिसका मानी वही है जैसा के तर्जुमे में। यह हो सकता है के चीज़ों को कहने के ये तरीक़े तर्जुमे के तरीकों के मुक़ाबले ज़ियादा क़ुदरती हों। तर्जुमे को ज़ियादा क़ुदरती बनाने के लिए तर्जुमा टीम इन तरीक़ों का इस्तेमाल उसी चीज़ को कहने के लिए कर सकती है।
  • पढ़ने का तरीक़ा: आपके अलावा दूसरा कोई, मुतर्जिम या जाँचने वाला, तर्जुमे का एक क़तआ पढ़ सकता है जबके आप सुनें और उन जगहों को नोट करें जहाँ वह शख्स रुकता है या गलतियाँ करता है। इससे यह ज़ाहिर होगा के तर्जुमे को पढ़ना और समझना कितना आसान या कितना मुश्किल है। तर्जुमे में उन जगहों पर नज़र करें जहाँ पढ़ने वाला रुका या गलतियाँ कीं और गौर करें के क्या है जो तर्जुमे के उस हिस्से को मुश्किल बनाया। तर्जुमा टीम को उन नुकतों पर तर्जुमे की नज़रसानी करने की ज़रुरत हो सकती है ताके पढ़ना और समझना आसान हो।
  • मुतबादिल तर्जुमा पेश करें: तर्जुमे में कुछ जगहों पर तर्जुमा टीम को किसी माख़ज़ लफ्ज़ या फ़िक़रे को बयान करने के बेहतरीन तरीक़े का यक़ीन नहीं भी हो सकता है। इस सूरत में, दूसरे लोगों से पूछें के वो इसका तर्जुमा कैसे करेंगे। उनके लिए जो माख़ज़ ज़बान को नहीं समझते, बयान करें जो आप कहने की कोशिश कर रहे हैं और पूछें के वो इसे कैसे कहेंगे। अगर मुख्तलिफ़ तर्जुमे यकसां अच्छे लगते हैं तो, लोगों को एक ही ख़याल के दो तर्जुमों के दरमियान इन्तखाब पेश करें और उनसे पूछें के उनके ख़याल में कौन सा मुतबादिल तर्जुमा ज़ियादा वाज़े है।
  • जायज़ा लेने वाले का दरामद: दूसरों को अपना तर्जुमा पढ़ने दें जिनका आप एहतराम करते हैं। उनसे कहें के नोट करें और बताएँ के कहाँ इसे बेहतर बनाया जा सकता है। बेहतर अल्फ़ाज़ के इन्तखाब, ज़ियादा क़ुदरती तासरात, और हिज्जे की तरतीब की भी तलाश करें।
  • मुज़ाकरा गिरोह: लोगों से तर्जुमे को बुलन्द आवाज़ में एक गिरोह में पढ़ने के लिए कहें और लोगों को वज़ाहत के लिए सवालात पूछने की इजाज़त दें। उन अल्फ़ाज़ पर तवज्जो दें जो वह इस्तेमाल करते हैं, चूँकि मुतबादिल अल्फ़ाज़ और तासरात तभी आते है जब कोई एक मुश्किल नुक़ते को समझाने की कोशिश कर रहा हो, और ये मुतबादिल अल्फ़ाज़ और तासरात जो तर्जुमे में हैं उनसे बेहतर हो सकते हैं। उस बाब और आयत के साथ जिनके बारे में वो हैं, उन्हें लिखें। तर्जुमा टीम इनका इस्तेमाल तर्जुमे को बेहतर बनाने के लिए कर सकती है। उन जगहों का भी नोट बनाएँ जहाँ लोग तर्जुमे को नहीं समझते ताके तर्जुमा टीम उन जगहों को और वाज़े बना सके।