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यह अहम है के आपके हदफ़ ज़बान तर्जुमे में वो तमाम आयात शामिल हों जो माख़ज़ ज़बान बाईबल में हैं। हम नहीं चाहते के ग़लती से कुछ आयात ग़ायब हो जाएँ। लेकिन याद रखें के इस बात की कोई अच्छी वजह हो सकती है के क्यों बाज़ बाईबल में कुछ ऐसी आयात हैं जो दूसरे बाईबल में नहीं हैं।

गुमशुदा आयात की वजूहात

  1. मतनी मुतग़यूरात - कुछ ऐसी आयात हैं जिनके बारे में बाईबल के कई उलेमा यक़ीन नहीं रखते के वो बाईबल में असल तौर पर थीं, बल्के बात में शामिल की गयी थीं। लिहाज़ा कुछ बाईबल के मुतर्जमीन उन आयात को शामिल न करना चुनते हैं, या उन्हें हाशिये के तौर पर शामिल करते हैं। (इसकी बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें मतनी मुतग़यूरात.) आपकी तर्जुमा टीम को यह फ़ैसला करने की ज़रुरत होगी के आप इन आयात को शामिल करेंगे या नहीं।
  2. मुख्तलिफ़ एदादी - कुछ बाईबल दूसरे बाईबल के मुक़ाबले आयत शुमारी का मुख्तलिफ़ निज़ाम इस्तेमाल करती हैं। (इसकी बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें बाब और आयत एदाद.) आपकी तर्जुमा टीम को यह फ़ैसला करने की ज़रुरत होगी के कौन सा निज़ाम इस्तेमाल करना है।
  3. आयत पुल - बाईबल के कुछ तर्जुमों में दो या ज़ियादा आयात के मवाद को दोबारा तरतीब दिया जाता है ताके मालूमात की तरतीब ज़ियादा मन्तक़ी या समझने में आसान हो। जब ऐसा होता है तो, आयत एदाद को मुत्तहिद किया जाता है, जैसे 4-5 या 4-6. बाज़ औक़ात UST ऐसा करती है। क्योंके सारे आयत एदाद ज़ाहिर नहीं होते या वो वहाँ ज़ाहिर नहीं होते जहाँ आप उन्हें होने की तवक्को करते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे कुछ आयत ग़ायब हैं। लेकिन उन आयात के मवाद वहाँ हैं। (इसकी बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें आयत पुल.) आपकी तर्जुमा टीम को यह फ़ैसला करने की ज़रुरत होगी के आयत पुल का इस्तेमाल करें या नहीं।

ग़ायब आयात के लिए जाँच

अपने तर्जुमे के ग़ायब आयात की जाँच करने के लिए, किसी किताब का तर्जुमा हो जाने के बाद, तर्जुमे को पैरामतन में दरामद करें। फिर “बाब/आयत एदाद” के लिए जाँच को चलायें। पैरामतन आपको उस किताब में हर जगह की एक फ़ेहरिस्त देगा जिसे यह ग़ायब आयात के तौर पर पायेगा। फिर आप हर उन जगहों को देख सकते हैं और फ़ैसला कर सकते हैं के क्या आयत ऊपर के तीन वजूहात में से एक की वजह से किसी मक़सद से ग़ायब है, या यह ग़लती से ग़ायब है और आपको वापस जाने और उस आयत को तर्जुमा करने की ज़रुरत है।