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तर्जुमा जाँच

तआर्रुफ़

हम तर्जुमा जाँच क्यों करते हैं?

तर्जुमा अमल के तौर पर, यह ज़रूरी है के तर्जुमे को कई लोग जाँच करें इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए के यह वाज़े तौर पर उसी पैग़ाम को इत्तिला कर रहा है जिसका इत्तिला इसे करना चाहिए। एक इब्तदाई मुतर्जिम जिससे उसका तर्जुमा जाँच करने को कहा गया था एक दफ़ा कहा, “लेकिन मैं अपनी मादरी ज़बान बिल्कुल ठीक बोलता हूँ। तर्जुमा उसी ज़बान के लिए है। मज़ीद क्या ज़रुरत है?” जो उसने कहा वह सच था, लेकिन ज़हन में रखने के लिए दो और बातें हैं।

एक बात यह है के हो सकता है वह माख़ज़ मतन को सहीह तौर पर न समझ पाया हो, और लिहाज़ा जो शख्स जो जानता हो के इसे क्या कहना चाहिए वह तर्जुमे को दुरुस्त करने के क़ाबिल हो सकता है। यह हो सकता है क्योंके उसने माख़ज़ मतन में किसी जुमले या बयान को सहीह तौर पर नहीं समझा। इस सूरत में, कोई और शख्स जो माख़ज़ मतन को अच्छी तरह समझता हो तर्जुमे को दुरुस्त कर सकता है।

या ऐसा हो सकता है के किसी ख़ास जगह बाईबल का क्या इत्तिला करने का मतलब था इसकी बाबत वह कुछ न समझा हो। इस सूरत में, जो शख्स बाईबल को अच्छी तरह जनता हो, जैसे के कोई बाईबल का उस्ताद या कोई बाईबल तर्जुमा जाँचने वाला, तर्जुमे को दुरुस्त कर सकता है।

दूसरी बात यह है के, अगरचे मुतर्जिम बहुत अच्छी तरह जान सकता है के मतन को क्या कहना चाहिए, जिस तरीक़े से उसने इसका तर्जुमा किया है इसका मतलब किसी दूसरे शख्स के लिए कुछ और हो सकता है। यानी, कोई दूसरा शख्स यह सोच सकता है के तर्जुमा मुतर्जिम के इरादे के अलावा कोई और बात कर रहा है, या जो शख्स तर्जुमे को सुन रहा है या पढ़ रहा है हो सकता है न समझे के मुतर्जिम क्या कहने की कोशिश कर रहा था।

यह अक्सर होता है जब एक शख्स कोई जुमला लिखता है और फिर कोई दूसरा इसे पढता है (या बाज़ औक़ात यहाँ तक के पहला शख्स अगर इसे दोबारा पढता है), जिसे वो समझते हैं जो मुसन्निफ़ का मतलब था यह उससे कुछ मुख्तलिफ़ कहता है। मुन्दर्जा जैल जुमले को एक मिशाल के तौर पर लें।

यूहन्ना पतरस को हैकल ले गया और फिर वह घर गया।

उसके ज़हन में जब उसने यह लिखा था, मुसन्निफ़ का मतलब था के पतरस घर गया, लेकिन कारी का ख़याल था के मुसन्निफ़ का शायद यह मतलब था के यूहन्ना ही घर गया था। जुमले को तब्दील करने की ज़रुरत है ताके यह ज़ियादा वाज़े हो।

नीज़, तर्जुमे की टीम उनके काम में बहुत क़रीब और मुब्तिला होती है, और लिहाज़ा उन्हें बाज़ औक़ात ऐसी ग़लतियाँ नज़र नहीं आती हैं जो दूसरे आसानी से देख सकते हैं। इन वजूहात की बिना पर यह जाँचना हमेशा ज़रूरी है के कोई दूसरा तर्जुमा से क्या समझता है ताके हम इसे ज़ियादा दुरुस्त और ज़ियादा वाज़े बना सकें।

यह जाँच दस्ती जाँच की अमल के लिए एक रहनुमा है। यह आपकी मुतद्दद क़िस्म के जाँच में रहनुमाई करेगा जो आपको इन मसाएल को हल करने की इजाज़त देगा। हमारा यक़ीन है के बहुत सारे लोगों का मुख्तलिफ़ क़िस्म की जाँच करने का नतीजा तेज़ तर जाँच का अमल, वसीअ पैमाने पर कलीसिया की शिरकत और मिलकियत की इजाज़त, और बेहतर तर्जुमे बनाना होगा।

जिन चीज़ों की जाँच करने की ज़रुरत है उनकी मज़ीद मिशालों के लिए, इस पर जाएँ: जाँच के लिए चीज़ों की क़िस्में.

  • क्रेडिट्स: इक्तबास इजाज़त के ज़रिये इस्तेमाल किया गया, © 2013, SIL बैन उल अक़वामी, हमारी आबाई सक़ाफ़त का इश्तिराक करना, p. 69.*