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एक वाज़े तर्जुमा

तर्जुमा वाज़े होना चाहिए। इसके मानी है के कोई भी जो इसे पढ़ता या सुनता है आसानी से समझ सके के यह क्या कहने की कोशिश कर रहा है। ख़ुद को पढ़ने के ज़रिये यह देखना मुमकिन है के क्या तर्जुमा वाज़े है। लेकिन यह और भी बेहतर होगा अगर आप इसे बुलन्द आवाज़ में ज़बान बिरादरी के किसी दूसरे को पढ़ें। जैसा के आप तर्जुमा पढ़ते हैं, ज़ैल में दर्ज सवालात ख़ुद से पूछें, या उस शख्स से पूछें जिस को आप पढ़ रहें हैं, यह देखने के लिए के क्या तर्जुमा का पैग़ाम वाज़े है। जाँच के इस हिस्से के लिए, नए तर्जुमे को माख़ज़ ज़बान तर्जुमे के साथ मोवाज़ना न करें। अगर किसी जगह पर मसअला है तो, इसका नोट बनाएँ ताके बाद में आप इस मसअले पर तर्जुमा टीम के साथ गुफ़्तगू कर सकें।

  1. क्या तर्जुमे के अल्फ़ाज़ और फ़िक़रे पैग़ाम को क़ाबिल ए फ़हम बनाते हैं? (क्या अल्फ़ाज़ उलझे हुए हैं, या वह आप को साफ़ साफ़ बताते हैं के मुतर्जिम का क्या मतलब है?)
  2. क्या आपको बिरादरी के अरकान तर्जुमे में पाए जाने वाले अल्फ़ाज़ और तासरात इस्तेमाल करते हैं, या मुतर्जिम ने क़ौमी ज़बान से बहुत से अल्फ़ाज़ मुस्तआर लिए हैं? (क्या आपके लोग इस तरीक़े से बात करते हैं जब वो आपकी ज़बान में अहम बातें कहना चाहते हैं?)
  3. क्या आप मतन को आसानी से पढ़ और समझ सकते हैं के मुसन्निफ़ आगे क्या कह सकता है? (क्या मुतर्जिम कहानी सुनाने का एक अच्छा अन्दाज़ इस्तेमाल कर रहा है? क्या वह बातों को इस तरीक़े से बता रहा है जो मानी ख़ेज़ हैं, ताके हर हिस्सा इससे ठीक बैठे के पहले क्या आया और बाद में क्या होगा? क्या आप को इसे समझने के लिए रुकना पड़ता है और कोई हिस्सा दोबारा पढ़ना पड़ता है?

इज़ाफ़ी मदद:

  • क्या मतन वाज़े है, यह तअीन करने का एक तरीक़ा यह है के कुछ आयात को एक वक़्त में बुलन्द आवाज़ से पढ़ें और किसी से जो सुन रहा है उससे हर हिस्से के बाद कहानी को दोबारा सुनाने के लिए कहें। अगर वह शख्स आपके पैग़ाम को आसानी से दोबारा बयान कर सकता है, फिर तहरीर वाज़े है। तर्जुमे की जाँच के दीगर तरीक़ों के लिए, देखें दीगर तरीक़े.
  • अगर कोई ऐसी जगह है जहाँ तर्जुमा वाज़े नहीं है, तो इसका एक नोट बनाएँ ताके आप इस पर तर्जुमा टीम के साथ गुफ़्तगू कर सकें।