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शुद्ध, शुद्धि, शुद्धिकरण

परिभाषा:

“शुद्ध” अर्थात निर्दोष या “ऐसी कोई वस्तु मिलि न हो जो नहीं होनी चहिए। किसी वस्तु को शुद्ध करना अर्थात उसे किसी भी अशुद्ध या दूषित करनेवाली वस्तु से मुक्त करना, निर्मल बनाना।

  • पुराने नियम के आदेशों के अनुसार “शुद्ध करना” और “शुद्ध होना” मुख्यतः किसी वस्तु या मनुष्य को एसी बातों से शुद्ध करना जो वस्तु या मनुष्य को अशुद्ध बनती है जैसे रोग, शारीरिक सुख या सन्तानोत्पत्ति से।
  • पुराने नियम में मनुष्यों का पापों से शोधन के भी नियम थे कि कैसे पापों से शुद्ध या मुक्त हुआ जाए आमतौर पर पशुओं के बलिदान से है। परन्तु यह एक अस्थाई व्यवस्था थी, अतः बलि बार-बार चढ़ानी होती थी।
  • नये नियम में शुद्ध होने का अर्थ है पापों से धुल जाना।
  • मनुष्यों के लिए पूर्ण एवं सिद्ध पाप शोधन केवल मन फिराव और यीशु में विश्वास तथा उसकी मृत्यु के द्वारा परमेश्वर की क्षमा को ग्रहण करने के द्वारा होता है।

अनुवाद के सुझाव:

  • “शुद्ध करने” का अनुवाद हो सकता है, “शुद्ध बनाना” या “साफ करना” या “सब अशुद्धियों को दूर करना” या “पापों से छुटकारा पाना”
  • “उनके शुद्ध होने के दिन पूरे हुए” इस वाक्यांश का अनुवाद हो सकता है, “जब निश्चित दिनों तक रूकने के बाद उन्होंने स्वयं को शुद्ध कर लिया”
  • “पापों से शुद्ध होना” इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्यों के लिए पापों से पूर्ण शोधन का मार्ग उपलब्ध करा दिया”।
  • अनुवाद के अन्य रूप “शुद्ध होना” का अनुवाद “शोधन” या “आत्मिक मार्जन” या “रीति के अनुसार शुद्ध होना” हो सकता है।

(यह भी देखें: प्रायश्चित, शुद्ध, आत्मा)

बाइबल संदर्भ:

शब्द तथ्य:##

  • स्ट्रांग नंबर: H1249, H1252, H1253, H1305, H1865, H2134, H2135, H2141, H2212, H2398, H2403, H2561, H2889, H2890, H2891, H2892, H2893, H3795, H3800, H4795, H5343, H5462, H6337, H6884, H6942, H8562, G48, G49, G53, G54, G1506, G2511, G2512, G2513, G2514