“संसार”शब्द आमतौर पर ब्रह्माण्ड के उस भाग को दर्शाता है जहां मनुष्य वास करता हैं: पृथ्वी “सांसारिक” शब्द इस संसार के लोगों की बुरी मान्यताओं तथा व्यवहार का विवरण देता है।
* सामान्य अर्थ में “संसार” आकाश और पृथ्वी और जो कुछ उनमें है उसे दर्शाता है।
* अनेक संदर्भों में “संसार” का अर्थ “संसार के लोग” होता है।
* कभी-कभी इसका संकेत पृथ्वी के बुरे लोगों या उन लोगों से है जो परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानते हैं।
* प्रेरितों ने भी “संसार” शब्द को मनुष्यों के स्वार्थी स्वभाव और भ्रष्ट मान्यतायों के लिए काम में लिया है। इसका अर्थ मानवीय प्रयासों पर आधारित धार्मिकता के पाखंड के धर्म आधारित अभ्यास भी होता है।
* इन मान्यताओं पर निर्भर मनुष्य और वस्तुओं के लक्षणों को “सांसारिक” कहा गया है।
* सन्दर्भ के अनुसार “संसार” का अनुवाद “ब्रह्माण्ड” या “संसार के लोग” या “संसार की भ्रष्ट बातें” या “संसार के मनुष्यों का दुष्ट स्वभाव” भी हो सकता है।
* “संपूर्ण संसार” का अर्थ प्रायः “अनेक लोग” और विशेष क्षेत्र के रहने वाले लोगों से होता है। उदाहरणार्थ, “सारी पृथ्वी के लोग मिस्र में आए।” इसका अनुवाद हो सकता है, “आस-पास के देशों से बहुत लोग मिस्र आए” या “मिस्र के आसपास के सब देशों के लोग वहां आए”।
* "रोमी साम्राज्य में सब लोग जनगणना के लिए अपना नाम लिखवाने के लिए अपने-अपने जन्म स्थान को गए" इसका अनुवाद हो सकता है: "बहुत से लोग जो रोमी साम्राज्य के अधीन के राज्यों में रहते थे गए..."।
* सन्दर्भ के अनुसार “सांसारिक” का अनुवाद “बुरा” या “पापमय” या "स्वार्थी" या “अभक्त” या “भ्रष्ट” या “संसार के लोगों की भ्रष्ट मान्यताओं द्वारा प्रभावित” हो सकता है।
* “संसार को यह बातें कहना” का अनुवाद “संसार के लोगों से यह बात कहना” हो सकता है,।
* अन्य संदर्भों में “संसार में” का अनुवाद हो सकता है, “संसार के लोगों में रहते हुए” या “अभक्त लोगों में रहते हुए”