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आसाप को ऐसा क्यों लगता है कि उसने व्यर्थ ही अपने को शुद्ध क्यों किया?

उसे ऐसा इसलिए लगता है कि वह दिन भर खाता आया है और प्रति भोर को उसकी ताड़ना होती आई है।