STR_hi_tq/psa/42/05.md

387 B

लेखक अपने प्राण से क्या कहता है?

लेखक अपने प्राण से कहता है, परमेश्वर पर आशा लगाए रह, क्योंकि वह उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर से उसका धन्यवाद करेगा।