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क्या तुमने इतना दुःख व्यर्थ ही उठाया

पौलुस उस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा गलातिया के विश्वासियों को उनके द्वारा कष्ट सहन कर स्मरण कराता है

इतना दुःख

इसका अनुवाद हो सकता है, 1) “तुम्हारा संपूर्ण अनुभव अच्छा या बुरा” (यू.डी.बी.) 2) “इतना कष्ट सहा” क्योंकि मसीह को समर्पित हुए थे”। 3) “विधान के पालन में ऐसा परिश्रम किया”।

परन्तु कदाचित व्यर्थ नहीं

इसका अनुवाद हो सकता है, 1) “किसी काम का नहीं, यदि तुम मसीह में विश्वास नहीं करते।”(यू.डी.बी.) 2) यह मानकर कि गलातिया प्रदेश के विश्वासी विधान पालन में परिश्रम करते थे, “यदि तुम्हारे काम निष्फल रहे” अर्थात वे कर्मों पर निर्भर थे मसीह पर नहीं, और परमेश्वर उन्हें विश्वासी नहीं मानेगा।

वह क्या व्यवस्था के कामों से या सुसमाचार पर विश्वास करने से ऐसा करता है।

पौलुस गलातिया प्रदेश के विश्वासियों को पवित्र आत्मा ग्रहण करने का स्मरण कराते हुए एक और प्रभावोत्पादक प्रश्न पूछता है। “विधान पालन से नहीं विश्वास से सुनने के द्वारा ऐसा करता है”।

व्यवस्था के कामों से

“अर्थात विधान में जो कहा गया है उसे करके”

विश्वास के समाचार से

“जब हम शुभ सन्देश सुनकर यीशु में विश्वास करते हैं।