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“औक़ाफ़” उन अलामतों से मुराद है जो इस बात की तरफ़ इशारा करते हैं के किस तरह किसी जुमले को पढ़ा या समझा जाना है। मिशालों में वक्फों के इशारे शामिल हैं जैसे कोमा या वक्फा और अलामत ए इक्तबास जो ख़तीब के ऐन अल्फ़ाज़ के इर्द गिर्द होते हैं। तर्जुमे को सहीह तौर से पढ़ने और समझने में कारी को क़ाबिल बनाने के लिए, यह अहम है के आप यकसां तौर पर औक़ाफ़ का इस्तेमाल करें।

तर्जुमा करने के पहले, तर्जुमा टीम को औक़ाफ़ के तरीक़ों पर फ़ैसले करने की ज़रुरत होगी जिसे आप तर्जुमे में इस्तेमाल करेंगे। औक़ाफ़ के उस तरीक़े को अपनाना सबसे आसान हो सकता है जिनका इस्तेमाल क़ौमी ज़बान करती है, या जो क़ौमी ज़बान बाईबल या मुताल्लिक़ ज़बान बाईबल इस्तेमाल करती है। एक दफ़ा जब टीम किसी तरीक़े का फ़ैसला कर लेती है, तो यक़ीनी बनायें के हर एक इसकी पैरवी करे। मुख्तलिफ़ अलामत ए इक्तबास को इस्तेमाल करने के सहीह तरीक़ों की मिशालों के साथ टीम के हर एक अरकान को रहनुमा परचा तक़सीम करना मददगार साबित हो सकता है।

यहाँ तक के रहनुमा परचा के साथ भी, मुतर्जमीन के लिए औक़ाफ़ में ग़लती करना आम बात है। इस वजह से, एक किताब तर्जुमा होने के बाद, हम इसे पैरामतन में दरामद करने का मशवरा देते हैं। आप पैरामतन में हदफ़ ज़बान में औक़ाफ़ के क़वायद दाख़िल कर सकते हैं, फिर मुख्तलिफ़ औक़ाफ़ जाँच जो इसमें है उसे चलायें। पैरमतन उन तमाम जगहों की फ़ेहरिस्त बनाएगा जहाँ यह औक़ाफ़ में गलतियाँ पाता है और उन्हें आप को दिखाएगा। फिर आप इन जगहों की नज़रसानी कर सकते हैं और देख सकते हैं के वहाँ कोई ग़लती है या नहीं। अगर कोई ग़लती है आप उसे ठीक कर सकते हैं। इन औक़ाफ़ जाँचों को चलाने के बाद, आप पुर ऐतिमाद हो सकते हैं के आपका तर्जुमा सहीह तरीक़े से औक़ाफ़ का इस्तेमाल कर रहा है।