“वर्णन” और “वाणी” अर्थात “औपचारिक या सार्वजनिक कथन”, प्रायः किसी बात पर बल देने के लिए।
“वाणी” में कही जाने वाली बात के महत्व पर ही बल नहीं दिया जाता है परन्तु इसमें घोषणा करने वाले की ओर भी ध्यान आकर्षित किया जाता है।
* उदाहरणार्थ, पुराने नियम में परमेश्वर के सन्देश से पूर्व, “यहोवा यों कहता है” या “यहोवा का यह वचन” उक्ति आती है। इस उक्ति से इस बात पर बल दिया जाता है कि इस सन्देश को पहुंचाने वाला यहोवा ही है। यह तथ्य कि सन्देश यहोवा का है दर्शाता है कि सन्देश अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
## अनुवाद के सुझाव: ##
* प्रकरण के अनुसार, “वर्णन” का अनुवाद हो सकता है, “घोषणा करना” या “सार्वजनिक कथन प्रस्तुत करना” या “बलपूर्वक कहना” या “बल देकर कहना”।
* “वाणी” शब्द का अनुवाद “कथन” या “उद्घोषण” भी हो सकता है।
* “यहोवा यों कहता है” का अनुवाद “यहोवा घोषणा करता है” या “यहोवा का कहना है” हो सकता है।