स्वर्गदूत परमेश्वर द्वारा बनाए गए सामर्थी आत्मिक प्राणी हैं. स्वर्गदूत परमेश्वर की सेवा के लिए है कि उसकी हर एक बात को मानें. “ प्रधान स्वर्गदूत” का सन्दर्भ उस स्वर्गदूत से है जो सब स्वर्गदूतों पर शासन करता है या उनकी अगुवाई करता है.
* “यहोवा का दूत” एक विशेष अभिव्यक्ति है जिसके अर्थ एक से अधिकहैं: 1) इसका अर्थ हो सकता है,“स्वर्गदूत जो यहोवा का प्रतिनिधि है” या “यहोवा की सेवा करने वाला सन्देशवाहक.” 2) इसका संदर्भ स्वयं यहोवा से हो सकता है, जो मनुष्यों से बात करते समय स्वर्गदूत सा दिखाई देता है. इन में से किसी भी अर्थ से स्वर्गदूत द्वारा "मैं " शब्द के उपयोग की व्याखा होती है जैसे कि यहोवा स्वयं कह रहा हो.
* “यहोवा का दूत” का अनुवाद “यहोवा” और “स्वर्गदूत” के अनुवाद के लिए काम में लिए गए शब्दों द्वारा किया जा सक्या है. इससे उस उक्ति के भिन्न भिन्न अर्थ प्रकट होंगे. संभावित अनुवाद हो सकते है, “यहोवा का स्वर्गदूत” या “यहोवा द्वारा भेजा गया स्वर्गदूत” या “यहोवा, जो स्वर्गदूत सा दिखाई देता है.”
* **[02:12](rc://*/tn/help/obs/02/12)** जीवन के वृक्ष का फल खाने से किसी को भी रोकने के लिये **परमेश्वर ने भीमकाय शक्तिशाली **स्वर्गदूतों** को वाटिका के द्वार पर रख दिया.
* **[22:03](rc://*/tn/help/obs/22/03)**उस**स्वर्गदूत** ने जकरयाह से कहा, "मैं परमेश्वर द्वारा भेजा गया हूँ कि तुझे यह शुभ सन्देश सुनाऊं."
* **[23:06](rc://*/tn/help/obs/23/06)** अचानक, एक चमकता हुआ**स्वर्गदूत** उन्हें (चरवाहों को)दिखाई दिया, और वे बहुत डर गए. तब **स्वर्गदूत** ने उनसे कहा, “ मत डरो, क्योंकि मेरे पास तुम्हारे लिए एक शुभ सन्देश है,"
* **[23:07](rc://*/tn/help/obs/23/07)** तब एकाएक, परमेश्वर की स्तुति करते हुए **स्वर्गदूतों** से आकाश भर गया.
* **[25:08](rc://*/tn/help/obs/25/08)** तब **स्वर्गदूत** आए और यीशु की सेवा करने लगे.
* **[38:12](rc://*/tn/help/obs/38/12)** यीशु बहुत व्याकुल था और उसका पसीना खून की बूँदो के समान था. परमेश्वर ने उसे शक्ति देने के लिए एक **स्वर्गदूत** भेजा.
* **[38:15](rc://*/tn/help/obs/38/15)**" मैं अपनी रक्षा के लिए पिता से कहकर **स्वर्गदूतों** की पलटन मंगा सकता हूँ.