“आमीन” शब्द किसी की बात पर बल देना या ध्यान आकर्षित करना दर्शाता है। इसका उपयोग प्रायः प्रार्थना के अन्त में होता है। कभी-कभी इसका अनुवाद “सच में” किया जाता है।
* प्रार्थना के अन्त में “आमीन” शब्द प्रार्थना के साथ सहमति या प्रार्थना पूरी होने की इच्छा प्रकट करता है।
* अपनी शिक्षाओं में यीशु ने “आमीन” शब्द के उपयोग द्वारा अपनी बात के सत्य पर बल दिया था। इस शब्द के बाद उसने सदैव कहा, “और मैं तुमसे कहता हूं” कि वह पहले की बात से संबंधित एक और बात कहे।
* जब यीशु “आमीन” शब्द का उपयोग इस प्रकार करता है तो कुछ अंग्रेजी बाइबल (यू. एल. बी. भी) इसका अनुवाद “वास्तव में” या “सच कहता हूं” करती हैं।
* एक और शब्द “सच-सच” का अनुवाद “निश्चय” या “यथा-तथ्य” किया जा सकता है।
* “मैं तुमसे सच-सच कहता हूं” का अनुवाद हो सकता है, “मैं तुमसे सच्ची बात कहता हूं” या “मैं सच्ची भावना से तुमसे कहता हूं” या “मैं जो तुमसे कहता हूं वह सच है”