* स्तिफनुस को आरंभिक कलीसिया ने यरूशलेम में विधवाओं तथा अन्य आवश्यकताग्रस्त विश्वासियों के लिए भोजन व्यवस्था की सेवा हेतु एक सेवक चुना था।
* कुछ यहूदियों ने उस पर झूठा आरोप लगाया था कि वह परमेश्वर और मूसा की व्यवस्था के विरूद्ध बोलता है।
* स्तिफनुस ने मसीह यीशु के विषय निडर होकर सच्चाई की चर्चा की और इस्राएल के साथ आरंभ से लेकर परमेश्वर के व्यवहार का वर्णन किया था।
* उसकी बातें सुनकर यहूदी अगुवे आग बबूला हो गए और उसे शहर के बाहर ले जाकर पथराव कर के मार डाला।
* उसकी हत्या का साक्षी तर्शिश का शाऊल भी था जो बाद में प्रेरित पौलुस हुआ।
* स्तिफनुस ने मरने से पूर्व जो अन्तिम प्रार्थना की वह स्मरणीय है, “हे प्रभु उनसे इस पाप का लेखा मत लेना” इससे मनुष्यों के प्रति उसका प्रेम प्रकट होता है।