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वर्णन

रूपक एक अलंकार है जिसमें एक विचार के स्थान पर दूसरे विचार का इस्तेमाल होता है और दोनों विचार एक दूसरे से संबंधित नही होते हैं। अर्थात, विषय के बारे में ऐसे बताया जाता है कि मानो वहाँ कोर्इ तश्वीर है।

उदाहरण के तौर पर, यदि कोर्इ कहे,

  • लड़की जिससे मैं प्रेम करता हँू, लाल गुलाब है।

यहाँ विषय है लड़की जिससे मैं प्रेम करता हँू’’ और तश्वीर है ‘‘लाल गुलाब’’। लड़की के बारे में ऐसे बोला गया है, मानो वह एक गुलाब है। एक भाषा में कुछ भी रूपक की तरह कार्य कर सकता है।

उदाहरण के तौर पर, क्रियाओं को असामान्य तरीके से उपयोग किया जा सकता है, जैसे

  • प्रेरित पौलुस हमें कहता है कि मसीही पुन: जीवित होंगे

इस विषय में, अंग्रेजी का वर्तमान काल ‘‘कहता’’ भूतकाल के शब्द ‘‘कहा’’ का एक रूपक है क्योंकि पौलुस सालों पहले जीवित था। कर्इ बार, वक्ता ऐसे रूपकों का उपयोग करता है जो उस भाषा में आम होते हैं। परंतु, कभी कभार, वक ऐसे भी रूपक का उपयोग करता है जो आम नही होते हैं और कर्इ बार तो बहुत ही विशिष्ट होते हैं। वक्तागण अक्सर रूपकों का उपयोग अपने संदेश में बल देने, अपनी भावनाओं को प्रकट करने, और किसी तरीके से नही कही जा सकने वाली बातों को इस तरीके से कहने और उनके संदेशों को याद रखने लायक बनाने के लिए करते हैं।

रूपक के प्रकार

रूपक कर्इ प्रकार के होते हैं: ‘‘जीवित रूपक’’, ‘‘मृत रूपक’’ एवं ‘‘नमूना रूपक’’।

ीवित रूपक**

ये रूपक वो होते हैं जिन्हे लोग एक तथ्य के लिए उपयोगी दूसरे तथ्य के तौर पर लेते हैं। लोग आसानी से पहचान सकते हैं कि ये संदेश को बल और गुण देते हैं। इसी कारण, लोग इन रूपकों पर लोग ध्यान देते हैं।

उदाहरण के तौर पर,

परन्तु तुम्हारे लिये जो मेरे नाम का भय मानते हो, धर्म का सूर्य उदय होगा, जिसकी किरणों से तुम चंगे हो जाओगे; (मलाकी 4:2 ULB)

यहाँ परमेश्वर अपने उद्धार के बारे में बताता है, मानो कि सूरज उन लोगों को पर उदय हो रहा है जिनसे वह प्रेम करता है। वह सुरज की किरणों को पंख के रूप में दिखा रहा है और, वह उन पंखों की बात कर रहा, जैसे कि वे लोगों को चंगा करने की दवा ला रहे हों ।

एक और उदाहरण:

यीशु ने कहा, ‘‘जाओ और उस लोमड़ी से कह दो... वह राजा हेरोदेश को लोमड़ी कह रहा है।

यीशु को सुनने वाले समझ चुके थे कि यीशु हेरोदेश को दुष्ट, चालाक व्यक्ति और केवल खुद को महान दिखाने की कोशिश करना वाला राजा बता रहा है।

ृत रूपक**

मृत रूपक में लेखक एक तथ्य को दूसरे तथ्य के लिए उपयोग नही करता है।

अंग्रेजी में उदाहरण हैं, ‘‘टेबल लेग’’ ‘‘फैमिली ट्री’’ ‘‘लीफ’’ का अर्थ एक पुस्तक का पृष्ठ होता है, तो ‘‘क्रेन’’ का अर्थ भारी बोझ उठाने वाली मशीन होती है।

अंग्रेजी वक्ता इन शब्दों को एक से अधिक अर्थ वालों के रूप में लेते हैं। बाइबल की इब्री भाषा के उदाहरण, ‘‘चंगार्इ’’ का अर्थ ‘‘मरम्मत’’ और ‘‘बिमार’’ का अर्थ ‘‘पाप के कारण आत्मिक तौर पर कमजोर’’।

ूपक के रूप में तथ्यों के नमूनेरत् युग्म**

रूपकों का उपयोग तथ्यों के युग्मों के आधार पर कर्इ प्रकार से किया जाता है, जहाँ एक महत्वपूर्ण तथ्य सदैव दूसरे तथ्य के स्थान पर कार्य करता है।

उदाहरण के तौर पर, अंग्रेजी में, अप (ऊपर) की दिशा अधिक को भी दिखाती है। इन महत्वपूर्ण तथ्यों के युग्मों के कारण, हम निम्न वाक्य बना सकते हैं, ‘‘गैस की कीमत चढ़ रही है’’, उच्च गुणों से भरा व्यक्ति और विचार का विलोम भी:

‘‘गर्मी उतर रही है’’ और शेयर बाजार में गिरावट आर्इ’’

तथ्यों के नमूनारत् युग्मों का उपयोग आम तौर पर, विश्व की भाषाओं में होता है क्योंकि उनसे विचारों को आसानी से जोड़ा जा सकता है।

सामान्य तौर पर, लोग ताकत, उपस्थिति, भावना एवं अधिक गुण जैसे भावात्मक गुणों के बारे में ऐसे बोलना पसंद करते हैं, मानो वे कोर्इ देखी या छुर्इ जा सकने वाली वस्तुएँ हों, शरीर के अंग हों या कुछ ऐसा हो जिन्हे हम अपने सामने होता हुआ देख सकते हों।

जब इन रूपकों का सामान्य तौर पर उपयोग किया जाता है, तो बहुत कम बार, उन्हे अलंकार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। अंग्रेजी में उपयोगी रूपकों के उदाहरण जिन पर अक्सर ध्यान नही दिया जाता:

  • ‘‘गर्मी बढ़ा दे’’ बढ़ा का अर्थ है ज्यादा।
  • ‘‘आइए बहस में आगे बढे़ं योजनाबद्ध काम को करने का अर्थ है चलना या आगे बढ़ना
  • ‘‘तुम अपने सिद्धांत का अच्छा बचाव कर लेते हो’’ बहस का अर्थ है युद्ध
  • ‘‘शब्दों का बहाव शब्द को तरल पदार्थ बताया गया है

अंग्रेजी वक्ता उन्हे असामान्य तौर पर नही लेते हैं अत: दूसरी भाषाओं में उनका इस प्रकार अनुवाद करना गलत होगा कि व इसे अलंकार समझने लगें।

बाइबल की भाषा में इस प्रकार के रूपकों के महत्वपूर्ण नमूनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया Biblical Imagery - Common Patterns देखें एवं उनके द्वारा डायरेक्ट किए जाने वाले अन्य पेजों को देखें।

रूपक के भाग

रूपक के बात करते वक्त, उनके भागों की बात करना भी लाभदायक होगा। रूपक के तीन भाग होते हैं

  1. विषय - जिसके बारे में वक्ता बात कर रहा है, विषय कहलाता है
  2. तश्वीर - उस वस्तु को वो जो कहता है, तश्वीर कहलाता है
  3. तुलना के बिन्दु - जिस तरीके से वक्ता कहता है कि किस प्रकार विषय और तश्वीर समान हैं, वह तुलना का बिन्दु कहलाता है

नीचे लिखे रूपक में, वक्ता उस लड़की को लाल गुलाब कहता है जिससे वह प्रेम करता है।

लड़की (उसका ‘‘प्रेम’’) ‘‘विषय’’ है और ‘‘लाल गुलाब’’ ‘‘तश्वीर’’ है। सुंदरता और कोमलता तुलना के बिन्दु हैं, समानताएँ जो वक्ता विषय और तश्वीर में देखता है। ध्यान दें, तौभी, फूल की तुलना औरत की सुंदरता से नही की जा सकती है। न ही, दोनों की कोमलता एक समान है।

अत: तुलना के ये बिन्दु एकदम सटीक स्वभाव या गुण के आधार पर नही बनाए जाते हैं, परंतु ये वक्ता के द्वारा देखे गए स्वभाव होते हैं।

  • मेरा प्रेम लाल, लाल गुलाब है। अक्सर, जैसा ऊपर के रूपक में देखा, वक्ता स्पष्ट तौर पर **विषय ** और तश्वीर के बारे में बता देता है, परंतु वह तुलना के बिन्दु नही बताता है। वक्ता उस बात को श्रोताओं पर डाल देता है कि वे तुलना के बिन्दु के बारे में सोचें। क्योंकि जब श्रोता ऐसा करेंगे, तो वक्ता का संदेश और भी बल पाएगा।

बाइबल में भी, सामान्य तौर पर, **विषय ** और तश्वीर को स्पष्ट बताया जाता है परंतु तुलना के बिन्दु को नही बताया जाता। लेखक श्रोताओं से आशा करता है कि वे स्वत: ही उसमें निहित तुलना को समझ जाएँ

यीशु ने उन से कहा ‘‘जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी पियासा न होगा’’ (युहन्ना 6:35 ULB)

इस रूपक में, यीशु स्वयं को जीवन की रोटी कहता है। ‘‘विषय’’ ‘‘मैं’’ और ‘‘तश्वीर’’ ‘‘रोटी’’ है। रोटी एक ऐसा भोजन है जिसे लोग हर समय में खाते आए हैं। रोटी और यीशु में तुलना का बिन्दु यह है कि लोगों को पोषण के लिए हर दिन रोटी की जरूरत होती है। इसी प्रकार, लोगों को आत्मिक तौर पर, हर दिन यीशु की जरूरत है। ध्यान दें कि यह रूपक वास्तव में कर्इ सारे रूपक हैं। पहला रूपक रोटी है जो यीशु को दिखाती है। दूसरा रूपक, पहले के अंदर है, अर्थात शारीरिक जीवन आत्मिक जीवन को दिखाता है जो परमेश्वर के साथ सदाकाल के जीवन को दिखाता है। तीसरा रूपक यह है कि यीशु से लाभ पाने को दिखाता है जो हमें परमेश्वर के साथ सदा जीवन जीने का बल देता है।

ूपक के उद्देश्य**

  • पहला उद्देश्य लोगों को वे बातें जो उन्हे पता नही (विषय), उस माध्यम के द्वारा (तश्वीर) सिखाना जिनके बारे में वे पहले से ही जानते हैं।
  • दूसरा उद्देश्य यह दिखाना है कि उस वस्तु में एक विशेष गुण है अथवा यह बताना है कि इसमें वह गुण बहुत अधिक है
  • एक और उद्देश्य लोगों में एक वस्तु के बारे में इस प्रकार का भाव लाना है जैसा वो किसी ज्ञात वस्तु के बारे में सोचते हैं

कारण यह अनुवाद की समस्या है

  • लोग शायद समझ ही नही पाएँ कि रूपक का उपयोग हुआ है। दूसरे शब्दों में, वे रूपक को एक आम कथन समझकर, गलतफहमी में पड़ सकते हैं।
  • लोग उपयोग की गर्इ तश्वीर से परिचित न हों और उपयुक्त रूपक को समझ नही न पाएँ।
  • यदि विषय को नही बताया गया होता है, तो लोग पहचान ही नही पाएँ कि यह एक विषय है।
  • लोग तुलना के बिन्दु को समझ नही पाएँ जो लेखक के मन में है और उन्हे बताना चाहता है

यदि वे तुलना के बिन्दु को नही समझ पाते हैं तो रूपक को भी नही समझ पाएँगे।

अनुवाद के सिद्धांत

  • रूपक के अर्थ को लक्षित श्रोताओं के उतना ही स्पष्ट रखें जितना यह प्रथम श्रोताओं के लिए था
  • रूपक के अर्थ को लक्षित श्रोताओं के उससे अधिक स्पष्ट न बनाएँ जितना यह प्रथम श्रोताओं के लिए था

बाइबल से उदाहरण

तुम बाशान की गायो, यह वचन सुनो (आमोस 4:1 ULB)

इस रूपक में, आमोस सामरिया की उच्च वर्ग की महिलाओं से इस प्रकार बात करता है (विषय ‘‘तुम’’ है) जैसे कि वे गायें (तश्वीर) हों। आमोस इन महिलाओं और गायों के बीच के तुलना के बिन्दु को नही बताता है परंतु पृष्ठभूमि से उसका यह अर्थ स्पष्ट है कि महिलाएँ और गायें दोनों मोटी और केवल खाने में इच्छुक हैं। तौभी, ध्यान दें कि आमोस यह नही कह रहा है कि वे औरतें गायेंह ैं क्योंकि वह उन्हे मनुष्य ही बता रहा है।

तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; हम तो मिट्टी है। तू हमारा कुम्हार है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं। (यशायाह 64:8 ULB)

उपरोक्त उदाहरण दो संबंधित रूपक हैं। विषय ‘‘हम’’ और ‘‘तुम’’ एवं तश्वीरें ‘‘मिट्टी’’ और ‘‘कुम्हार’’ हैं। कुम्हार और परमेश्वर के बीच में उद्देश्यरत् तुलना यह तथ्य है कि दोनो वही बनाते हैं जो उनकी मर्जी होती है: कुम्हार मिट्टी से और परमेश्वर अपने लोग, इस्राएलियों से अपनी मर्जी के अनुसार बनाता है। कुम्हार की मिट्टी और ‘‘हमारे’’ बीच की तुलना यह है कि मिट्टी और इस्राएलियों को उससे बिलकुल अलग बनाया गया जो वे पहले थे।

यीशु ने उनसे कहा, ‘‘देखो; फरीसियों और सदूकियों के खमीर से चौकस रहना। वे आपस में विचार करने लगे, कि हम तो रोटी नहीं लाए’’ (मत्ती 16:6-7 ULB)

यीशु यहाँ एक रूपक का इस्तेमाल करते हैं परंतु चेलों ने उसे नही पहचाना। जब उसने ‘‘खमीर’’ कहा, तो उन्होने सोचा कि वह रोटी की बात कर रहा है परंतु ‘‘खमीर’’ उसके रूपक की तश्वीर थी, और विषय था, फरीसियों और सदूकियों की शिक्षाएँ। चूँकि चेलों (प्रथम श्रोताओं) ने यीशु के अर्थ को नही पहचाना, तो यीशु के अर्थ को पहले से ही खुलकर अथवा स्पष्ट बताना सही नही होगा

अनुवाद रणनीतियाँ

यदि आपकी भाषा में लोग रूपकों को ठीक उसी प्रकार समझ सकते हैं जैसे प्रथम श्रोता समण्ते थे, तो इसका उपयोग करें। अनुवाद को जाँचना न भूलें कि लोग इसे समझ पा रहे हैं या नही।

यदि लोग नही समझ पा रहे हैं, तो आप निम्न रणनीतियाँ अपना सकते हैं:

  1. यदि बाइबल की भाषा में लिखा गया रूपक तथ्यों के नमूनेरूपी युग्म को सामान्य तौर पर प्रकट कर रहा है, तो अपनी भाषा में भी सबसे सरल शब्दों का उपयोग कर इस मुख्य विचार को प्रकट करें । (तथ्यों के नमूनेरूपी युग्मों Biblical Imagery - Common Patterns की सूची के लिए देखें)
  2. यदि रूपक ‘‘जीवित रूपक’’ है तो इसका सीधा अनुवाद कर सकते हैं यदि आपको लगता है कि लक्षित भाषा में भी इसका उपयोग होता है। यदि आप ऐसा करते हैं तो जाँचकर अवश्य देख लें कि भाषा समुदाय इसे समझ तो पा रहा है।
  3. यदि लक्षित भाषा नही समझ पा रही है कि यह एक रूपक है, तो रूपक को उपमा मे बदल दें। कुछ भाषाएँ ‘‘जैसे’’ या ‘‘तरह’’ इत्यादि शब्दों का इसतेमाल कर इन्हे लिखती हैं। देखें Simile
  4. यदि लक्षित भाषा तश्वीर को नही समझ पा रही है तो तश्वीर को विचारों में बदलने में मदद के लिए Translate Unknowns देखें।
  5. यदि लक्षित भाषा उस अर्थ के लिए उस तश्वीर का उपयोग नही करती है तो अपनी संस्कृति में से तश्वीर का उपयोग करें। यह निश्चित करें कि ये तश्वीर बाइबल के समय में संभवतया प्रचलित रही हो।
  6. यदि लक्षित भाषा उसके विषय को नही समझ पाती है, तो विषय के बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें। (लेकिन यदि मूल श्रोताओं को भी विषय का पता नही था तो ऐसा न करें)
  7. यदि लक्षित भाषा विषय और तश्वीर के बीच के तुलना के बिन्दुओं को नही समझ पाती है, तो उनके बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें।
  8. यदि उपरोक्त वर्णित कोर्इ भी रणनीति काम नही आती है, तो कथन को बिना रूपक के स्पष्ट तौर पर लिखें।

अनुवाद रणनीतियों के प्रयोग के उदाहरण

  1. यदि बाइबल की भाषा में लिखा गया रूपक तथ्यों के नमूनेरूपी युग्म को सामान्य तौर पर प्रकट कर रहा है, तो अपनी भाषा में भी सबसे सरल शब्दों का उपयोग कर इस मुख्य विचार को प्रकट करें।
  • और यार्इर नाम आराधनालय के सरदारों में से एक आया, और उसे देखकर, उसके पांवों पर गिरा (मरकुस 5:22 ULB)

    • न्
  1. यदि रूपक ‘‘जीवित रूपक’’ है तो इसका सीधा अनुवाद कर सकते हैं यदि आपको लगता है कि लक्षित भाषा में भी इसका उपयोग होता है। यदि आप ऐसा करते हैं तो जाँचकर अवश्य देख लें कि भाषा समुदाय इसे समझ तो पा रहा है
  • तुम्हारे कठोर मन के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी (मरकुस 10:5 ULB)

    • तुम्हारे कठोर मन के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी। इसमें कोर्इ बदलाव नही है - परंतु आपको यह जाँचना है कि भाषा समुदाय इस रूपक को समझ रहे हैं या नही।
  1. यदि लक्षित भाषा नही समझ पा रही है कि यह एक रूपक है, तो रूपक को उपमा मे बदल दें। कुछ भाषाएँ ‘‘जैसे’’ या ‘‘तरह’’ इत्यादि शब्दों का इसतेमाल कर इन्हे लिखती हैं।
  • तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो मिट्टी है । तू हमारा कुम्हार है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं (यशायाह 64:8 ULB)

    • तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम मिट्टी की तरह हैं। तू कुम्हार की तरह है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं।
  1. यदि लक्षित भाषा तश्वीर को नही समझ पा रही है तो तश्वीर को विचारों में बदलने में मदद के लिए Translate Unknowns देखें।
  • शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? पैने पर लात मारना तेरे लिये कठिन है (प्रेरितों के काम 26:14 ULB)

    • शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? नुकीली वस्तु पर लात मारना तेरे लिये कठिन है।
  1. यदि लक्षित भाषा उस अर्थ के लिए उस तश्वीर का उपयोग नही करती है तो अपनी संस्कृति में से तश्वीर का उपयोग करें। यह निश्चित करें कि ये तश्वीर बाइबल के समय में संभवतया प्रचलित रही हो।
  • तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो मिट्टी है । तू हमारा कुम्हार है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं (यशायाह 64:8 ULB)

    • तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो लकड़ी है। तू हमारा कारीगर है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं।
    • तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो तार है। तू हमारा बुनने वाला है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं।
  1. यदि लक्षित भाषा उसके विषय को नही समझ पाती है, तो विषय के बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें। (लेकिन यदि मूल श्रोताओं को भी विषय का पता नही था तो ऐसा न करें)
  • यहोवा परमेश्वर जीवित है;मेरी चट्टान धन्य है और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ार्इ हो (भजन संहिता 18:46 ULB)

    • यहोवा परमेश्वर जीवित है;वह मेरी चट्टान है। उसकी स्तुति हो । और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ार्इ हो।
  1. यदि लक्षित भाषा विषय और तश्वीर के बीच के तुलना के बिन्दुओं को नही समझ पाती है, तो उनके बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें।
  • यहोवा परमेश्वर जीवित है;मेरी चट्टान धन्य है । और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ार्इ हो (भजन संहिता 18:46 ULB)

    • यहोवा परमेश्वर जीवित है; उसकी स्तुति हो क्योंकि वह मेरी चट्टान है जिसके नीचे वह मुझे अपने दुश्मनों से छुपाए रखता है और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ार्इ हो
  • हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? पैने पर लात मारना तेरे लिये कठिन है (प्रेरितों के काम 26:14 ULB)

    • हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? तू मुझसे लड़कर खुद को ही चोट पहुँचा रहा है जैसे एक बैल स्वामी के पैने पर लात मारकर चोटिल होता है
  1. यदि उपरोक्त वर्णित कोर्इ भी रणनीति काम नही आती है, तो कथन को बिना रूपक के स्पष्ट तौर पर लिखें
  • मैं तुमको मनुष्यों के मछुवे बनाऊंगा (मरकुस 1:17 ULB)

    • मैं तुमको मनुष्यों को इकट्ठे करने वाले बनाऊँगा
    • अब तुम मनुष्यों के मछलियाँ इकट्ठी करते हो । मैं तुमसे मनुष्य इकट्ठे करवाऊँगा

रूपकों के बारे में अधिक जानने के लिए Biblical Imagery - Common Patterns देखें।