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इन वाक्यांशों पर विचार करें: ‘‘यदि सूरज चमकना बंद हो जाए…’’, ‘‘क्या होगा अगर सूरज चमकना बंद कर दे …’’, ‘‘मान लो सूरज चमकना बंद हो गया…’’ ‘‘अगर केवल सूरज ने चमकना बंद नहीं किया होता ’’। हम ऐसे कथनों का उपयोग कर, ऐसी सोचों के साथ, काल्पनिक परिस्थितियाँ खड़े करते हैं कि यदि ये हो गया तो क्या होगा, या ऐसे नही हुआ तो, या भविष्य में ऐसा नही हुआ तो इत्यादि। हम हमारे खेद या कामनाएँ प्रकट करते वक्त भी इनका उपयोग करते हैं। बाइबल में हम इसे अक्सर देख सकते हैं । हमें(अनुवादक) उनका अनुवाद इस प्रकार करना है जिससे लोगों को पता रहे कि वह घटना वास्तव में हुई नही थी, और यह कि वे समझेंगे कि इस घटना की कल्पना क्यों की गई थी।

वर्णन

काल्पनिक परिस्थितियाँ वास्तविक नही होते। वे भूत, वर्तमान और भविष्य में हो सकते हैं। भूत और वर्तमान के काल्पनिक परिस्थितियाँ कभी हुए नही हैं और भविष्य के कभी होंगे भी नही।

कई बार लोग शर्तों को बताते हैं और शर्तें पूरी न हों तो क्या हो सकता है, परंतु उन्हे पता है कि ये कभी नही हुई हैं और कभी होंगी भी नही। (शर्तें ‘‘यदि’’ शब्द के साथ शुरू होने वाले कथन हैं)

  • यदि वह सौ वर्ष का होता, तो वह अपने पोते के पोते को देखता था। (लेकिन वह नहीं था)
  • यदि वह एक सौ वर्ष का होता, तो वह आज भी जीवित होता। (परंतु वह यहाँ नही है)
  • यदि वह एक सौ वर्ष का रहता है, तो वह अपने पोते के पोते को देखेगा।(लेकिन वह शायद नहीं होगा।)

लोग अक्सर चीजों के बारे में अपनी कामनाएँ प्रकट करते हैं जो कभी पूरी नही हुई या शायद कभी पूरी न भी हों

  • काश वह आया होता।
  • काश वह यहाँ होता।
  • काश वह आ जाता।

लोग अक्सर चीजों के बारे में अपने खेद प्रकट करते हैं जो कभी पूरी नही हुईं या शायद कभी पूरी न भी हों

  • यदि वह आ जाता तो
  • यदि वह यहाँ होता तो
  • यदि वह आ जाए

कारण यह एक अनुवाद मुद्दा है

  • अनुवादकों को बाइबल में वर्णित विभिन्न प्रकार की काल्पनिक परिस्थितियाँ की पहचान होनी चाहिए
  • अनुवादकों को अपनी भाषा में विभिन्न प्रकार की काल्पनिक परिस्थितियाँ को बताने के तरीकों की जानकारी होनी चाहिए

बाइबल से उदाहरण

भूतकाल की काल्पनिक परिस्थितियाँ

“हाय, खुराजीन! हाय, बैतसैदा! जो सामर्थ्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर, वे कब के मन फिरा लेते। (मत्ती 11:21 यूएलबी)

यहाँ मत्ती 11:21 में यीशु कह रहे हैं कि सूर और सैदा के प्राचीन नगरों में रहने वाले लोग जो उसके द्वारा किए गए चमत्कारों को देख लेते तो कब से मन फिरा लेते। वास्तव में, सूर और सैदा के लोगों ने चमत्कारों को देखा ही नही था और उन्होंने मन नहीं फिराया। उसने खूराजीन और बैतसैदा को डाँटते हुए यह कहा जिन्होने चमत्कारों को देखा था फिर भी मन नही फिराया।

मार्था ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता। (युहन्ना 11:21 यूएलबी)

मार्था ने यीशु से अपनी इच्छा व्यक्त करने के लिए यह कहा कि काश वह पहले आ जाते ताकि उसका भाई नहीं मरता। परंतु वह पहले नही आए, और उसका भाई मर गया।

वर्तमान की काल्पनिक परिस्थितियाँ

कोई नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरता, नहीं तो नया दाखरस मशकों को फाड़कर बह जाएगा, और मशकें भी नाश हो जाएँगी। (लूका 5:37 ULB)

यीशु कह रहे हैं कि यदि कोई भी नया दाखरस पुरानी मशकों में भरता है तो क्या होता है। परंतु कोई ऐसा करता नही है। वह काल्पनिक परिस्थिति का उपयोग कर रहे हैं कि यह दिखाने के लिए कि कई बार पुरानी चीजों के साथ नई चीजों को मिलाना बुद्धिमता नही होती है। उसने लोगों को यह समझाने के लिए यह कहा कि चेले दूसरे धार्मिक लोगों की तरह उपवास क्यों नही करते हैं।

उसने उनसे कहा, “तुम में ऐसा कौन है, जिसकी एक भेड़ हो, और वह सब्त के दिन गड्ढे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले? (मत्ती 12:11 ULB)

यीशु धार्मिक अगुवों से पूछ रहे थे कि यदि सब्त के दिन उनकी भेड़ गड़हे में गिर पड़े तो वो क्या करेंगे । वह यह नही कह रहे थे उनकी भेड़ गड़हे में गिर पड़ी थी। वह यह दिखाने के लिए एक काल्पनिक परिस्थिति का उपयोग किया कि सब्त के दिन हुई चंगाई पर प्रश्न उठाकर वे गलत कार्य कर रहे थे।

भविष्य की काल्पनिक परिस्थितियाँ

और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएँगे।(मत्ती 24:22 ULB)

यीशु मसीह भविष्य की बात कर रहे थे जब बुरी घटनाएँ होंगीं । उन्होंने बताया कि अगर उन दिनों की परेशानी लंबे समय तक बनी रहे तो क्या होगा। उसने यह दिखाने के लिए कहा कि वे बुरे दिन, इतने अधिक बुरे होंगे कि यदि घटाए नही जाते तो कोई भी नही बचता । और फिर उसने स्पष्ट किया कि परमेश्वर उन कष्ट के दिनों को घटाएगा, जिससे कि चुने हुए बचाए जाएँ

काल्पनिक परिस्थितियाँ के बारे में भावनाओं को प्रकट करना

लोग कभी-कभी अफसोस और इच्छाओं को व्यक्त करने के लिए काल्पनिक परिस्थितियाँ के बारे में बात करते हैं। पछतावा अतीत के बारे में है और इच्छाएं वर्तमान और भविष्य के बारे में हैं।

और इस्राएली उनसे कहने लगे, “जब हम मिस्र देश में माँस की हाँडियों के पास बैठकर मनमाना भोजन खाते थे, तब यदि हम यहोवा के हाथ से मार डाले भी जाते तो उत्तम वही था; पर तुम हमको इस जंगल में इसलिए निकाल ले आए हो कि इस सारे समाज को भूखा मार डालो।” (निर्गमन 16:3 ULB)

यहाँ इस्राएली डरे हुए हैं कि उन्हे जंगल में कष्ट सहना और भूख से मरना पड़ेगा, इसलिए उनकी कामना थी कि यदि वे मिस्र में ही रह जाते और भरे पेट मर सकते थे। वे शिकायत कर रहे थे, खेद प्रकट कर रहे थे कि ऐसा नही हुआ।

मैं तेरे कामों को जानता हूँ कि तू न तो ठण्डा है और न गर्म; भला होता कि तू ठण्डा या गर्म होता। (प्रकाशितवाक्य 3:5 ULB)

यीशु ने कामना की कि यदि लोग ठंडे या गर्म होते, परंतु वे वैसे नही थे। वह उन्हे डाँट रहा था, क्रोध प्रकट कर रहा था।

अनुवाद की रणनीतियाँ

जानें कि आपकी भाषा को बोलने वाले लोग किस प्रकार निम्न बातें प्रकट करते हैं:

  • कुछ होना था, परंतु नही हुआ
  • कुछ सच होता, परंतु अब नही है
  • भविष्य में कुछ होता, परंतु तब तक नही होगा, जब तक कि कुछ बदले नही
  • वे कुछ करने के लिए चाहते हैं, लेकिन यह नहीं होता है।
  • उन्हे खेद है कि कुछ हुआ नही

इन चीजों को प्रकट करने के लिए अपनी भाषा के तरीकों का इस्तेमाल करें।

आप ये वीडियो भी देख सकते हैं: http://ufw.io/figs_hypo