hi_zec_tn/04/06.txt

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Plaintext

[
{
"title": "जोड़ने वाला वाक्‍या",
"body": "जो दूत जकरिया से बात करता है लगाता दर्शन का वर्नण कर रहा है।"
},
{
"title": "जरुब्बाबेल",
"body": "यह आदमी का नाम है।"
},
{
"title": " न तो बल से, और न शक्ति से, ",
"body": "“निस्‍संदेह न तो तेरे अपने बल से” या “न तुहारी फोज के बल से न ही तुहारी शक्‍ति से”"
},
{
"title": "हे बड़े पहाड़, तू क्या है?",
"body": "बड़े पहाड़, जरुब्बाबेल की तुलना में भी तूँ कमजोर है"
},
{
"title": "चोटी का पत्थर",
"body": "चोटी का पत्‍थर, ईमारत बनाते समय रखा जाने आखरी पत्‍थर है।"
}
]