hi_zec_tn/04/14.txt

10 lines
388 B
Plaintext

[
{
"title": "ताजे तेल से भरे हुए वे दो पुरुष ",
"body": "यह कविता के रूप में कहने का ढँग है, “आशिशित व्‍याकित”"
},
{
"title": "हाजिर रहते हैं",
"body": "“प्रभू की सेवा करते है”"
}
]