hi_rut_tn/01/11.txt

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Plaintext

[
{
"title": "तुम क्यों मेरे संग चलोगी?",
"body": "आपके लिए मेरे साथ जाने का कोई मतलब नहीं है। \"या\" आपको मेरे साथ नहीं जाना चाहिए। \""
},
{
"title": "क्या मेरी कोख में और पुत्र हैं जो तुम्हारे पति हों?",
"body": "जाहिर है कि मेरे लिए कोई और बेटा पैदा करना संभव नहीं है जो तुम्हारे पति बन सकें। \""
},
{
"title": "पति करने को बूढ़ी हो चुकी हूँ",
"body": "फिर से शादी करने को बूढ़ी हो चुकी हूँ और अधिक बच्चों को पैदा नही कर सकति"
},
{
"title": " मेरे पुत्र भी होते",
"body": "बच्चे पैदा करना"
},
{
"title": "क्या तुम उनके सयाने होने तक आशा लगाए ठहरी रहतीं? और उनके निमित्त पति करने से रूकी रहतीं?",
"body": "तुम बड़े होने तक इंतजार नहीं करोगी ताकि तुम उनसे शादी कर सकें। तुमें अब पुरुषों से शादी करनी चाहिए। ”"
},
{
"title": "मेरा दुःख तुम्हारे दुःख से बहुत बढ़कर है",
"body": "यह मुझे बहुत दुखी करता है कि तुम्हारें कोई पति नहीं हैं \""
},
{
"title": "यहोवा का हाथ मेरे विरुद्ध उठा है",
"body": "याहोवा ने मेरे साथ भयानक बातें की हैं"
}
]