hi_psa_tn/42/11.txt

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Plaintext

[
{
"title": "हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? ",
"body": "“मुझे गिरना नही चाहीए, मुझे चिंता नही करनी चाहीए ”"
},
{
"title": " गिरा जाता है",
"body": "“निराश होना”"
},
{
"title": " परमेश्‍वर पर भरोसा रख",
"body": "लेखक अपने प्राणो को परमेश्‍वर पर भरोसा रखने को लगातार कहता और हुक्म देता रहता है।"
}
]